Lok Sabha Election 2024: मध्य प्रदेश में चुनाव प्रचार से BJP के चर्चित चेहरे क्यों गायब? क्या है इसकी वजह
MP Lok Sabha Chunav: बीजेपी ने लोकसभा चुनाव के प्रचार में पूरी ताकत झोंक रखी है. लेकिन मध्य प्रदेश के चर्चित चेहरे चुनाव प्रचार से गायब हैं. आइए इसकी वजह के बारे में जानते हैं.
Madhya Pradesh Lok Sabha Election Live: मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव का प्रचार जोरों पर है. दो चरणों की वोटिंग हो भी चुकी है. लेकिन मध्य प्रदेश के कुछ चर्चित चेहरे प्रचार करते नजर नहीं आ रहे हैं. सवाल उठ रहा है कि क्या इन नेताओं ने अपने को प्रचार से दूर रखा है या बीजेपी उनसे प्रचार कराने में इंटरेस्ट नहीं दिखा रही है. एमपी में लोकसभा की 29 सीटें हैं, जहां चार चरणों में मतदान हो रहा है. पहले दो चरण का मतदान 19 अप्रैल और 26 अप्रैल को 12 सीटों पर हो चुका है. आगे दो चरणों में 17 लोकसभा क्षेत्रों में मतदान होना है.
उमा भारती, प्रज्ञा और यशोधरा कहां हैं?
मध्य प्रदेश की सियासत पर गौर करें तो बीते लगभग ढाई दशक में शायद यह पहला ऐसा चुनाव है जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती, पूर्व मंत्री और सिंधिया राजघराने से नाता रखने वाली यशोधरा राजे सिंधिया और भोपाल से सांसद प्रज्ञा ठाकुर प्रचार करते नजर नहीं आ रही हैं. इन तीनों महिला नेताओं के सियासी सफर पर गौर करें तो उमा भारती और प्रज्ञा ठाकुर की पहचान कट्टर हिंदूवादी नेता की रही है, वहीं यशोधरा राजे सिंधिया का नाता सिंधिया राजघराने से हैं.
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प्रचार से क्यों दूर हैं हिंदूवादी नेता?
उमा भारती की बात करें तो वो केंद्रीय मंत्री रही हैं और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की भी जिम्मेदारी निभा चुकी हैं. उनकी पिछड़े वर्ग में गहरी पैठ है और वह खुद लोधी हैं. राम मंदिर के आंदोलन में उनकी बड़ी भूमिका रही, वहीं वे हिंदूवादी राजनीति का बड़ा चेहरा भी हैं.
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प्रज्ञा ठाकुर की मांग क्यों नहीं?
इसी तरह भोपाल की सांसद प्रज्ञा ठाकुर भी हिंदूवादी चेहरा हैं और वह हमेशा अपने बयानों के कारण चर्चा में रहती हैं. उधर, पूर्व मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया का असर ग्वालियर और चंबल के कई लोकसभा क्षेत्रों में माना जाता है.
एक तरफ बीजेपी चुनाव प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंके हुए है और नेशनल लेवल से लेकर स्टेट लेवल तक के नेताओं को अलग-अलग इलाकों में प्रचार की कमान सौंपी गई है. लेकिन बीजेपी के ये तीन बड़े चेहरे चुनाव प्रचार में नजर नहीं आ रहे हैं. सवाल उठ रहा है कि क्या इन नेताओं की उम्मीदवारों की ओर से मांग नहीं आई या पार्टी इनका इस्तेमाल नहीं करना चाहती. इन नेताओं ने भी अपनी तरफ से प्रचार में दिलचस्पी नहीं दिखाई है.
(इनपुट- आईएएनएस)