Sanjay Nirupam: शिवसेना में सबसे बड़े उत्तर भारतीय फेस थे संजय निरुपम, बाल ठाकरे ने क्यों मांग लिया था इस्तीफा?
Lok Sabha Chunav: आजकल संजय निरुपम काफी चर्चा में हैं. मुंबई में फर्राटेदार मराठी बोलने वाला यह नेता अब कांग्रेस से बाहर हो गया है. आज वह कुछ बड़ा खुलासा करने वाले हैं. कम लोगों को पता है कि निरुपम बिहारी हैं और कुछ इसी तरह दो दशक पहले उन्हें शिवसेना से इस्तीफा देना पड़ा था.
Sanjay Nirupam History: रौबदार मूंछें, माथे पर लाल तिलक, हाथ में कलावा... जितनी तेजी से हिंदी उतनी ही रफ्तार में मराठी बोलते हैं संजय निरुपम. कुछ दिन पहले तक कांग्रेस में थे, पर अब 'पूर्व' हो गए हैं. जैसे कांग्रेस से संजय निरुपम विदा हुए, करीब 20 साल पहले वैसे ही शिवसेना से रुख्सत हुए थे. तब शिवसेना से राज्यसभा भेजे जाने वाले वह पहले उत्तर भारतीय थे. हां, निरुपम बिहार से ताल्लुक रखते हैं. उनका जन्म रोहतास जिले में हुआ था. शिवसेना में यह उत्तर भारतीय चेहरा कई वर्षों तक पार्टी के मुखपत्र 'दोपहर का सामना' का एडिटर रहा.
किसे नाराज किया था निरुपम ने?
वह पत्रकार से नेता बने थे. तब आरोप लगे थे कि नॉन-मुंबईकरों के साथ शिवसेना में अच्छा व्यवहार नहीं किया जाता. हालांकि मुंबई में रहने वाले 'भैया' (यूपी-बिहार के लोगों के लिए संबोधित किया जाता है) के बीच निरुपम की अच्छी लोकप्रियता था. बताते हैं कि एक वरिष्ठ भाजपा नेता को निरुपम ने नाराज कर दिया और इस कारण बाला साहेब ठाकरे ने उनसे इस्तीफा मांग लिया था.
प्रमोद महाजन नाराज हुए थे?
ये कहानी 2005 की है. गर्मियों का मौसम शुरू हो रहा था. उधर, शिवसेना और उसके राज्यसभा सदस्य संजय निरुपम के बीच तनातनी बढ़ रही थी. तब ऊपरी तौर पर कहा गया कि निरुपम के बिहारी मूल के होने के कारण शायद कोई गतिरोध हुआ होगा. लेकिन ऐसा नहीं था. उस समय की मीडिया रिपोर्ट में साफ बताया गया है कि निरुपम एक महत्वपूर्ण मुद्दे को राज्यसभा में उठाना चाहते थे. यह एक बिजनसमैन से जुड़ा था जो महाराष्ट्र से आने वाले भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रमोद महाजन के करीबी थे.
बताते हैं कि महाजन ने कथित तौर पर बाल ठाकरे से बात की. मामला यहां तक पहुंच गया कि प्रमोद महाजन ने साफ कह दिया कि अगर निरुपम चुप नहीं हुए तो महाराष्ट्र में गठबंधन टूट जाएगा. ठाकरे ने निरुपम को रोकने की कोशिश की. हालांकि निरुपम अपनी बात पर अड़े रहे. तत्कालीन शिवसेना चीफ ने तब उनसे इस्तीफा मांग लिया था. हालांकि शिवसेना के वरिष्ठ नेताओं ने कहा था कि उन्हें निकाल दिया गया था.
महाजन से निरुपम ने खुद पूछ लिया
उस समय निरुपम के करीबियों के आधार पर मीडिया में खबर आई कि उन्होंने महाजन से खुद पूछ लिया. महाजन ने साफ कहा था कि उन्होंने किसी से कोई आपत्ति दर्ज नहीं कराई. निरुपम ने तब कहा था कि उनकी अपनी पार्टी इस टिप्पणी को वापस लेने के लिए दबाव बना रही थी. उन्होंने मना किया और पार्टी छोड़नी पड़ी. तब निरुपम का उच्च सदन में एक साल कार्यकाल बचा हुआ था.
इस बार भी वजह शिवसेना ही
इस बार संजय कांग्रेस से अलग हुए तो उसकी वजह भी शिवसेना ही थी. हां, उद्धव सेना. उन्होंने दावा किया था कि कांग्रेस ने उद्धव सेना के सामने सरेंडर कर दिया है. खबर आई कि यह बात उद्धव ठाकरे को नागवार गुजरी और कांग्रेस हाईकमान तक वो नाराजगी पहुंच गई.
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कांग्रेस से निष्कासित किए जाने के बाद पूर्व सांसद ने कहा कि पार्टी नेतृत्व में जबरदस्त अहंकार है. संजय ने कहा कि कांग्रेस अब इतिहास बन चुकी है और उसका कोई भविष्य नहीं है. निरुपम ने यह भी कहा कि कांग्रेस में पांच 'पॉवर सेंटर' हैं... महा विकास आघाडी तीन 'बीमार इकाईयों' का एक विलय है. एक ट्वीट में संजय ने लिखा, 'कांग्रेस से मुक्ति मिलने के बाद आज मन बहुत हल्का लग रहा है. ऐसा लगता है कि सीने पर से एक बोझ उतर गया.' वह पिछले एक हफ्ते से कई चैनलों पर आकर कांग्रेस पर अटैक कर रहे हैं.
अब भाजपा में या...
संजय निरुपम कांग्रेस से अलग होते ही 'जय श्री राम' का नारा लगा रहे हैं. मुंबई उत्तर-पश्चिम लोकसभा सीट से उम्मीदवार नहीं बनाए जाने से वह कांग्रेस से नाराज हो गए थे. अब अटकलें लगाई जा रही हैं कि वह भाजपा या शिंदे सेना में शामिल हो सकते हैं. हालांकि भाजपा के लिए यह फैसला लेना आसान नहीं होगा क्योंकि कांग्रेस में रहते हुए निरुपम ने एयर स्ट्राइक के सबूत मांगे थे.
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