Ravneet Singh Bittu: तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेकर नरेंद्र मोदी ने रविवार को इतिहास रच दिया है. उनके अलावा 71 और नेताओं ने कैबिनेट मंत्री की शपथ ली. इन मंत्रियों में एक ऐसे भी हैं, जो चुनाव हार गए लेकिन बावजूद इसके उनको मोदी 3.0 सरकार में राज्य मंत्री बनाया गया है. ये नेता हैं लुधियाना लोकसभा सीट से शिकस्त पाने वाले रवनीत सिंह बिट्टू. रवनीत सिंह बिट्टू के लिए पिछले महीने एक चुनावी रैली में अमित शाह ने प्रचार किया था और वादा किया था कि उनको एक बड़ा आदमी बनाएंगे.


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शपथ पढ़ते हुए छूट गया एक शब्द


लेकिन बिट्टू के साथ शपथ ग्रहण के दौरान एक वाकया हुआ, जिस पर राष्ट्रपति ने उनको टोका. दरअसल जब रवनीत सिंह बिट्टू शपथ ले रहे थे तो उसे पढ़ते हुए उनसे एक शब्द छूट गया, जिसके बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उनको वह शब्द बुलवाया. दरअसल बिट्टू ने अंग्रेजी में शपथ ली और इस दौरान उनसे conscientiously शब्द छूट गया, जिसका हिंदी में मतलब होता है शुद्ध अंतःकरण से. जब राष्ट्रपति ने पाया कि रवनीत बिट्टू ने यह शब्द नहीं बोला तो उन्होंने वह शब्द बोला, जिसके बाद बिट्टू ने उसे ठीक करते हुए वह शब्द ठीक से बोला. 



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दरअसल 48 साल के बिट्टू लुधियाना लोकसभा सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार और प्रदेश इकाई के प्रमुख अमरिंदर सिंह राजा वडिंग से 20,942 मतों के अंतर से हार गए. इस साल मार्च में वह बीजेपी में शामिल हुए थे, जिस पर कई कांग्रेस नेताओं ने हैरानी जताई थी.


पार्टी में शामिल होने के समय बिट्टू ने प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की तारीफ करते हुए कहा था कि उन्हें पंजाब से बहुत लगाव है और वे राज्य के लिए बहुत कुछ करना चाहते हैं. भाजपा ने उनको चुनाव में लुधियाना लोकसभा सीट से मैदान में उतारा. 


शाह को बिट्टू ने बताया था दोस्त


चुनाव प्रचार के दौरान बिट्टू ने शाह को अपना दोस्त बताया था, जिसके जवाब में शाह ने बिट्टू को 'बड़ा आदमी' बनाने का वादा किया था. शाह ने लुधियाना रैली में कहा था, "इसे (बिट्टू को) लुधियाना से दिल्ली की संसद में भेजिए, इसको बड़ा आदमी बनाने का काम मैं करूंगा." बिट्टू को मोदी मंत्रिमंडल में मंत्री बनाने का बीजेपी का कदम इसलिए अहम है क्योंकि पार्टी पंजाब में अपनी पैठ बढ़ाना चाहती है. 


बिट्टू दिवंगत स्वर्णजीत सिंह के बेटे हैं, जो पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पांच बच्चों में से एक थे. बिट्टू के चचेरे भाई गुरकीरत सिंह कोटली अब भी कांग्रेस में हैं. खालिस्तान समर्थक नेताओं के खिलाफ अपने कड़े विचारों के लिए जाने जाने वाले बिट्टू ने अपने दादा की हत्या के मामले में दोषी बलवंत सिंह राजोआना की रिहाई की मांग का भी विरोध किया था.


(एजेंसी इनपुट के साथ)