Lok Sabha Election West Bengal: पश्चिम बंगाल में दो चरणों की वोटिंग हो चुकी है. तीसरे चरण के प्रचार में आज यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एंट्री ली. 'ब्रांड मोदी' की तरह योगी के बुलडोज़र मॉडल की भी अपनी पॉलिटिकल यूएसपी है. बेहरामपुर की रैली में योगी आदित्यनाथ ने अपना यही मॉडल SALE किया. सीधे कहा कि बंगाल में भी योगी मॉडल चाहिये, तो सबसे पहले यहां बीजेपी लाइये.


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बंगाल आज साजिश का शिकार..


सीएम योगी ने कहा कि संदेशखाली जैसी घटनाएं बंगाल में कैसे घटित हो रही हैं, यह प्रश्न बंगाल सरकार से पूछने आया हूं. क्या वजह है कि यहां रामनवमी पर पत्थर चल जाते हैं. बंगाल को दंगों की आग में झोंकने का काम हो रहा है. बंगाल आज साजिश का शिकार हो चुका है. दंगाइयों के खिलाफ बंगाल सरकार ने कार्रवाई क्यों नहीं की? अगर ये दंगाई यूपी में दंगा करते तो इनको उल्टा लटका करके ठीक कर देता और ऐसा हाल कर देता कि इनकी 7 पीढियां भूल जातीं कि दंगा कैसे होता है.


बंगाल में हिन्दुओं की फिक्र


बंगाल में हिन्दुओं की फिक्र बीजेपी के लिये फ़ायदेमंद रही है. बीते दो लोकसभा चुनाव और दो विधानसभा चुनावों के नतीजे इसका प्रमाण हैं. अगर देखें, तो इसमें TMC सरकार का भी सहयोग कम नहीं है. क्योंकि कई मुद्दे खुद उसी ने प्लेट में रखकर परोसे हैं. योगी आदित्यनाथ ने दूसरा बड़ा और गंभीर आरोप ये लगाया कि पश्चिम बंगाल को हिन्दू विहीन करने की साज़िश की जा रही है.


हिन्दू परंपरा और संस्कृति को रौंदने का प्रयास


सीएम योगी ने कहा कि जो बंगाल भारत की सभ्यता-संस्कृति को नई दिशा देता था, जिस बंगाल ने भारत को सिखाया कि गर्व से कहो हम हिन्दू हैं, उस बंगाल में सत्ता के संरक्षण में आज हिन्दू परंपरा और संस्कृति को रौंदने का प्रयास हो रहा है.जिस बंगाल से स्वामी विवेकानंद ने गर्व से कहो हम हिंदू हैं का संदेश दिया था, वो बंगाल आज हिंदू विहीन करने की साजिश का शिकार कैसे हो रहा है?


बंगाल हिन्दू बहुसंख्यक था


हमें लगता है योगी आदित्यनाथ का ये दूसरा वाला बयान ज़्यादा गंभीर है, इसलिये इसका विश्लेषण ज़रूरी है, ताकि जान सकें कि इस आरोप में कितनी गंभीरता है. पश्चिम बंगाल मुस्लिम आबादी प्रतिशत के हिसाब से देश का तीसरा सबसे बड़ा राज्य है. लेकिन बंगाल का इतिहास ऐसा नहीं था. बंगाल हिन्दू बहुसंख्यक था. 1951 की जनगणना में बंगाल की जनसंख्या 2 करोड़ 63 लाख थी. इसमें सिर्फ़ 50 लाख मुसलमान थे.


बंगाल में हिन्दुओं के घटने की दर ज्यादा


1951 से लेकर 2011 तक यानी चार बार की जनगणना का ग्राफ़ हमने आपके सामने रखा है. इसमें देखिये कि कैसे पश्चिम बंगाल में हिन्दू जनसंख्या की दर घटती गई और मुसलमान उस अनुपात में तेज़ी से बढ़ते गये. आखिरी जनगणना 2011 में हुई थी, जिसमें बंगाल की आबादी साढ़े नौ करोड़ थी. यानी मुसलमान संख्या में ढाई करोड़ और अनुपात में 27% हो चुके थे. वर्ष 2001 से 2011 के बीच राष्ट्रीय स्तर पर हिन्दुओं की आबादी शून्य दशमलव सात प्रतिशत कम हुई. बंगाल में हिन्दुओं के घटने की दर और भी ज़्यादा 1 दशमलव 94 फीसदी थी.


हिन्दुओं का लगातार पलायन


दूसरी तरफ़ 10 वर्षों में राष्ट्रीय स्तर पर मुसलमानों की आबादी शून्य दशमलव आठ फीसदी बढ़ी, वहीं बंगाल में मुसलमानों के बढ़ने की दर और भी ज़्यादा 1 दशमलव 77 फीसदी थी. पश्चिम बंगाल में बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों का मुद्दा कई वर्षों से सतह पर है. राज्य की TMC सरकार, कांग्रेस और वामपंथी दल जब भी CAA और NRC पर सवाल उठाते हैं, तब-तब उनकी मंशा पर प्रश्नचिन्ह लगाये जाते हैं. उनपर तुष्टीकरण का आरोप लगता है. बंगाल में कुछ वर्षों से हिन्दू उत्सवों को आसानी से अनुमति न मिलना, मिल भी जाए तो हिन्दू यात्राओं पर हमले होना, संदेशखाली जैसी हिन्दू महिलाओं के शोषण की घटनाएं, और उसमें भी सत्ता का संरक्षण मिलते देखना..ये सब घटनाएं सामने हैं. और इन्हीं सबके साथ सीमावर्ती ज़िलों से हिन्दुओं का लगातार पलायन. क्या योगी आदित्यनाथ ने इन्हीं सबको जोड़कर ये कहने की कोशिश की है कि बंगाल को हिन्दू विहीन करने की साज़िश हो रही है?


मुर्शिदाबाद, मालदा और उत्तरी दिनाजपुर..


पश्चिम बंगाल के जिन-जिन ज़िलों में बीते वर्षों में मुस्लिम आबादी बढ़ी है, वहीं-वहीं हिन्दू-मुस्लिम संघर्ष बढ़ा है, और वहीं से हिन्दू आबादी का पलायन भी तेज़ हुआ है. मुर्शिदाबाद, मालदा और उत्तरी दिनाजपुर, किसी समय ये तीनों ज़िले हिन्दू बहुसंख्यक थे, लेकिन अब यहां की डेमोग्राफ़ी तेज़ी से बदल रही है. वर्ष 2001 से वर्ष 2011 के बीच इन 10 वर्षों को देखें तो बंगाल में तीन ज़िलों की डेमोग्राफ़ी तेज़ी से बदली है. वर्ष 2001 में मुर्शिदाबाद में 63 दशमलव सड़सठ फीसदी मुस्लिम आबादी थी, जो 2011 में बढ़कर 66 दशमलव 88 फीसदी हो चुकी थी. इसी तरह मालदा में मुस्लिम आबादी 2011 में 50 प्रतिशत के पार हो गई. नॉर्थ दिनाजपुर में भी मुस्लिम आबादी 50 प्रतिशत तक पहुंच गई थी. बीरभूम और दक्षिण 24 परगना के 37 और 35 प्रतिशत के मुस्लिम आबादी वाले ये आंकड़े भी वर्ष 2011 के हैं... उसके बाद से 13 साल और बीत चुके हैं.


TMC की प्रतिक्रिया..


क्या बंगाल के सीमावर्ती ज़िलों में कुछ-कुछ वैसा चल रहा है जैसा 90 के दशक में कश्मीर घाटी में हो रहा था? बंगाल को लेकर ये आरोप और आंकड़े चिंताजनक ज़रूर हैं. हांलाकि TMC की प्रतिक्रिया भी आ चुकी है. वो बंगाल के हिन्दू विहीन होने को विशुद्ध राजनीति बता रही है.