Mandi Lok Sabha Seat: हिमाचल प्रदेश की मंडी लोकसभा सीट से BJP के टिकट पर कंगना रनौत के उतरने के ऐलान के बाद से ही यहां उनका मुकाबला किससे होगा. इसको लेकर सवाल बना हुआ है. कांग्रेस में अब भी प्रत्याशियों के नाम को लेकर मंथन जारी है. लेकिन अब खबर ये आ रही है कि इस हाईप्रोफाइल सीट से कांग्रेस विक्रमादित्य सिंह को अपने उम्मीदवार के तौर पर उतार सकती है. 


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हिमाचल कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह और कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने दिल्ली में सोनिया गांधी से मुलाकात की. दिल्ली हाईकमान के साथ हुई बैठक के बाद विक्रमादित्य सिंह को मंडी संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी बनाए जाने की चर्चा जोर पकड़ रही है.


माना जा रहा है कि हाईकमान ने विक्रमादित्य सिंह की सहमति भी ली है. मुमकिन  है कि युवा वोटर पर दांव खेलते हुए कांग्रेस विक्रमादित्य सिंह को कंगना रनौत के खिलाफ उतार दे. हिमाचल प्रदेश में सातवें और आखिरी चरण में 1 जून को लोकसभा के चुनाव होने हैं.


कौन हैं विक्रमादित्य सिंह?


हिमाचल प्रदेश के पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह और हिमाचल कांग्रेस की अध्यक्ष प्रतिभा सिंह के बेटे हैं. हिमाचल प्रदेश में सबसे युवा मंत्री हैं. कांग्रेस के सर्वे में विक्रमादित्य को समर्थन मिलने की संभावना है. वह कंगना को कड़ी टक्कर दे सकते हैं. माना जा रहा है कि इसका जल्द ही औपचारिक ऐलान हो सकता है.


इससे पहले शनिवार को प्रतिभा सिंह ने कहा था कि जल्द ही मंडी सीट से भी प्रत्याशी के नाम का ऐलान कर दिया जाएगा. मंडी में वोटर किसके साथ रहा है.किस पार्टी का इस सीट पर दबदबा रहा है.ये भी आपको बताते हैं.


2021 के उपचुनावों की बात करें तो यहां से BJP को 48% वोट और कांग्रेस को 49 फीसदी वोट मिले थे. 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर BJP को 69% वोट और कांग्रेस को 26% वोट मिले थे. जबकि 2014 की बात करें तो BJP को 50 फीसदी और कांग्रेस को 44 फीसदी वोट मिले थे.


कंगना की राह क्यों है मुश्किल?


भले ही कंगना रनौत एक जाना-पहचाना चेहरा हैं. लेकिन मंडी लोकसभा सीट पर उनकी राह उतनी आसान नहीं रहने वाली है. दरअसल बीजेपी में असंतुष्ट और पूर्व  शाही परिवार के प्रभाव के कारण उनकी राह मुश्किल हो सकती है. बीजेपी की हिमाचल प्रदेश यूनिट के पूर्व चीफ और तीन बार सांसद रह चुके कुल्लू के पूर्व शाही परिवार के वंशज महेश्वर सिंह ने पार्टी आलाकमान से रनौत को टिकट देने के फैसले की समीक्षा करने को कहा था. जबकि बीजेपी के जिन असंतुष्टों ने 2022 के विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था, उन्होंने रणनीति तैयार करने के लिए एक बैठक की थी.


मंडी संसदीय क्षेत्र में 17 विधानसभा सीट शामिल हैं. इनमें से आठ अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं. मंडी लोकसभा क्षेत्र में पूर्व शाही परिवारों का अच्छा-खासा प्रभाव रहा है और इनके वंशजों ने इस सीट के लिए हुए दो उपचुनावों सहित 19 चुनावों में से 13 में जीत हासिल की है.