Nalanda Lok Sabha Election 2024: बिहार के 40 लोकसभा सीटों में नालंदा सब से बड़ा और महत्वपूर्ण सीट माना जाता है. पौराणिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, सामाजिक, प्राकृतिक तौर पर काफी वैभवशाली नालंदा राजनीतिक तौर पर भी काफी संपन्न है. नालंदा महाविहार में कई देशों के विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करने आते थे. नालंदा विश्वविद्यालय का खंडहर आज भी अपने सुनहरे दौर की गाथा कह रहा है.


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धर्म, आस्था, ज्ञान और इतिहास की भूमि नालंदा का महत्व


प्राचीन काल में वृहत्तर अखंड भारत के 16 जनपदों में सबसे शक्तिशाली मगध साम्राज्य की राजधानी राजगृह नगरी (राजगीर) नालंदा जिला और लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है. पूर्वी भारत से लेकर पश्चिम तक और उत्तर भारत में काबुल, बलूचिस्तान, गांधार तक फैला मगध साम्राज्य चंद्रगुप्त मौर्य की मातृभूमि और उनके गुरु राजनीति और अर्थशास्त्र के ज्ञानी कौटिल्य चाणक्य की कर्मभूमि है. महाभारत कालीन राजगीर पांच पहाड़ियों से घिरा है. यह पवित्र यज्ञ भूमि के साथ ही जैन तीर्थंकर महावीर और भगवान बुद्ध की साधनाभूमि भी रहा है. नालंदा के पावापुर में भगवान महावीर की मोक्ष भूमि भी है.


सातवीं शताब्दी में नालंदा आकर करीब साल भर ठहरे प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेनसांग ने नालंदा को धर्म और आस्था की भूमि लिखा था. भगवान बुद्ध ने यहां पहला सार्वजनिक उपदेश दिया था. यहीं पर प्रसिद्ध बौद्ध भिक्षु सारिपुत्र का जन्म हुआ था. हर तीन साल पर लगने वाले मलमास मेले के लिए प्रसिद्ध गर्म पानी के कुंडों वाले राजगीर में कई बौद्ध स्तूप भी हैं. नालंदा जिले के कई इलाके से सभी धर्मों की आस्था जुड़ी हुई है. 


नालंदा में लगातार तीन दशक से नीतीश कुमार का सियासी वर्चस्व


आज के दौर में नालंदा की सियासत का मतलब नीतीश कुमार हैं. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह क्षेत्र में लोकसभा चुनाव 1996 से सियासत की दिशा एक ओर ही जाता है. नालंदा की राजनीति में किसी और नेता या पार्टी की पैठ नहीं बन पाई है. नालंदा के वोटर सियासी तौर पर सीधे नीतीश कुमार की ओर देखते हैं और उनके उम्मीदवार को जीता देते हैं. नालंदा में लगातार तीन दशक के चुनावी इतिहास में जदयू का वर्चस्व कायम है. नीतीश कुमार आर्म्स फैक्ट्री, रेल कोच फैक्ट्री, पुलिस ट्रेनिंग सेंटर, जू सफारी, नेचर सफारी ग्लास ब्रिज का निर्माण, रोप वे का आधुनिकीकरण, नालंदा अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय और इंजीनियरिंग कॉलेज समेत कई ड्रीम प्रोजेक्ट नालंदा की धरातल पर उतारे हैं.


नालंदा जिला और लोकसभा का जातीय समीकरण, सबसे ज्यादा कुर्मी


कृषि प्रधान जिला नालंदा के लोगों की आय का सबसे बड़ा स्रोत खेती है. यहां के किसान आलू, सब्जी, धान, गेहूं और दलहन की खेती करते हैं. हालांकि, गंगा नदी का पानी नालंदा लाए जाने के बावजूद यहां के किसान सिंचाई के लिए बारिश पर निर्भर हैं. नालंदा में नीतीश कुमार की जाति कुर्मी वोटरों की संख्या सबसे ज्यादा है. यह जदयू का कोर वोट बैंक है. इसके अलावा यादव, पासवान, कोईरी और मुस्लिम वोटर भी बड़ी संख्या में हैं.  इस सीट पर कुर्मी वोटर्स 24 प्रतिशत से ज्यादा हैं. इसके बाद यादव मतदाता 15 प्रतिशत और मुस्लिम वोटर्स लगभग 10 प्रतिशत हैं. 


नालंदा लोकसभा सीट पर जातीय समीकरण की बात करें तो कुर्मी वोटर करीब 4 लाख 50 हजार हैं. दूसरे नंबर पर यादव 3 लाख 35 हजार, मुस्लिम मतदाता करीब दो लाख , एक लाख 85 हजार बनिया मतदाता हैं. पासवान मतदाताओं की तादाद एक लाख 35 हज़ार के करीब है. कुशवाहा यानी कोइरी वोटर्स की संख्या भी एक लाख से ज्यादा है. चुनाव में सवर्ण मतदाता भी निर्णायक भूमिका में रहते हैं. 


नालंदा लोकसभा सीट की डेमोग्राफी और प्रशासनिक आंकड़े


वोटरों की संख्या की बात की जाए तो नालंदा लोकसभा में कुल 22 लाख 72 हजार 519 मतदाता है. इनमें 11 लाख 87 हजार 876 पुरुष, 10 लाख 84 हजार 572 महिला मतदाता है जबकि थर्ड जेंडर के 71 मतदाता भी शामिल है. 2355 वर्ग किलोमीटर में फैले नालंदा जिले की आबादी 28,77,653 है. साक्षरता दर 64.43 फीसदी है. नालंदा में प्रखंडों की संख्या 20 और गांव 1084 हैं. जिले में 5 नगरपालिकाएं हैं. नालंदा लोकसभा क्षेत्र में अस्थावन, बिहारशरीफ, राजगीर, इस्लामपुर, हिलसा, नालंदा और हरनौत सात विधानसभा सीट शामिल है. इनमें 


नालंदा लोकसभा सीट का चुनावी इतिहास, सियासी समीकरण


नालंदा लोकसभा सीट पर 1952 से 1971 तक कांग्रेस का कब्जा रहा. तीन बार सीपीआई भी इस सीट पर जीत का परचम लहरा चुका है. 1996 से 1999 तक जॉर्ज फर्नांडिस ने जीत की हैट्रिक लगाई. इसके बाद नीतीश कुमार ने 2004 में इस सीट पर जीत हासिल की. इसके बाद से आज तक जदयू प्रत्याशी जीत दर करते रहे हैं. 2009 से 2019 तक जदयू की टिकट पर कौशलेंद्र कुमार भी जीत की हैट्रिक लगा चुके हैं. लोकसभा चुनाव 2024 में भी एनडीए में जदयू का ही नालंदा सीट पर दावा रहने की पूरी संभावना है.


नालंदा लोकसभा क्षेत्र से अब तक चुने गए सांसदों की सूची


1952: कैलाशपति सिन्हा, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1957: कैलाशपति सिन्हा, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1962: सिद्धेश्वर प्रसाद, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1967: सिद्धेश्वर प्रसाद, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1971: सिद्धेश्वर प्रसाद, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1977: बीरेंद्र प्रसाद, भारतीय लोक दल
1980: विजय कुमार यादव, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी
1984: विजय कुमार यादव, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी
1989: रामस्वरूप प्रसाद, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1991: विजय कुमार यादव, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी
1996: जॉर्ज फ़र्नान्डिस, समता पार्टी
1998: जॉर्ज फ़र्नान्डिस, समता पार्टी
1999: जॉर्ज फ़र्नान्डिस, जनता दल (यूनाइटेड)
2004: नीतीश कुमार, जनता दल (यूनाइटेड)
2006: रामस्वरूप प्रसाद, जनता दल (यूनाइटेड) 
2009: कौशलेंद्र कुमार, जनता दल (यूनाइटेड)
2014: कौशलेंद्र कुमार, जनता दल (यूनाइटेड)
2019: कौशलेंद्र कुमार, जनता दल (यूनाइटेड)