Opinion: BJP की वह दूरदर्शी रणनीति, जिसने बचा ली सरकार; बेकार नहीं गया 400 पार का नारा
Lok Sabha Chunav 2024: भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने इस चुनाव के लिए `अबकी बार 400 पार` का नारा दिया था, लेकिन एनडीए 300 के आंकड़ा भी नहीं छू सकी और गठबंधन 292 पर सिमट गया.
BJP Strategy: साल 2014 में 336 और 2019 के चुनाव में 353 सीट जीतने के बाद 2024 के चुनाव में 400 का टारगेट. लेकिन, एनडीए 300 के आंकड़ा भी नहीं छू सकी और गठबंधन 292 पर सिमट गया. 10 साल तक सत्ता में रहने और एंटी इनकम्बेंसी के बाद भी बीजेपी के लिए 240 और एनडीए को 292 पर पहुंचने में सफल रही. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह बीजेपी की दूरदर्शी रणनीति रही, जिसकी वजह से एनडीए की सरकार बनने जा रही है.
भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने इस चुनाव के लिए 'अबकी बार 400 पार' का नारा दिया और इसे पूरा करने के लिए नए राज्यों में सीटें बढ़ाने की कोशिश की. बीजेपी हमेशा एक नए-नए राज्यों में जाती है और उसको अपना बनाने की कोशिश करती है. 400 के आंकड़े तक पहुंचने के लिए बीजेपी ने साउथ के साथ ही ओडिशा और बंगाल में पूरी ताकत लगा दी. तमिलनाडु और बंगाल में पार्टी को ज्यादा फायदा नहीं हुआ, लेकिन ओडिशा और साउथ के अन्य राज्यों में सफलता बताती है कि 400 पार का नारा बेकार नहीं गया. इस नारे की बदौलत ही बीजेपी ने नए राज्यों में ज्यादा सीटें जीतने की कोशिश की और इसी कारण सरकार बचाने में सफल रही.
कर्नाटक में पार्टी को 2019 की तुलना में 8 सीटें कम मिली हैं, लेकिन केरल में पहली बार पार्टी को एक सीट मिली है. आंध्र प्रदेश में तेलुगु देशम पार्टी (TDP) के साथ गठबंधन तीन सीटें बीजेपी के लिए संजीवनी की तरह हैं. इसके साथ ही तेलंगाना में भी बीजेपी की सीटें दोगुनी होना साउथ में प्रधानमंत्री मोदी पर भरोसा बढ़ाती दिखती हैं. दक्षिण के राज्यों में बढ़ती पैठ बीजेपी के लिए राहत भरी रही, जिस वजह से उत्तर भारत के राज्यों में हुए नुकसान की कुछ हद तक भरपाई हो पाई.
बीजेपी ने चुनाव से बस कुछ महीने पहले एनडीए गठबंधन में चंद्रबाबू नायडू की पार्टी भारतीय जनता पार्टी (BJP) और नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (JDU) को शामिल किया. चुनाव में टीडीपी ने 16, जबकि जेडीयू ने 12 सीटों पर जीत दर्ज की है और दोनों किंगमेकर की भूमिका में हैं. यह बीजेपी की दूरदृष्टि ही है कि पार्टी ने चुनाव से पहले इन दोनों पार्टियों को गठबंधन में शामिल किया. अगर ऐसा ना हुआ होता तो कल्पना कीजिए कि एनडीए गठबंधन किस स्थिति में होता और जनादेश की क्या स्थिति होती.
बीजेपी को चुनाव के पहले ही इस बाद का अंदाजा रहा होगा कि जिन राज्यों में पहले ही पार्टी अधिकतम सीटें जीत चुकी है, वहां सीटें 2019 के मुकाबले कम हो सकती है. इसलिए, बीजेपी ने नए इलाकों में संभावनाएं तलाशनी और सीटों को बढ़ाने का प्रयास पहले ही शुरू कर दिया था.