Paschim Champaran Lok Sabha Chunav Result 2024: लोकसभा चुनाव 2024 का शंखनाद हो चुका है. बिहार के 40 लोकसभा क्षेत्रों में एक पश्चिम चंपारण लोकसभा सीट पर छठे चरण में 25 मई को वोट डाले जाएंगे. महात्मा गांधी के सत्याग्रह की जन्मभूमि पश्चिम चंपारण लोकसभा क्षेत्र का गठन नए परिसीमन के बाद हुआ था. लोकसभा चुनाव 2009 में पहली बार इस सीट पर सांसद का चुनाव किया गया था. तब के भारतीय जनता पार्टी के डॉ संजय जायसवाल ने लगातार तीसरी बार इस सीट पर जीत हासिल की है. भाजपा ने जदयू के साथ मिलकर और उसके बिना यानी दोनों ही हालत में चुनाव जीता है.


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पश्चिमी चंपारण और पूर्वी चंपारण की तीन-तीन विधानसभा सीट को मिलाकर बना लोकसभा क्षेत्र


पश्चिम चंपारण लोकसभा क्षेत्र में नौतन, चनपटिया, बेतिया, रक्सौल, सुगौली और नरकटिया छह विधानसभा सीट शामिल हैं. इनमें पश्चिमी चंपारण और पूर्वी चंपारण की तीन-तीन विधानसभा सीट हैं. जिला निर्वाचन कार्यालय की ओर से बताया गया है कि पश्चिम चंपारण में लोकसभा चुनाव 3034 में 26 लाख 78 हजार 418 वोटर अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. इसमें महिला मतदाताओं की संख्या 12 लाख 57 हजार 097 है. वहीं,14 लाख 21 हजार 321 पुरुष मतदाता हैं. निर्वाचन विभाग ने मतदाता सूची से लेकर अन्य तैयारी पूरी कर ली है.


प्राकृतिक संपदाओं से संपन्न ऐतिहासिक जिले का धार्मिक महत्व


जल और वन संपदा से संपन्न ऐतिहासिक जिले का मुख्यालय बेतिया शहर है. यहां का वाल्मीकि नगर वन क्षेत्र माती सीता की शरणस्थली होने से अति पवित्र माना जाता है. रामायण काल में राजा जनक के समय यह तिरहुत प्रदेश का अंग था. बाद में छठी सदी ईसा पूर्व में वैशाली के साम्राज्य का हिस्सा बन गया. अजातशत्रु के द्वारा वैशाली को जीते जाने के बाद यह मौर्य वंश, कण्व वंश, शुंग वंश, कुषाण वंश तथा गुप्त वंश के अधीन रहा. उत्तर प्रदेश और नेपाल की सीमा से लगा चंपारण भारतीय स्वाधीनता संग्राम के दौरान काफी सक्रिय क्षेत्र रहा है.


महात्मा गांधी के नील आंदोलन और सत्याग्रह से जुड़ी पहचान


चंपा और अरण्य की संधि से बने चंपारण नाम वाला हिमालय की तराई का इलाका अंग्रेजों के खिलाफ महात्मा गांधी के नील आंदोलन और सत्याग्रह की मशाल जलाने से जुड़ा हुआ है. अब पूर्वी और पश्चिम जिले और लोकसभा क्षेत्र में बंटे इलाके में देश की आजादी के बाद लगातार तीन आम चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर कमलनाथ तिवारी जीतते रहे. कांग्रेस विरोधी लहर में  1977 में जनता पार्टी के फजीलुर रहमान विजयी हुए. 1980 में कांग्रेस फिर वापस आ गई.


लोकसभा चुनाव 1984 में आखिरी बार जीती थी कांग्रेस


बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में पूर्वी और पश्चिम चंपारण का निर्माण करनेवाले केदार पांडेय को लोगों ने सांसद के रूप में चुनकर दिल्ली भेजा. उनके बाद 1984 में उनके पुत्र मनोज पांडेय के सिर भी सांसद का ताज सजा. हालांकि, लेकिन वह कांग्रेस के आखिरी सांसद रहे. आम चुनाव1989 में वीपी सिंह की लहर में जनता दल यूनाइटेड के समाजवादी नेता धर्मेश वर्मा जीते. 1991 में फैयाजुल आजम और उसके बाद 1996 से लगातार तीन बार भाजपा नेता डॉ मदन प्रसाद जायसवाल सांसद रहे. लोकसभा चुनाव 2004 में राजद उम्मीदवार रघुनाथ झा ने उनकी जीत के पहिए को रोका. 


परिसीमन के बाद लगातार तीन बार से भाजपा का कब्जा


साल 2002 में परिसीमन आयोग की सिफारिशों के बाद 2008 में पश्चिम चंपारण लोकसभा क्षेत्र अस्तित्व में आया. इसके पहले बेतिया लोकसभा सीट में ज्यादातर इलाके शामिल थे. लोकसभा चुनाव 2009 के लिए लोगों ने मतदान किया. डॉ. मदन प्रसाद जायसवाल के पुत्र डॉ. संजय जासवाल 2009 से लगातार तीन बार जीतकर सांसद बनते आ रहे हैं. संजय जायसवाल बिहार भाजपा के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. इस बार भी भाजपा अपने कोटे की इस सीट पर जायसवाल पर ही दांव लगा सकती है. चुनाव से पहले जदयू एनडीए में वापस आ गया है. इससे सियासी समीकरणों में बदलाव हुआ है जौ महागठबंधन के लिए बड़ी चुनौती है.


कैसा था लोकसभा चुनाव 2014 और 2019 का जनादेश


लोकसभा चुनाव 2019 में डॉ. संजय जयसवाल को 6,03,706 वोट मिले थे. उनके प्रतिद्वंदी आरएलएसपी के बृजेश कुमार कुशवाहा को 3,09,800 वोट मिले थे. वहीं,  45,699 मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया था. इससे पहले लोकसभा चुनाव 2014 में पश्चिम चंपारण लोकसभा सीट से डॉ. संजय जायसवाल ने जदयू उम्मीदवार और फिल्म निर्देशक प्रकाश झा को हराया था. जायसवाल को 3,71,232 वोट और प्रकाश झा को 2,60,978 वोट मिले थे. तीसरे नंबर पर रहे राजद के रघुनाथ झा को 1,21,800 वोट मिले थे.