Karnal Lok Sabha Election 2024: करनाल में मनोहर लाल खट्टर या दिव्यांशु बुद्धिराजा? जानिए लोकसभा सीट का सियासी गुणा-गणित
Karnal Lok Sabha Election 2024 News: करनाल कभी कांग्रेस की पारंपरिक सीट थी. 10 साल से यहां भगवा लहरा रहा है. माना जा रहा है कि पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर को बीजेपी ने करनाल लोकसभा से उम्मीदवार बनाकर मास्टर स्ट्रोक खेल दिया है.
Karnal Lok Sabha Election 2024: हरियाणा की करनाल लोकसभा सीट 1952 में पहली बार अस्तित्व में आई. करनाल, पारंपरिक रूप से कांग्रेस (Congress) का गढ़ रहा है. लेकिन एक दशक से ये सीट बीजेपी का मजबूत गढ़ बन गई है. पिछले दो चुनावों में बीजेपी (BJP) जीत रही है. वो जीत की हैट्रिक चाहती है. करनाल से मौजूदा सांसद संजय भाटिया हैं. हरियाणा पूर्व मुख्यमंत्री खट्टर करनाल विधानसभा से ही विधायक थे. उन्होंने विधायकी से भी इस्तीफा दिया तो BJP ने मनोहर लाल खट्टर (Manohar Lal Khattar) को करनाल से 2024 का लोकसभा प्रत्याशी बना दिया. कांग्रेस ने करनाल सीट से यूथ कांग्रेस हरियाणा के अध्यक्ष दिव्यांशु बुद्धिराजा (Divyanshu Budhiraja) को उतारा है.
करनाल लोकसभा चुनाव 2024 रिजल्ट
हरियाणा में 25 मई को सभी 10 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हुई. अब सभी को 4 जून का इंतजार, क्योंकि इस दिन रिजल्ट आने हैं.
करनाल लोकसभा सीट की जानकारी
हरियाणा की करनाल लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने दबदबा बरकरार रखा है. कांग्रेस ने यहां नौ बार चुनाव जीता है, जबकि बीजेपी ने चार बार जीत हासिल की है. 1952 से लेकर 2019 तक इस सीट पर 18 बार चुनाव हुए हैं, जिनमें नौ बार कांग्रेस और चार बार BJP ने जीत हासिल की है. कांग्रेस 1952, 1957, 1967, 1971, 1984, 1989, 1991, 1998, 2004 और 2009 में जीती. BJP ने 1996, 1999, 2014 और 2019 में फतह हासिल की.
करनाल लोकसभा सीट के अंदर कितनी विधानसभाएं हैं?
गौरतलब है कि करनाल लोकसभा क्षेत्र में नौ विधानसभा सीटें - नीलोखेड़ी (SC), इंद्री, करनाल, घरौंदा, असंध, पानीपत ग्रामीण, पानीपत शहरी, इसराना (SC), और समालखा हैं. जिनमें 9 में से पांच पर बीजेपी का कब्जा है. करनाल लोकसभा सीट पर लगभग 1,821,231 मतदाता हैं. इनमें से 974,840 पुरुष मतदाता हैं, जबकि 846,382 महिला मतदाता हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में 1,300,722 मतदाताओं ने वोट डाले थे. यानी 71% मतदान हुआ.
करनाल लोकसभा सीट का चुनावी इतिहास : कब किस पार्टी से कौन रहा सांसद
सोर्स : चुनाव आयोग
साल | विजेता | पार्टी |
1952 | वीके सत्यवादी | कांग्रेस |
1957 | सुभद्रा जोशी | कांग्रेस |
1962 | स्वामी रामेश्वरानंद | भारतीय जनसंघ |
1967 | माधो राम शर्मा | कांग्रेस |
1971 | माधो राम शर्मा | कांग्रेस |
1977 | भगवत दयाल शर्मा | जनता पार्टी |
1978 उपचुनाव | मोहिंदर सिंह | जनता पार्टी |
1980 | चिरंजी लाल शर्मा | कांग्रेस |
1984 | चिरंजी लाल शर्मा | कांग्रेस |
1989 | चिरंजी लाल शर्मा | कांग्रेस |
1991 | चिरंजी लाल शर्मा | कांग्रेस |
1996 | ईश्वर दयाल स्वामी | बीजेपी |
1998 | भजनलाल | कांग्रेस |
1999 | ईश्वर दयाल स्वामी | बीजेपी |
2004 | अरविंद शर्मा | कांग्रेस |
2009 | अरविंद शर्मा | कांग्रेस |
2014 | अश्वनी चोपड़ा | बीजेपी |
2019 | संजय भाटिया | बीजेपी |
बीजेपी के मन में क्या चल रहा है?
हरियाणा में कांग्रेस की सियासत की बात करें तो वो शुरू से ही हरियाणा की सत्ता को जाट समुदाय की परिक्रमा करती आई है. वहीं हरियाणा के जाट कभी कांग्रेस तो कभी इनेलो के बीच झूलते रहे, जिसका फायदा बीजेपी ने उठाया. खट्टर के जरिए बीजेपी ने नॉन जाट वोट बैंक को बड़ा मैसेज देते हुए अपने साथ मिला लिया. वहीं नायब सिंह को CM बनाकर ओबीसी समुदाय को अपने पाले में करने की कोशिश की है जिसका हरियाणा की राजनीति में मजबूत प्रभाव है. जानकारों के मुताबिक इस रणनीति से वो हरियाणा से कांग्रेस और जाट राजनीति को पूरी तरह खत्म कर देना चाहती है.
हरियाणा के एपिसोड से पूरे देश को मैसेज?
हरियाणा सरकार के वित्त मंत्रालय और परिवार पहचान पत्र के डाटा के मुताबिक सूबे की कुल आबादी करीब 2 करोड़ 85 लाख है. हरियाणा में SC और OBC की बात करें तो कुल जनसंख्या का ये करीब 51% हैं. लोकसभा चुनाव से पहले हरियाणा सरकार का चेहरा बदलकर बीजेपी ने सूबे की 10 में से 10 सीटों पर जीत के लिए जरूरी समीकरण बिठाकर गोटियां सेट कर दी हैं.
BJP नेता कहते हैं कि देश के पीएम पिछड़ा वर्ग से आते हैं. बीजेपी ने पिछले एक दशक में राष्ट्रपति पद के लिए SC और ST वर्ग को प्रतिनिधित्व दिया है. बीजेपी शाषित राज्यों की सरकारों में जातीय संतुलन को साधा गया है. ऐसे में बीजेपी के सभी नेता देश की जनता को एकजुट होकर भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में मतदान करने की अपील करते हुए वोट बैंक बढ़ाने की दिशा में भी काम कर रही है.
करनाल का इतिहास
करनाल की जड़ें द्वापर युग से मिलती हैं. ये महाभारतकालीन शहर है. मान्यता है करनाल की स्थापना महान योद्धा कर्ण ने की थी. मुगलकाल की बात करें तो 1739 में करनाल में हुई जंग में ईरान से आए नादिर शाह ने मुहम्मद शाह को हराया था. आगे अंग्रेजों ने यहां कब्जा किया. 1947 में देश आजाद हुआ तो करनाल को भी गुलामी से मुक्ति मिल गई.