Jhanjharpur Lok Sabha Chunav Result 2024: दरभंगा डिवीजन में आने वाले मधुबनी जिले में झंझारपुर लोकसभा क्षेत्र का गठन 1972 में किया गया था. बिहार के 40 लोकसभा सीटों में एक झंझारपुर में जाति का गणित सियासी समीकरण पर हावी रहता है. फिलहाल झंझारपुर से जदयू के रामप्रीत मंडल लोकसभा सांसद हैं. साल 2011 की जनगणना के मुताबिक, झंझारपुर लोकसभा क्षेत्र में कुल 18,24,987 मतदाता हैं. उनमें पुरुष वोटरों की संख्या 9,56,361 और महिला मतदाताओं की संख्या 8,68,552 है. झंझारपुर में थर्ड जेंडर के 74 वोटर हैं.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

झंझारपुर में सियासी समीकरण पर क्यों हावी रहता है जाति का गणित


झंझारपुर लोकसभा सीट में ब्राह्मण, यादव और अति पिछड़े समुदाय के वोटरों की संख्या ज्यादा है. इस सीट में 35 प्रतिशत पिछड़े समुदाय के मतदाताओं की संख्या है. मुस्लिम 15 प्रतिशत हैं. 20 प्रतिशत ब्राह्मण तो 20 प्रतिशत ही यादव मतदाता हैं. इसके बाद बाकी तमाम जातियां मिलाकर 10 प्रतिशत हैं. वोटरों की संख्या के लिहाज से देखें तो झंझारपुर लोकसभा क्षेत्र के कुल 18 लाख 25 हजार मतदाताओं में सबसे ज्यादा दलित वोटरों की संख्या 4 लाख है.


इसके बाद यादव वोटरों की संख्या 2 लाख 85 हजार और पिछड़ा-अतिपिछड़ा (यादव को छोड़कर) वोटरों की संख्या 3 लाख 60 हजार है. मुस्लिम मतदाताओं की संख्या ढाई लाख है. वहीं, करीब पौने दो लाख कुशवाहा और सहनी वोटर हैं. सवर्ण वोटरों की संख्या 2 लाख 10 हजार है. इसके बाद लगभग सवा लाख वैश्य वोटर हैं. इसलिए झंझारपुर लोकसभा क्षेत्र की राजनीति खासकर पिछड़े और अतिपिछड़े वर्ग के नेताओं के बीच ही घूमती रही है.


झंझारपुर लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवार जीते


साल 1972 में अस्तित्व में आने के बाद से झंझारपुर लोकसभा सीट में 2019 तक लोकसभा चुनावों में शुरुआती दौर को छोड़कर पिछड़ा या अतिपिछड़ा वर्ग के सांसदों ने ही बाजी मारी है. झंझारपुर लोकसभा सीट पर पार्टी और लहर से अलग उम्मीदवारों को चुनने में जाति फैक्टर को दरकिनार नहीं किया जाता. सभी पार्टियां जाति समीकरण देखने के बाद ही अपने उम्मदीवार को चुनावी मैदान में उतारती हैं. इस सीट पर सबसे ज्यादा पिछड़े समुदाय से आने वाले उम्मीदवारों ने लोकसभा चुनाव लड़ा और जीता है.


झंझारपुर लोकसभा सीट का चुनावी इतिहास, तीन बार से एनडीए का कब्जा


झंझारपुर लोकसभा सीट पर 1972 में पहले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के जगन्नाथ मिश्रा सांसद चुने गए थे. इसके बाद 1977 में यहां से जनता पार्टी के धनिक लाल मंडल सांसद बने. 1980 में जनता पार्टी (सेकुलर) की टिकट पर वह दोबारा लोकसभा पहुंचे. लोकसभा चुनाव 1984 में कांग्रेस के उम्मीदवार गौरी शंकर राजहंस ने जीत दर्ज की थी. इसके बाद इस सीट से लगातार तीन बार 1989, 1991 और 1996 में जनता दल के नेता देवेंद्र प्रसाद यादव सांसद बने. 


लोकसभा चुनाव 1998 में राष्ट्रीय जनता दल के उम्मीदवार सुरेंद्र प्रसाद यादव ने जीत दर्ज की थी. झंझारपुर से 1999 में 2004 में राजद के टिकट पर देवेंद्र प्रसाद यादव संसद पहुंचे. इसका मतलब झंझारपुर की राजनीति लगभग डेढ़ दशक तक देवेंद्र प्रसाद यादव के आसपास घूमती रही. हालांकि, लोकसभा चुनाव 2009 में जदयू के मंगनीलाल मंडल ने जीत हासिल की. 2014 में त्रिकोणीय चुनाव में पहली बार भारतीय जनता पार्टी के नेता बीरेंद्र कुमार चौधरी सांसद बने. इसके बाद 2019 में जदयू के टिकट पर रामप्रीत मंडल सांसद चुने गए. इसका मतलब लगातार तीन बार से झंझारपुर में एनडीए का कब्जा बरकरार है. 


झंझारपुर लोकसभा क्षेत्र की छह विधानसभा सीटों पर क्या है सियासी हाल


झंझारपुर लोकसभा क्षेत्र में खजौली, बाबूबरही, राजनगर, झंझारपुर, फूलपरास और लौकहा छह विधानसभा सीटें आती हैं. बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के नतीजे के मुताबिक, इनमें खजौली विधानसभा सीट से भाजपा के अरुण शंकर प्रसाद विधायक हैं. बाबूबरही विधानसभा सीट से जदयू की मीना कुमारी विधायक हैं. राजनगर सुरक्षित विधानसभा सीट से भाजपा के रामप्रीत पासवान विधायक हैं. झंझारपुर विधानसभा सीट से भाजपा के नीतीश मिश्रा विधायक हैं.


फूलपरास विधानसभा सीट से जदयू की शीला मंडल विधायक हैं. वहीं, लौकहा विधानसभा सीट से राजद के भारत भूषण मंडल विधायक हैं. लोकसभा चुनाव 2024 के लिए फिलहाल किसी राजनीतिक दल या गठबंधन ने झंझारपुर से अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है.