Phulpur Lok Sabha Election 2024: फूलपुर सीट पर बीजेपी ने मारी बाज़ी, यहीं से सांसद बना था बाहुबली अतीक अहमद
Phulpur Lok Sabha Chunav 2024 News: प्रयागराज में संगम से 30-35 किमी दूर है फूलपुर, जहां से पंडित नेहरू लोकसभा का चुनाव लड़ते थे. बाद में जातीय समीकरणों के चलते यहां से सपा-बसपा ने परचम लहराया. हालांकि मोदी लहर में यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने यहां कमल खिलाया. यह हाई प्रोफाइल सीट मानी जाती है.
Phulpur Lok Sabha Election 2024: यूपी की वो लोकसभा सीट पता है, जहां से कभी देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू चुनाव लड़ते थे? जी हां, प्रयागराज जिले की फूलपुर लोकसभा सीट हाई प्रोफाइल मानी जाती है. बाद में बाहुबली अतीक अहमद ने भी यहीं से चुनाव जीता. कुछ महीने पहले जब नीतीश कुमार एनडीए से बाहर थे तब उनके फूलपुर से चुनाव लड़ने की अटकलें लगाई जा रही थीं. 2014 के चुनाव में यूपी के मौजूदा डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य भी यहीं से जीत कर संसद पहुंचे थे. पहली बार यह सीट तब भाजपा के खाते में गई थी. इस बार क्या भाजपा जातीय समीकरणों को साध कर एक बार फिर 'कमल' खिला पाएगी?
फूलपुर लोकसभा चुनाव 2024 रिजल्ट
फूलपुर सीट पर 6वें चरण में वोटिंग हुई. 25 मई 2024 को कुल 48.91 प्रतिशत लोगों ने वोट डाले. सबसे कम वोटिंग इलाहाबाद नॉर्थ में हुई. नतीजे 4 जून को आएंगे.
भाजपा | - |
सपा (+कांग्रेस) | - |
बसपा | - |
पटेल, यादव और मौर्य वोटर ज्यादा
फूलपुर सीट पर चुनाव पूरी तरह जातीय समीकरण पर केंद्रित होता है. केशव प्रसाद मौर्य के आने से ही बड़ी संख्या में वोट एकजुट हुए थे और वह जबर्दस्त जीत हासिल करने में सफल रहे. 2019 के लोकसभा चुनाव में फूलपुर से केसरी देवी पटेल भाजपा से जीतीं. उन्होंने सपा के पंधारी यादव को हराया था. अक्सर यहां पटेल, यादव, मौर्य या मुस्लिम उम्मीदवार ही उतारे जाते हैं.
देश की प्रमुख लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों की लिस्ट देखिए
यहां कुल 20 लाख वोटर हैं. प्रयागराज शहर का भी कुछ हिस्सा फूलपुर सीट में शामिल है. हाल के वर्षों में फूलपुर से लेकर झूंसी तक सड़कें अच्छी हुईं. चौड़ीकरण का काम हुआ और माघ मेले के चलते सुंदरीकरण भी खूब हुआ. इससे जाम की समस्या से काफी हद तक निजात मिली है. फूलपुर में ही इफको प्लांट भी है. हां, एक बात और प्रयागराज जिले की दोनों लोकसभा सीट फिलहाल भाजपा के पास है.
प्रयागराज जिले का इतिहास यहां पढ़िए
हालांकि गांव के इलाकों में अब भी काफी पिछड़ापन है. शहर से 30 किमी दूर इस सीट पर मुस्लिमों की आबादी भी बड़ी भूमिका निभाती है.
खैर, भाजपा की पहली लिस्ट में यहां से कैंडिडेट घोषित नहीं हुआ. सपा की तरफ से भी प्रत्याशी को लेकर सस्पेंस बरकरार है. कांग्रेस के साथ गठबंधन के बाद यह सीट सपा के पास गई है. कई पूर्व विधायक और सांसद सपा का टिकट मांग रहे हैं. उधर सपा की सहयोगी अपना दल कमेरावादी की मुखिया कृष्णा पटेल का नाम भी चर्चा में आ गया है. इसकी बड़ी वजह यह है कि उनके पति यानी मोदी सरकार में मंत्री अनुप्रिया पटेल के पिता सोने लाल पटेल इसी सीट से चुनाव लड़ते थे.
1952 | जवाहर लाल नेहरू | कांग्रेस |
1957 | जवाहर लाल नेहरू | कांग्रेस |
1962 | जवाहर लाल नेहरू | कांग्रेस |
1964 | विजय लक्ष्मी पंडित | कांग्रेस |
1967 | विजय लक्ष्मी पंडित | कांग्रेस |
1969 | जनेश्वर मिश्र | संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी |
1971 | विश्वनाथ प्रताप सिंह | कांग्रेस |
1977 | कमला बहुगुणा | जनता पार्टी |
1980 | बीडी सिंह | जनता पार्टी (सेक्युलर) |
1984 | राम पूजन पटेल | कांग्रेस |
1989 | राम पूजन पटेल | जनता दल |
1991 | राम पूजन पटेल | जनता दल |
1996 | जंगबहादुर पटेल | सपा |
1998 | जंगबहादुर पटेल | सपा |
1999 | धर्मराज पटेल | सपा |
2004 | अतीक अहमद | सपा |
2009 | कपिल मुनि करवरिया | बसपा |
2014 | केशव प्रसाद मौर्य | भाजपा |
2018 | नागेन्द्र प्रताप पटेल | सपा |
2019 | केशरी देवी पटेल | भाजपा |