Khajuraho Loksabha Election News: मध्य प्रदेश के राजनीतिक परिदृश्य में खुजराहो लोकसभा सीट का उदय 1957 में हुआ. छतरपुर और टीकमगढ़ जिले की विधानसभा सीटों को मिलाकर बना यह क्षेत्र, अपनी समृद्ध संस्कृति और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता था. पहले लोकसभा चुनाव में, कांग्रेस के पंडित रामसहाय ने इस सीट पर जीत हासिल की, और खजुराहो के पहले लोकसभा सांसद बनने का गौरव प्राप्त किया. 1962 में, उन्होंने अपना कार्यकाल दोहराया, और क्षेत्र के लोगों का विश्वास जीता.


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1967 और 1971 के चुनावों में, खुजराहो लोकसभा सीट अस्तित्व में नहीं थी, लेकिन 1977 में, यह फिर से राजनीतिक मानचित्र पर उभरी. इस बार, लोकदल के लक्ष्मीनारायण नायक ने जीत हासिल की, और क्षेत्र में अपनी पार्टी का झंडा फहराया.


1980 और 1984 के चुनावों में, कांग्रेस ने वापसी की, और विद्यावती चतुर्वेदी ने लगातार दो बार जीत हासिल कर, खुजराहो में अपनी पार्टी का वर्चस्व स्थापित किया.


उमा भारती के जरिए बीजेपी ने मारी जोरदार एंट्री
1989 के चुनाव में खुजराहो लोकसभा सीट पर बीजेपी ने एंट्री की और उस समय भाजपा की फायरब्रांड नेता उमा भारती ने यहां से एक शानदार जीत हासिल की थी. उमा भारती ने 1991, 1996, और 1998 में भी इस सीट से सांसद के रूप में अपनी प्रतिष्ठा बनाई. लेकिन 1999 में कांग्रेस के सत्यव्रत चतुर्वेदी ने पार्टी की वापसी करा दी. फिर, 2004 में बीजेपी ने पुनः इस सीट पर कब्जा किया और तब से लेकर अब तक यहां से बीजेपी ने लगातार चुनाव जीते हैं.


खजुराहो: इतिहास, कला और पर्यटन का संगम
मध्य प्रदेश का मुकुटमणि: खजुराहो लोकसभा क्षेत्र, छतरपुर जिले में स्थित, न केवल एक महत्वपूर्ण राजनीतिक इकाई है, बल्कि मध्य प्रदेश का मुख्य पर्यटन केंद्र भी है. यह प्राचीन और मध्यकालीन मंदिरों के लिए विश्व प्रसिद्ध है, जो अपनी अद्भुत वास्तुकला और शिल्पकला के लिए जाने जाते हैं. खजुराहो को पहले खजूरपुरा और खजूर वाहिका के नाम से भी जाना जाता था.


चन्देल साम्राज्य की पहली राजधानी..
मंदिरों का शहर खजुराहो, पत्थरों से निर्मित मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है. इन मंदिरों में संभोग की विभिन्न कलाओं को बड़ी ही खूबसूरती से उकेरा गया है. खजुराहो का इतिहास लगभग 1000 साल पुराना है. यह चन्देल साम्राज्य की पहली राजधानी हुआ करता था. यहां के राजा चन्द्रवर्मन को उनकी मां ने पारस मणि भेंट किया था, जिसके माध्यम से लोहे को सोने में बदला जा सकता था. खजुराहो आज भी कला प्रेमियों, इतिहास के जानकारों और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.


इतिहास की झलक:
खजुराहो को पहले खजूरपुरा और खजूर वाहिका के नाम से जाना जाता था.
यह क्षेत्र लगभग एक हजार साल पुराना है और चन्देल साम्राज्य की प्रथम राजधानी हुआ करता था.
राजा चन्द्रवर्मन को उनकी मां ने पारस मणि पत्थर भेंट किया था, जिसके बारे में कहा जाता है कि लोहे को सोने में बदलने की क्षमता रखता था.


मंदिरों का शहर:
खजुराहो 'मंदिरों का शहर' के रूप में जाना जाता है, जो मुड़े हुए पत्थरों से निर्मित मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है.
इन मंदिरों में संभोग की विभिन्न कलाओं को बेहद खूबसूरती के साथ उकेरा गया है.
खजुराहो के मंदिर कला, संस्कृति और इतिहास के अद्भुत संगम का प्रतीक हैं.


पर्यटन का केंद्र:
खजुराहो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व के कारण पर्यटकों के बीच एक लोकप्रिय स्थान है.
यह क्षेत्र विश्व धरोहर स्थल भी है, जो दुनिया भर से पर्यटकों को आकर्षित करता है.
खजुराहो में पर्यटन स्थलों में पश्चिमी समूह, पूर्वी समूह, दक्षिणी समूह, जैन मंदिर और अन्य प्राचीन स्मारक शामिल हैं.


वर्ष 2008 में परिसीमन के बाद से खजुराहो लोकसभा सीट के इलाके में परिवर्तन हो गया. वर्ष 2009 के चुनाव में इस सीट में छतरपुर जिले के चंदला, राजनगर विधानसभा, पन्नाा जिले के पवई, गुनौर, पन्नाा और कटनी जिले के विजयराघवगढ़, मुड़वारा, बहोरीबंद विधानसभा क्षेत्र के इलाकों को शामिल किया गया.


चुनावी जीत का इतिहास भी जान लीजिए.. 
1957 और 62- कांग्रेस के पंडित राम सहाय जीते
1977- भारतीय लोकदल के लक्ष्मी नारायण नायक
1980, 84- कांग्रेस की विद्यावती चतुर्वेदी
1989, 91, 96, 98- लगातार चार बार बीजेपी से उमा भारती
1999- कांग्रेस के सत्यव्रत चतुर्वेदी विजयी
2004- रामकृष्ण कुसमरिया, बीजेपी
2009- बुंदेला जितेंद्र सिंह बीजेपी
2014- नागेंद्र सिंह, बीजेपी
2019- वीडी शर्मा, बीजेपी


Candidates in 2024 Party Votes Result
  BJP    
  SP    
       
       

2024 का समीकरण क्या है?
लोकसभा चुनाव 2024 में खजुराहो सीट पर समीकरण काफी रोचक होने की उम्मीद है. यहां मुख्य रूप से बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही मुकाबला होना था लेकिन इस बार समाजवादी पार्टी के खाते में यह सीट कांग्रेस ने दी है. अब देखना होगा कि क्या परिणाम आएगा.