Barmer Lok Sabha Seat News: राजस्थान में पिछले लोकसभा लोकसभा चुनाव में 25 में से 24 सीटें जीतने वाली बीजेपी पूरी तरह आश्वस्त थी कि वह इस बार भी ऐसा ही प्रदर्शन दोहराने में कामयाब रहेगी. उसकी उम्मीदों की वजह हाल में संपन्न हुए असेंबली चुनाव में बीजेपी की प्रचंड जीत थी. लेकिन अब उसकी यह उम्मीद संशय में बदल गई है. पार्टी नेताओं की नींद उसके ही एक बागी उम्मीदवार ने उड़ा रखी है. ये उम्मीदवार है, बाड़मेर से निर्दलीय प्रत्याशी रविंद्र सिंह भाटी. रविंद्र भाटी की रैलियों में भारी भीड़ देखने के बाद इस सीट पर मुकाबला बेहद कड़ा हो गया है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

नामांकन रैली में उमड़ी भारी भीड़


कहने को ये प्रत्याशी निर्दलीय हैं लेकिन रैलियों में भीड़ इतनी कि तस्वीरें देख बड़े बड़े राजनेताओं के सिर में दर्द हो जाएं. जिसकी रैलियों की वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हैं और तस्वीरें हर जगह छाई हैं. वो हैं बाड़मेर से निर्दलीय प्रत्याशी रविंद्र सिंह भाटी. 


रविंद्र सिंह भाटी बीजेपी के ऐसे बागी हैं जो आज उसी को बड़ी चुनौती दे रहे हैं. उनके नामांकन के दौरान उमड़े जनसैलाब ने सियासत में मानो भूचाल सा ला दिया. इसकी तस्वीरें देखकर कांग्रेस और बीजेपी के तमाम नेता परेशान है. माना जा रहा है कि रविंद्र सिंह भाटी कांग्रेस और भाजपा दोनों की जीत में सबसे बड़ा रोड़ा बनकर खड़े हो गए हैं. 


बीजेपी नेता कैलाश चौधरी परेशानी में


बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले के हालात बन गए हैं. जहां बीजेपी ने कैलाश चौधरी जबकि कांग्रेस ने उम्मेदाराम बेनीवाल को अपना उम्मीदवार बनाया है. वहीं, बीजेपी के बागी रविंद्र सिंह भाटी भी चुनावी मैदान में हैं. जो कि जीत का दावा भर रहे हैं. 


रविंद्र भाटी की वायरल तस्वीरों के बीच अब उनके लिए एक बड़ी मुसीबत भी खड़ी हो गई हैं. रविंद्र सिंह भाटी की बीजेपी ने चुनाव आयोग से शिकायत की है. बीजेपी का आरोप है कि निर्दलीय रविंद्र सिंह भाटी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम, फोटो और बीजेपी का चुनाव चिन्ह इस्तेमाल कर रहे हैं. 


निर्दलीय लड़कर जीता हर चुनाव


दरअसल, सोशल मीडिया पर एक पोस्टर वायरल हो रहा है, जिसमें लिखा है "मोदी का परिवार." साथ ही रविंद्र सिंह भाटी का नाम और फोटो भी है. नीचे बीजेपी का चुनाव चिन्ह कमल भी दिया हुआ है. इस मुद्दे को आधार बनाकर बीजेपी अब उन्हें कानूनी तरीके से घेरने में जुट गई है. 


रविंद्र सिंह भाटी के सियासी सफर की अगर बात की जाए तो 26 साल की उम्र के रविंद्र भाटी राजस्थान की शिव विधानसभा सीट से विधायक हैं. 2023 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले वो बीजेपी में शामिल हुए थे. BJP ने उस वक्त रविंद्र भाटी को समझाने की कोशिश की और नहीं मानने पर पार्टी से निष्कासित कर दिया. जब उन्हें पार्टी ने टिकट नहीं दिया तो रविंद्र सिंह भाटी ने निर्दलीय चुनाव लड़ा. उन्होंने शिव विधानसभा सीट से जीत दर्ज की और सिर्फ 25 साल की उम्र में विधायक बन गए. 



पॉलिटिकल रिकॉर्ड कर रहा परेशान


विधायक बनने से पहले उन्होंने राजस्थान यूनिवर्सिटी छात्र संगठन में अध्यक्ष पद के लिए एबीवीपी से टिकट मांगा था लेकिन जब संगठन ने इनकार कर किया रविंद्र भाटी निर्दलीय मैदान में उतरे और जीत हासिल कर ली थी. उनका यही पॉलिटिकल रिकॉर्ड अब बीजेपी और कांग्रेस नेताओं को डरा रहा है. बीजेपी लीडर्स को लग रहा है कि कहीं यह बागी नेता उसकी नैया न डुबो दे. 


लोकसभा चुनाव में निर्दलीय ताल ठोक चुके शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने आज नामांकन सभा आयोजन कर अपना नामांकन पत्र दाखिल किया. आदर्श स्टेडियम में आयोजित नामांकन सभा में बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ पहुंची. जन समूह को संबोधित करते हुए भाटी ने कहा कि बाड़मेर जैसलमेर बालोतरा जिले के ग्रामीण इलाकों में मूलभूत सुविधाओं की मजबूत पैरवी करने के लिए सर्व समाज के आह्वान पर मैं आप लोगों के बीच लोकसभा का निर्दलीय चुनाव लड़ रहा हूं.


कांग्रेस नेताओं पर कसे तंज


इस दौरान उन्होंने अपने भाषण में कई कांग्रेसी नेताओं पर इशारों ही इशारों में तंज कसे. रविंद्र सिंह भाटी ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के कल कांग्रेस प्रत्याशी की नामांकन सभा में डांस करने पर भी कटाक्ष करते हुए कहा कि कांग्रेस के नेताओं को 4 तारीख के दिन डांस करने का मौका नहीं मिलेगा, इसलिए वह अभी नामांकन सभा में मोर बन कर डांस कर रहे हैं. नामांकन सभा के बाद रैली के रूप में रविंद्र सिंह भाटी लोगों की भीड़ व श्रृंगार किये हुए ऊंटो के साथ रैली निकाली.


भाटी की लोकप्रियता के बाद बाड़मेर-जैसलमेर सीट हॉट सीट बन चुकी है. इस सीट से तीनों उम्मीदवार दिग्गज हैं. यही वजह है कि बीजेपी, कांग्रेस भी यहां पूरा जोर लगाने में जुटी है.. पीएम मोदी भी यहां प्रचार के लिए आ सकते हैं तो वगहीं कांग्रेस भी स्टार प्रचारक यहां उतारने की तैयारी में हैं. 


कांग्रेस के गढ़ को बीजेपी ने किया था कब्जा


अगर बाड़मेर सीट के सियासी समीकरण की बात की जाए तो इस सीट पर पिछले दो लोक सभा चुनावों में बीजेपी का कब्ज़ा रहा है. 2019 में बीजेपी नेता कैलाश चौधरी ने 8,46,526 या 59.5% वोट पाए थे. इन्होंने 22.7% वोट मार्जिन से जीत दर्ज की थी. इससे पहले ये सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती थी.


इस लोकसभा सीट पर यदि 1977 और 1989 के चुनावों को छोड़ दिया जाए तो यहां 1967 से 99 तक लगातार कांग्रेस को जीत मिलती रही है. वहीं बीजेपी पहली बार यहां साल 2004 में जीती और धीरे धीरे कांग्रेस को पीछे धकेलती चली गई. लेकिन इस बार ना ही कांग्रेस और ना ही बीजेपी के लिए इस सीट में जीत आसान रहने वाली है. 


(रिपोर्ट भुपेश आचार्य)