Rahul Gandhi on Reservation: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आरक्षण को लेकर अब बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर हमला बोला है. दमन दीव में राहुल ने कहा, 'आरएसएस और बीजेपी एक आरक्षण विरोधी नेताओं का एक गैंग बना रहे हैं और अगर वे दोबारा सत्ता में आए तो आरक्षण खत्म कर देंगे. भाजपा के लोग आरक्षण पर और संविधान पर आक्रमण कर रहे हैं और इसको खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं. यह बिल्कुल गलत है और हम यह कभी नहीं होने देंगे.'


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राहुल ने बोला हमला


राहुल ने कहा, 'संविधान कहता है कि देश के सभी लोगों को एक जैसा अधिकार मिलना चाहिए. संविधान से करोड़ों लोगों को आरक्षण मिला. देश की सारी संस्थाएं संविधान से निकली. अब नरेंद्र मोदी और RSS चाहते हैं कि लोकतंत्र और संविधान ख़त्म किया जाए और अपने लोगों को देश का राजा बनाया जाए. आज देश के शिक्षण संस्थानों में RSS के लोग बैठे हुए हैं, जिनका शिक्षा से कोई लेना-देना नहीं है.'


वहीं राहुल के इस बयान पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि कुछ समूहों को दिए गए आरक्षण का कभी भी आरएसएस ने विरोध नहीं किया. भागवत ने कहा कि संघ की राय ये है कि जब तक जरूरत हो, आरक्षण को बढ़ाया जाना चाहिए. इससे पहले पिछले साल भी नागपुर में मोहन भागवत ने कहा था कि समाज में भेदभाव है और आरक्षण तब तक जारी रहना चाहिए. 


आरएसएस का क्या स्टैंड रहा है आरक्षण पर?


आरक्षण पर संघ का स्टैंड बदलता रहा है. मोहन भागवत आज भले ही आरक्षण देने की वकालत कर रहे हैं. लेकिन 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने आरक्षण नीति में समीक्षा की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि एक अराजनीतिक समिति बनाई जानी चाहिए, जो यह देखे कि आरक्षण का फायदा किन लोगों को और कितने समय तक मिलना चाहिए. उस वक्त आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने अपनी रैलियों में मोहन भागवत के बयानों को लेकर बीजेपी की जमकर आलोचना की थी. 2014 में गाजे-बाजे के साथ पूर्ण बहुमत से जीतकर आने वाली बीजेपी 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में बुरी तरह हारी.


उस वक्त पीएम मोदी, अमित शाह और अन्य बीजेपी नेताओं ने डैमेज कंट्रोल की पूरी कोशिश की और यहां तक कहा कि मोदी सरकार आरक्षण जारी रखेगी. लेकिन उस चुनाव में जहां बीजेपी की सीटें घटकर 53 रह गईं जबकि महागठबंधन (आरजेडी-कांग्रेस और जनता दल) की सीटों की संख्या 178 तक पहुंच गई. 


बीजेपी की हार की वजह बना था बयान


सियासी पंडित मानते हैं कि कहीं ना कहीं बीजेपी की हार में बयान का भी हाथ था. इसके बाद 2017 में भागवत के आरक्षण की समीक्षा वाले बयान पर संघ के तत्कालीन प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य ने कहा था, आरक्षण समानता के सिद्धांत के खिलाफ है, उनको मौके दीजिए, रिजर्वेशन नहीं.


उसके बाद बीजेपी ने अपनी इस गलती से सबक सीखा. साल 2019 में पीएम मोदी ने एक रैली में कहा था कि जब तक वे हैं तब तक पिछड़े वर्गों को मिले बाबा साहेब के आरक्षण को कोई नहीं छू सकता.


बदल गया आरएसएस का स्टैंड


इसके बाद बीजेपी ने आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों के लिए 10 फीसदी आरक्षण लाने का ऐलान किया था. इसके बाद बीजेपी और संघ नेताओं के सुर बदल गए. अगर संघ के 100 साल का इतिहास देखें तो संघ के किसी नेता ने नहीं कहा कि आरक्षण जारी रहना चाहिए. भागवत पहले आरक्षण के समर्थन में नहीं थे. 


हालांकि 2014 में उन्होंने एक किताब के विमोचन में कहा था कि आरक्षण तब तक मिलना चाहिए तब तक इसका फायदा ले रहा समाज को उसकी जरूरत महसूस होती रहे. उनका हजारों वर्षों से उत्पीड़न होता आ रहा है. वही बताएगा कि उसे कब तक आरक्षण मिले. हालांकि 2019 के बाद से देखें तो आरक्षण पर आरएसएस के स्टैंड में बदलाव आया है. भागवत का ताजा बयान भी इसी कड़ी का हिस्सा है.