PM Modi Rahul Gandhi Rally: दिल्ली में जैसे जैसे लोकसभा चुनावों के लिए मतदान की तारीख आ रही है, वैसे वैसे सियासी सरगर्मी बढ़ती जा रही है. आज राजधानी दो बड़ी चुनावी रैलियों का गवाह बनने जा रही है. एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी होंगे वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के नेता राहुल गांधी की रैली होगी. 18वीं लोकसभा चुनाव के लिए यह पीएम मोदी का दिल्ली में पहला चुनावी कार्यक्रम है. इसके अलावा राहुल गांधी का भी दिल्ली में ये बड़ा कार्यक्रम है.  


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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार आज हरियाणा और दिल्ली में चुनावी सभाएं करेंगे. मोदी दोपहर तीन बजे करीब अंबाला जाएंगे. वहां की रैली के बाद सोनीपत की जनसभा करके दिल्ली लौटेंगे, जहां शाम 6.30 बजे उत्तर पूर्वी दिल्ली के घोंडा में चुनावी जनसभा होगी. वहीं राहुल गांधी दिल्ली के रामलीला मैदान से हुंकार भरेंगे.


14 KM की दूरी, आधे घंटे का अंतर किस झुकेगा दिल्ली का वोटर?


दोनों नेताओं की रैली के आयोजन स्थल में करीब 14 किलोमीटर की दूरी है. वहीं दोनों सियासी दिग्गजों की जनसभा में किसकी रैली में ज्यादा भीड़ जुटेगी इससे इतर लोगों की दिलचस्पी ये जानने में होगी कि राहुल गांधी की रैली के मंच में अरविंद केजरीवाल क्यों नहीं होंगे? जबकि AAP और कांग्रेस में चुनाव पूर्व गठबंधन है. दिल्ली में इंडिया ब्लॉक के बैनर तले AAP 4 और कांग्रेस 3 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. वहीं राहुल गांधी चांदनी चौक लोकसभा क्षेत्र में पार्टी प्रत्याशी जेपी अग्रवाल के लिए चुनाव प्रचार करेंगे. इसके बाद राहुल गांधी शाम 6 बजे दिल्ली में चुनाव रैली संबोधित करेंगे. 


दिल्ली बीजेपी की ओर से कहा जा रहा है कि शनिवार की मोदी की रैली ऐतिहासिक होगी. पीएम मोदी की सभा शाम करीब साढ़े छह बजे शुरू होगी. वहीं कांग्रेस को भरोसा है कि AAP का कोर वोट उसे दिल्ली में ट्रांसफर होगा और इस तरह लंबे समय बाद उसका राजधानी में खाता खुल सकता है. गौरतलब है कि दिल्ली की सभी सातों सीटों पर मतदान 25 मई को होगा.


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केजरीवाल को जमानत मिलने से कांग्रेस के लिए 'मौका'?


इंडिया ब्लॉक के गठबंधन के तहत आप दिल्ली की 4 लोकसभा सीटों- पूर्वी दिल्ली, वेस्ट दिल्ली, साउथ दिल्ली और नई दिल्ली लोकसभा सीट पर जबकि कांग्रेस पार्टी 3- नॉर्थ ईस्ट दिल्ली, नॉर्थ वेस्ट दिल्ली और चांदनी चौक सीट पर चुनाव लड़ रही है. 


(दिल्ली की जंग)

AAP का दावा है कि केजरीवाल के जेल से बाहर आने पर दिल्ली की हवा बदल गई है इसलिए दिल्ली की सातों सीटों पर गठबंधन आगे चल रहा है. केजरीवाल भी दिल्ली में कांग्रेसी प्रत्याशियों के लिए वोट मांग रहे हैं. जबकि ये बात वो भी अच्छी तरह से जानते हैं कि जिन कांग्रेसी नेताओं को कभी वो पानी पी-पीकर कोसते थे. उन पर भ्रष्टाचारी होने का आरोप लगाते थे. अपने बच्चों की कसम खाकर ऐसे लोगों से दूरी बनाने की बातें किया करते थे. उन्हीं के साथ दूसरी बार मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला कारगर होगा या बैकफायर करेगा? इसका पता चार जून को ही चलेगा.


एक-दूसरे को वोट ट्रांसफर कराना आसान नहीं


दिल्ली में कीकत यही है कि मुस्लिम वोटों को छोड़कर सातों सीट पर आप और कांग्रेस दोनों के लिए अपने कट्टर समर्थकों का वोट एक-दूसरे को ट्रांसफर करवाना आसान नहीं होगा. दोनों दल एक-साथ प्रचार कर रहे हैं. लेकिन हकीकत ये है कि कुछ दिनों पहले तक दोनों के बीच ग्राउंड पर कोई तालमेल नहीं था. इसी तरह दिल्ली से सटे हरियाणा और पंजाब में भी बस नाम का गठबंधन है. हरियाणा की 10 लोकसभा सीटों में से AAP मात्र एक सीट (कुरुक्षेत्र) पर लड़ रही है तो पंजाब में आप और कांग्रेस एक दूसरे के खिलाफ सियासी अखाड़े में हैं. ये बात भी आजकल के जागरूक मतदाताओं से छिपी नहीं है.


आज शाम की अपनी अपनी रैलियों में पीएम मोदी और राहुल गांधी क्या कुछ नई बात करेंगे या वहीं पुराने मुद्दों पर एक दूसरे को घेरा जाएगा, ये देखना भी दिलचस्प होगा.