Lalu Prasad Yadav: 1999 की बात है. अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री थे और सरकार विश्वास मत लेकर आई थी. संसद में जोरदार बहस चल रही थी. लालू यादव बोलने के लिए खड़े हुए. अपने अंदाज में वक्त लेते हुए लालू ने माइक और खुद को पहले सेट किया. कुछ लोग पीछे से बोले तो लालू ने तीखा जवाब दिया. इसके बाद बोलने लगे, 'अध्यक्ष महोदय, माननीय प्रधानमंत्री जी ने जो विश्वास का मोशन लाया है, उसके विरोध में मैं बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं. माननीय प्रधानमंत्री ने कुछ बोलने के पहले पूरे प्रतिपक्ष से यह जानना चाहा. क्या विकल्प है? कैसी सरकार आप लोग बना रहे हैं? थोड़ा हमको बता दीजिए. ताकि बाद में भी हम अपना काम चला लें.' कुछ लोग हंस पड़े. 


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राष्ट्र को संबोधन जान बैठ गए टीवी पर


लालू ने आगे कहा कि हम प्रधानमंत्री को धन्यवाद देते हैं. वह चेतनशील व्यक्ति हैं. ठीक आज से चार दिन पहले माननीय प्रधानमंत्री जी ने, अटल जी ने शाम को राष्ट्र को संदेश दिया था. एकाएक हम लोग सुने कि राष्ट्र को संबोधित करने वाले हैं प्रधानमंत्री. सब कार्यक्रम छोड़कर हम लोग बैठ गए टीवी पर. हम लोग इंतजार में थे कि चेतनशील व्यक्ति हैं. कुसंगति में फंसे हुए थे. अभी उनकी चेतना जरूर जगी होगी. जैसे रहीम ने कहा था- जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करि सकत कुसंग. चंदन विष व्यापत रहे लिपटे रहत भुजंग. इसका मतलब यह हुआ कि जो अच्छे इंसान होते हैं अगर कुसंगति में फंस गए तो भी उनके ऊपर कोई असर नहीं होता है. जैसे चंदन को विषधर लपेटे रखता है लेकिन चंदन पर असर नहीं होता है. 


रावण भी कहता था स्वर्ग के लिए सीढ़ी


लालू ने कहा कि लेकिन दुर्भाग्य है कि इस देश का, नैतिकता का पाठ पढ़ाने वाले, हम जैसे लोगों को बताने वाले... सत्ता ऐसी चीज होती है, सत्ता की भूख ऐसी है. न जाने कितने राजे-महाराजे आए इस धरती पर और बोलकर गए कि हम धरती पर कब्जा कर लेंगे. रावण भी आए तो बोले कि हम स्वर्ग के लिए सीढ़ी लगाएंगे लेकिन धरती ज्यों की त्यों हैं और खामोश है. 


नीतीश कुमार, गदा चलाना पड़ रहा


उन्होंने कहा कि मन इतना मतवाला है... उसमें हम सब लोग हैं. किसी ने टोंका तो लालू ने अपने अंदाज में जवाब दिया, 'मुझे अफसोस है कि आप जा रहे हो.' आगे कहा कि कहीं मेरे चाचा बैठे हैं गफूर चाचा, कहीं मेरे भाई बैठे हैं नीतीश कुमार. लेकिन धर्म-अधर्म की बारी आई है तो आज गदा चलाना पड़ रहा है तुम्हारी पीठ पर हम लोगों को. एक बार फिर सदन ठहाकों से गूंज उठा. 


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लालू ने कहा कि कहीं हम लोगों के गुरु जॉर्ज साहब बैठे हैं. मन मतवाला है, भोला है, ठुमक-ठुमक कर थिरकता है. चाहे होली हो या कोई हो. जैसे आप थिरक रहे थे और हम कपड़ा फाड़कर पटना में होली गा रहे थे. लालू बोलते जाते और अटल बिहारी वाजपेयी समेत पूरा सदन ठहाके लगाता जाता.


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उन्होंने कहा कि उन दिनों में सूफी आए. उन्होंने मतवाले इंसान से कहा था- ये दौलत दुनिया माल खजाना, दुनिया में रह जाएगा. मुट्ठी बांधकर आया बंदा, हाथ पसारे जाएगा. एक बार फिर सदन में ठहाकों की गूंज दौड़ गई. (पूरा वीडियो देखिए)