Lok Sabha Chunav: मायावती के लिए खतरे की घंटी हैं ये आंकड़े, आकाश आनंद करेंगे कमाल या खत्म हो जाएगा BSP का अस्तित्व?
Lok Sabha Chunav 2024: बसपा प्रमुख मायावती चुनावी रैलियों से दूर नजर आ रही हैं. हालांकि, अब उनके भतीजे आकाश आनंद ने मोर्चा संभाल लिया है, लेकिन सवाल है कि क्या आनंद बसपा को उस मुकाम पर ले जा पाएंगे, जिस पर मायावती लेकर गई थीं.
Written BySumit Rai|Last Updated: Apr 07, 2024, 12:22 PM IST
BSP Political Future: लोकसभा चुनाव 2024 के पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को होगा. ऐसे में सभी राजनीतिक पार्टियों के बड़े नेता सियासी गलियारों में धुआंधार चुनाव प्रचार करने में जुटे हैं. लेकिन, इस बीच बहुजन समाज वादी पार्टी (BSP) की प्रमुख मायावती चुनावी रैलियों से दूर नजर आ रही हैं. मायावती के भतीजे आकाश आनंद ने शनिवार को नगीना में चुनावी जनसभा को संबोधित किया. आनंद पहली बार चुनावी मैदान में उतरे और बसपा के ले लिए वोट करने की अपील की. लेकिन, चुनावी रैलियों से मायावती की दूरी से सवाल उठ रहे हैं कि क्या आनंद बसपा को उस मुकाम पर ले जा पाएंगे, जिस पर मायावती लेकर गई थीं. इसके साथ ही सवाल उठने लगा है कि चुनाव में देर से जगने से बसपा को क्या नुकसान होने वाला है. क्योंकि, पिछले कुछ चुनावों में बीएसपी के प्रदर्शन पर नजर डालें को पार्टी के अस्तित्व पर खतरा मंडराता दिख रहा है. चलिए आपको आंकड़ों में बताते हैं कि बसपा और मायावती के लिए लोकसभा चुनाव 2024 क्यों खतरे की घंटी है.
विधानसभा चुनावों में एक भी सीट नहीं जीत पाई BSP
लोकसभा चुनाव से पहले पिछले साल दिसंबर में हुए विधानसभा चुनावों में भी बसपा को तगड़ा झटका लगा था. पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई थी. बसपा के मत प्रतिशत भी गिरावट आई थी. बसपा को राजस्थान में 1.82 फीसदी, मध्य प्रदेश में 3.4 फीसदी, छत्तीसगढ़ में 2.09 फीसदी, राजस्थान में 1.82 फीसदी और तेलंगाना में 1.38 फीसदी वोट मिले. वहीं, 2018 में इन राज्यों में बसपा को 5.01 फीसदी वोट मिले थे.
यूपी विधानसभा में भी 1993 के बाद सबसे खराब प्रदर्शन
साल 2022 में उत्तर प्रदेश में हुए विधानसभा चुनावों में भी बहुजन समाज पार्टी (BSP) का प्रदर्शन बेहद खराब रहा था. पार्टी सिर्फ 1 सीट पर ही जीत दर्ज कर पाई थी. बसपा का वोट शेयर भी काफी गिर गया और 1993 के बाद से अपने सबसे कम वोट शेयर पर पहुंच गई. हार के बाद से बसपा राजनीतिक चर्चा से काफी हद तक गायब हो गई, लेकिन अब सारी जिम्मेदारी आकाश आनंद पर है, लेकिन उनके लिए बसपा को जीत दिलाना आसान नहीं होगा.
2019 में सपा से गठबंधन का बसपा को हुआ था प्रदर्शन
साल 2012 में उत्तर प्रदेश की सत्ता गंवाने के बाद बहुजन समाज पार्टी (BSP) की स्थित खराब होती चली गई. पार्टी 2014 के लोकसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत पाई. हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनाव में मायावती ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया और बसपा ने यूपी में 10 सीटों पर जीत दर्ज कर वापसी की. लेकिन, ये गठबंधन अब टूट चुका है और बसपा की आगे की राह आसान नहीं है.
2009 के बाद लगातार गिरा है बसपा का वोट शेयर
विधानसभा चुनाव में ही नहीं, लोकसभा चुनाव में भी बसपा (BSP) का वोट शेयर लगातार गिर रहा है. अब तक बसपा ने साल 2009 में सबसे ज्यादा वोट हासिल किए थे और यूपी की 80 लोकसभा सीटों पर उसका वोट शेयर 27.42 प्रतिशत था. इसके बाद 2014 में गिरकर या 19.62 प्रतिशत पर पहुंच गया. 2019 के चुनाव में बसपा ने 10 सीटों पर जीत दर्ज की, लेकिन उसका वोट शेयर 2014 के मुकाबले कम हो गया. 2019 के चुनाव में बसपा को 19.26 प्रतिशत वोट मिले. इससे पहले बसपा का वोट शेयर 2004 में 24.67 प्रतिशत, 1999 में 22.08 प्रतिशत, 1998 में 20.9 प्रतिशत, 1996 में 20.61 प्रतिशत और 1991 में 8.7 प्रतिशत था.
तो क्या 2024 में खत्म हो जाएगा बसपा का अस्तित्व?
2024 के लोकसभा चुनाव के लिए सभी विपक्षी दलों ने मिलकर I.N.D.I.A. गठबंधन बनाया है, लेकिन बसपा इस गठबंधन का हिस्सा नहीं है. इसके बाद यह देखना है कि क्या पार्टी 2019 के अपने प्रदर्शन को बरकरार रख पाती है. या 2022 के विधानसभा चुनाव और 2014 के लोकसभा चुनाव की तरह इस लोकसभा चुनाव में भी अपने खराब स्तर पर पहुंच जाती है. उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में बैक-टू-बैक दो चुनावों में इस तरह की हार एक गंभीर राजनीतिक दल के रूप में बीएसपी के अंत की शुरुआत हो सकती है.
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