Lok Sabha Chunav: तब नेहरू की शादी में ट्राम से आए थे बाराती, चांदनी चौक का इश्क थी वो ट्रेन
Kissa Kursi Ka: चांदनी चौक-टु-चाइना से लेकर कई फिल्मों में पुरानी दिल्ली की चर्चा हुई. यहां के सीन दिखाए गए. यहां का ट्रैफिक लोगों को परेशान भी करता है. ऐसे में ट्राम की चर्चा गाहे-बगाहे होती रहती है. एक दौर था जब भीड़ कम थी और ट्राम यहां की गलियों में दौड़ती थी. एक किस्सा नेहरू की शादी का भी है.
Delhi Tram and Lok Sabha Chunav: पुरानी दिल्ली या कहें दिल्ली का चांदनी चौक. यह ख्याल मन में आते ही कई लोग यादों में चले जाते हैं. यहां की गलियों से लोगों को इश्क है. कई लोगों के लिए ये इलाका ही प्रेम कथा का रूमानी चैप्टर है. एक बार IAS विवेक श्रोत्रिय ने लिखा था, 'चांदनी चौक- एक प्रेम कथा. घंटाघर निहारता था. ट्राम इतरा कर बाजू से गुजरती थी.' यह तस्वीर उसी दौर की याद दिलाती है. अब लोकसभा चुनाव का मौसम आया है तो फिर से वो तस्वीरें याद आने लगी हैं. नेताजी फिर से कहने लगे हैं कि जाम की समस्या से निजात दिलाने के लिए ट्राम चलाई जाएगी. क्या सच में दिल्लीवालों का वो इश्क फिर से लौटने वाला है?
अब भाजपा का वादा
इस बार वादा भाजपा कैंडिडेट प्रवीन खंडेलवाल ने किया है. हकीकत यह है कि पिछले 60 साल में चांदनी चौक काफी कुछ बदल चुका है. ऐसे में उसकी व्यवहारिकता पर सवाल उठाए जा रहे हैं. इससे पहले चांदनी चौक सीट से जीते कपिल सिब्बल और आप की विधायक रहीं अलका लांबा भी ट्राम दौड़ाने का वादा कर चुकी हैं.
100 साल पहले का वो इश्क
यह कहानी आज से 100 साल से भी ज्यादा पहले की है. आपको जानकर ताज्जुब होगा कि दिल्ली में ट्राम 1908 में ही आ गई थी. तब दिल्ली में ट्राम का विस्तार 24 किमी के दायरे में था. यह ट्रेन दिल्लीवालों का इश्क हुआ करती थी. जैसे आजकल मेट्रो को दिल्ली की लाइफलाइन कहा जाता है तब ट्राम दौड़ती थी. ट्राम का एक दिलचस्प किस्सा भी है. 1916 में पुरानी दिल्ली में जब पंडित जवाहरलाल नेहरू की शादी हो रही थी, तो उसमें आए काफी बाराती भी ट्राम से आए थे. तब किराया तीन पैसा, छह पैसा और 12 पैसा हुआ करता था.
घंटाघर इससे भी पहले 1870 में बन गया था. 1960-62 तक ट्राम चलती रही, उसके बाद यह इतिहास के पन्नों में सिमटकर रह गई.
ट्राम का रूट
तब यह ट्राम चांदनी चौक, खारी बावली, फतेहपुरी, सदर बाजार, अजमेरी गेट, पहाड़गंज, जामा मस्जिद, चावड़ी बाजार, लाल कुआं, कटरा बादियान, फतेहपुरी और सिविल लाइंस को जोड़ती थी. तब कई खेत रेलवे स्टेशन में तब्दील हो गए थे.
क्या फिर से ट्राम चल पाएगी?
असंभव तो कुछ नहीं है लेकिन लोगों का तर्क है कि ट्राम चलाना अब आसान नहीं है. इसके लिए चांदनी चौक में काफी कुछ बदलाव करना पड़ेगा. सड़क के बीच में ट्रांसफॉर्मर आ गए हैं. ऐसे कई व्यवधान हैं जिससे ट्राम का प्रस्ताव अभी चुनावी वादा ही ज्यादा लगता है लेकिन भाजपा प्रत्याशी के दावे से चर्चा जोर पकड़ने लगी है. यहां जाम की समस्या से हर कोई दो चार होता है. प्रवीन खंडेलवाल का कहना है कि इसका प्रस्ताव बना था. उसकी स्टडी कर आगे बढ़ा दिया जाएगा. वैसे अभी चांदनी चौक इलाके में दिल्ली मेट्रो का एक स्टेशन है, जहां से बड़ी संख्या में लोग आते जाते हैं.
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उधर, सोशल मीडिया पर 'चांदनी चौक ट्राम' लिखिए तो कुछ साल पुरानी अखबारों की कतरन मिल जाएगी जिसमें नेताओं के बयान छपे हैं जो चांदनी चौक में ट्राम का वादा कर रहे थे. कुछ समय पहले सत्येंद्र जैन ने भी कहा था कि बिजली से चलने वाली ट्राम फिर से चलाई जाएगी. 2015 से 2018 तक कई बार ऐसी बयानबाजी की जा चुकी है. खैर, इसी बहाने दिल्लीवालों को पिछली पीढ़ी की लाइफलाइन रही ट्राम फिर से याद आ गई.
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