Maharashtra election: महाराष्ट्र चुनाव में "वोट जिहाद" का मुद्दा एक बार फिर से चर्चा में है. यह टर्म पहली बार उत्तर प्रदेश चुनाव के दौरान सामने आया था, जब कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद की भतीजी मारिया आलम ने इसका जिक्र किया था. अब महाराष्ट्र के चुनाव में इस टर्म का बार-बार इस्तेमाल हो रहा है, जिससे सवाल उठता है कि क्या सचमुच मुस्लिम समुदाय को किसी खास पार्टी के पक्ष में वोट करने के लिए संगठित किया जा रहा है. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता सज्जाद नोमानी द्वारा जारी एक लिस्ट में महाविकास अघाड़ी के उम्मीदवारों का समर्थन किया गया, जिसके बाद उन्होंने यह भी कहा कि "महाराष्ट्र तो बस शुरुआत है, असली टारगेट दिल्ली है."


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इस बीच, चुनाव के दौरान फर्जी बैंक खातों के जरिए करोड़ों रुपये के ट्रांजैक्शन का मामला भी सामने आया है. जांच एजेंसी ईडी (ED) ने मालेगांव, मुंबई और अहमदाबाद में छापेमारी कर कई अहम खुलासे किए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, लगभग 12 लोगों के नाम पर फर्जी बैंक खाते खुलवाए गए, जिनमें 112 करोड़ रुपये जमा किए गए और 111 करोड़ रुपये निकाल लिए गए. इन खाताधारकों को 5000 रुपये का लालच देकर खाते खुलवाए गए थे, और इनका सिमकार्ड भी ले लिया गया, जिससे उन्हें खातों में आए पैसों की जानकारी नहीं थी. जांच में यह भी पाया गया कि दो बैंकों के जरिए इन ट्रांजैक्शनों को अंजाम दिया गया, और कुल 315 बार पैसे निकाले गए.


महाराष्ट्र में "वोट जिहाद" के आरोपों के बाद बीजेपी के नेता देवेंद्र फडणवीस ने इसका कड़ा जवाब देते हुए "धर्मयुद्ध" की घोषणा कर दी है. फडणवीस ने महाविकास अघाड़ी पर मुस्लिम वोटों को लामबंद करने का आरोप लगाया और इसे चुनावी साजिश करार दिया. उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में भी ऐसा ही देखा गया था, जब मुस्लिम संगठनों और एनजीओज ने महाविकास अघाड़ी के लिए समर्थन जुटाने की मुहिम चलाई थी. फडणवीस ने दावा किया कि इस बार भी लगभग 400 एनजीओ सक्रिय हैं, जो मुस्लिम वोटरों को बीजेपी के खिलाफ लामबंद कर रहे हैं.


इस चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी भी प्रमुख भूमिका में हैं, जो देवेंद्र फडणवीस के "वोट जिहाद" वाले बयान का विरोध कर रहे हैं. ओवैसी ने बीजेपी पर मुस्लिम समुदाय को बदनाम करने का आरोप लगाया है और इसे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की साजिश बताया है. उन्होंने कहा कि बीजेपी मुस्लिम वोटों की एकजुटता से डर रही है, और इसलिए "वोट जिहाद" और "धर्मयुद्ध" जैसी बातें की जा रही हैं.


इस पूरे विवाद के बीच, सवाल उठता है कि क्या महाराष्ट्र में वाकई वोटिंग पैटर्न धर्म के आधार पर बदल रहा है. ग्राउंड रिपोर्ट्स में सामने आया है कि मुस्लिम वोटर्स में जागरूकता बढ़ी है, और लोकसभा चुनाव के दौरान मुस्लिम समुदाय का वोटिंग प्रतिशत 60% तक पहुंचा था, जो इस बार 75% तक होने का दावा किया जा रहा है. इसके साथ ही, RSS से जुड़े संगठनों ने भी मुस्लिम समुदाय के बीच "मैन टू मैन" मार्किंग शुरू कर दी है, ताकि बीजेपी के खिलाफ लामबंदी को रोका जा सके.


महाराष्ट्र चुनाव में इस बार विकास जैसे मुद्दों की जगह "वोट जिहाद" और "धर्मयुद्ध" ने ले ली है. देखना यह होगा कि क्या ये विवाद असल में चुनावी नतीजों को प्रभावित करेंगे, या फिर यह सिर्फ एक चुनावी रणनीति का हिस्सा बनकर रह जाएगा.
ब्यूरो रिपोर्ट: जी मीडिया