Biplab Kumar Deb Tripura West: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए भाजपा ने पूर्वोत्तर के राज्य त्रिपुरा की त्रिपुरा वेस्ट लोकसभा सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद बिप्लब कुमार देब को मैदान में उतारा है. इस लोकसभा चुनाव के बीच 'ज़ी न्यूज़' ने विभिन्न राजनीतिक दलों की ओर से चुनाव मैदान में उतरे  उम्मीदवारों का लीडर सोशल स्कोर (LSS) निकाला है. आइए, सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्म्स पर पहुंच और प्रभाव के आधार पर जानते हैं कि त्रिपुरा वेस्ट सीट पर भाजपा उम्मीदवार बिप्लब कुमार देब का सोशल स्कोर कितना है.


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त्रिपुरा के पूर्व सीएम बिप्लब कुमार देब को केंद्र में लाने का फैसला


लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा ने त्रिपुरा के पूर्व सीएम बिप्लब कुमार देब को केंद्र की राजनीति में लाने का फैसला किया है. देश की 18वीं लोकसभा के लिए भाजपा ने उन्हें त्रिपुरा पश्चिम सीट से टिकट दिया है. बिप्लब कुमार देव 2018 से 2022 तक त्रिपुरा के मुख्यमंत्री रहे हैं. देब पूर्वोत्तर भारत की राजनीति में काफी चर्चित नाम हैं. साल 2017 में बिप्लब कुमार देब उस समय सबसे ज्यादा चर्चा में आ गए, जब उन्होंने त्रिपुरा में कांग्रेस के सभी विधायकों को भाजपा में शामिल करा दिया था. इसके अलावा सीपीआई (एम) का गढ़ रहे त्रिपुरा में भगवा ध्वज फहराने का क्रेडिट भी उनको जाता है. 


बांग्लादेश से बतौर शरणार्थी भारत आए थे बिप्लब के माता-पिता


त्रिपुरा के राजधर नगर, उदयपुर के गोमती जिले में 25 नवंबर 1971 को बिप्लब कुमार देब का जन्म हुआ था. उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा त्रिपुरा से ही पूरी की. त्रिपुरा यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन करके वह दिल्ली आ गए. उनके माता-पिता मूल रूप से आज के बांग्लादेश के चांदपुर जिले के रहने वाले हैं, लेकिन 1971 में हुए मुक्ति संग्राम के पहले ही वहां से बतौर शरणार्थी भारत आकर बस गए. जिसके बाद उन्हें 27 जून, 1967 को उन्हें भारतीय नागरिकता मिल गई थी.
 
दिल्ली में 15 साल रहने के बाद बिप्लब कुमार देब त्रिपुरा लौटे 


दिल्ली में करीब 15 साल रहने के बाद बिप्लब कुमार देब त्रिपुरा लौटे और स्थानीय राजनीति में शामिल हो गए. ऐसे समय जब त्रिपुरा में सीपीआई (एम) सत्ता में थी. भाजपा ने साल 2017 में सुधींद्र दासगुप्ता की जगह बिप्लब कुमार देब को त्रिपुरा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया. इस चुनौती को स्वीकार कर बिप्लब कुमार देब ने कड़ी मेहनत के दम पर भाजपा का सदस्यता अभियान चलाया. 8 अगस्त 2017 को सुदीप रॉय बर्मन के नेतृत्व में सभी कांग्रेसी विधायकों को भाजपा की सदस्यता दिला उन्होंने राज्य में जड़े मजबूत कर लीं. इस सफलता के बाद ही जब 2018 में त्रिपुरा विधान सभा चुनाव हुए तो भाजपा ने उनके नेतृत्व में ही त्रिपुरा में लंबे समय तक चले वाम मोर्चा के शासन को जड़ से उखाड़ दिया. 


त्रिपुरा में कई उपलब्धियां, लागू की सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें


विधानसभा चुनाव 2018 में बिप्लब कुमार देब त्रिपुरा के बनमालीपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीतकर विधायक और फिर राज्य के 10वें मुख्यमंत्री बने. उन्होंने कांग्रेस के विधायक गोपाल चंद्र रॉय को इस चुनाव में पटकनी दी थी. भाजपा ने बिप्लब कुमार देब के नेतृत्व में ही अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर त्रिपुरा की कुल 60 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था. उसमें से 44 सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी. बिप्लब कुमार देब ने ही अपने कार्यकाल में सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू कराने का काम किया था. 


चार साल तक सीएम रहे बिप्लब कुमार देब से जुड़े कई विवाद


त्रिपुरा के पूर्व सीएम बिप्लब कुमार देव का अपने 4 साल के कार्यकाल के दौरान लगातार विवादों से भी गहरा नाता बना रहा. राज्य की बागडोर संभालते ही उन्होंने यह कहकर देशव्यापी विवाद खड़ा कर दिया कि देश की सिविल सेवा परीक्षा में केवल सिविल इंजीनियरों को ही बैठने देना चाहिए. एक बार 2020 में उन्होंने दावा कर दिया कि देश के पंजाबी और जाट समुदाय के लोग शारीरिक रूप से मजबूत हैं, लेकिन बंगालियों की तुलना में कम बुद्धिमान हैं.


डिस्क्लेमर: लीडर्स सोशल स्कोर (LSS) मशीन लर्निंग पर आधारित है. फेसबुक, इंस्टाग्राम, एक्स और यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से जुड़े 55 से ज्यादा पैरामीटर्स के आधार पर इसे निकाला गया है.