Atal Bihari Vajpayee On Congress: 1999 के लोकसभा चुनाव हो रहे थे. अटल बिहारी वाजपेयी हरियाणा में रैली करने गए. डेढ़ साल बाद फिर से चुनाव की नौबत आ गई थी. वाजपेयी ने उन परिस्थितियों की चर्चा करते हुए कहा कि 40 साल तक हम विरोध में थे. कभी हमने मर्यादा का उल्लंघन नहीं किया. कभी हमने सिद्धांतों के साथ सौदा नहीं किया लेकिन हमारे साथ कैसा व्यवहार हुआ जब हम सत्ता में थे? सरकार बनी लेकिन विरोधी दल ने अपना कर्तव्य नहीं निभाया. तब एक वोट से वाजपेयी सरकार गिर गई थी. अटल ने आगे कांग्रेस सरकार के समय का एक किस्सा सुनाया जब नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री थे और वह भारत के दूत बनकर जेनेवा गए थे. यह नजारा देख पाकिस्तानी दंग रह गए थे. सरकार किसी दल की और प्रतिनिधि विपक्ष का आया था. यह देश की एकता का अद्भुत उदाहरण था. 


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नरसिम्हा राव के जमाने में...


हरियाणा रैली में वाजपेयी ने कहा कि कुर्सी के लिए हमने लोकतंत्र के साथ कभी खिलवाड़ नहीं किया. विरोधी दल में होते हुए जहां सरकार की मदद करना आवश्यक था, हमने मदद की. बांग्लादेश की लड़ाई हुई, हमने सरकार की पूरी सहायता की. उन्होंने कहा कि विरोधी दल का काम केवल विरोध के लिए विरोध करना नहीं है. नरसिम्हा राव जी के जमाने में पाकिस्तान मानवाधिकारों के उल्लंघन का सवाल जेनेवा में ले गया था. इस बात की आशंका थी कि वहां हमारे खिलाफ एक प्रस्ताव पास हो जाएगा. 


भारत से प्रतिनिधिमंडल भेजने की जरूरत थी. नेता कौन हो, यह सवाल था. नरसिम्हा राव ने मेरे पास समाचार भेजा कि आप नेता बनकर जेनेवा जाने के लिए तैयार हैं क्या? भारत का पक्ष प्रस्तुत करने के लिए तैयार हैं? मैंने कहा कि आप पुछवा क्यों रहे हैं, पूछ क्यों रहे हैं? अगर देश के हित में दुनिया के किसी भी कोने में जाना पड़ेगा तो मैं जाऊंगा. और वहां जाने का यह परिणाम हुआ कि पाकिस्तानी देखकर हक्का-बक्का रह गए. सारा हिंदुस्तान जैसे प्रतिनिधित्व के रूप में वहां खड़ा था. मतभेद भुला दिए गए थे. सब साथ हो गए थे. और नतीजा ये हुआ कि पाकिस्तान वहां प्रस्ताव पास नहीं करा सका. ये हमारी भूमिका रही है. 


बार-बार चुनाव क्यों?


उन्होंने कहा कि अभी 14-15 महीने पहले लोकसभा के चुनाव हुए थे. 5 साल के लिए लोकसभा चुनी गई थी लेकिन फिर चुनाव हो रहे हैं. ये अस्थिरता क्यों पैदा हुई? इतनी जल्दी-जल्दी हमारे देश में क्यों चुनाव हो रहे? चुनाव एक महंगी प्रक्रिया है. अरबों रुपया खर्च होता है. अस्थिरता के कारण शासन पर भी अच्छा असर नहीं पड़ता. पिछले चुनाव में किसी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था लेकिन भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी. हमने कांग्रेस को पीछे पछाड़ दिया था. कांग्रेस के पराभव का प्रारंभ हो गया था. सत्ता के केंद्रीकरण की उनकी नीति देश को पंगु बना रही थी. कांग्रेस हारी. राष्ट्रपति ने हमें बुलाया. सबसे बड़ी पार्टी के नाते बुलाया कि आइए सरकार बनाइए. हमने कहा कि हमारी संख्या थोड़ी कम है आप किसी और को निमंत्रण दीजिए. 


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अटल ने कहा कि लेकिन कोई तैयार नहीं था. गठबंधन करके भी उन्होंने देख लिया था कि उनकी सरकार टिकेगी नहीं. अगर उस समय हम सरकार बनाने का निमंत्रण स्वीकार न करते तो उसी समय मध्यावधि चुनाव हो सकते थे. हमने इसको टाला. हमने मित्र दलों का सहयोग लिया, तेलुगु देशम का सहयोग लिया और बहुमत प्राप्त करके दिखाया. अर्थव्यवस्था की हालत भी बिगड़ रही थी. 


उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार बनाने का जिम्मा ले सकती थी लेकिन उसने ऐसा केवल इसलिए नहीं किया कि बहुमत नहीं था बल्कि इसलिए भी किया कि देश की हालत खराब थी. 


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