Jammu Kashmir Election 2024: जम्मू-कश्मीर के लिए 8 अक्टूबर का दिन बेहद अहम है. विधानसभा चुनावों की मतगणना को लेकर हलचल तेज है. नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) और कांग्रेस का गठबंधन कश्मीर में मजबूत स्थिति में है, जबकि बीजेपी जम्मू में अपने दबदबे को बनाए रखने का प्रयास कर रही है. मतगणना के बाद ही तय होगा कि किसके सिर पर ताज होगा.


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जम्मू-कश्मीर के सभी बड़े नेता और राजनीतिक दल चिंतित हैं. 10 साल के अंतराल के बाद, अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद यह पहला विधानसभा चुनाव है. जिसमें सबसे अधिक मतदान प्रतिशत रिकॉर्ड किया गया है. सभी दल अंतिम नतीजों को लेकर चिंतित हैं. मतगणना की उल्टी गिनती के साथ ही एक नया विवाद खड़ा हो गया है. उपराज्यपाल प्रशासन ने नई सरकार के शपथ ग्रहण से पहले विधानसभा में पांच सदस्यों को नॉमिनेट करने का प्रस्ताव रखा है. इन नॉमिनेटेड सदस्यों को मतदान का अधिकार होगा, जिससे राजनीतिक नेताओं में चिंता बढ़ गई है.


जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक इतिहास में पहली बार नॉमिनेटेड सदस्य सरकार के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. जम्मू-कश्मीर जन प्रतिनिधित्व अधिनियम में हाल ही में संशोधन किया गया है, जिसके तहत पांच नॉमिनेटेड सदस्य शामिल होंगे - जिनमें से दो कश्मीरी विस्थापित (एक पुरुष और एक महिला) होंगे और एक पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर (पीओजेके) समुदाय से होगा.


नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने बीजेपी के इस कदम की कड़ी निंदा की. उन्होंने कहा कि दिल जीतने के लिए वोट की आवश्यकता होती है, न कि नॉमिनेशन की. "अगर वे 90 सदस्यों को नॉमिनेट कर सकते हैं, तो उन्हें ऐसा करना चाहिए. यह 10 साल में लोगों का दिल नहीं जीत सके, तो पांच को नॉमिनेट करके क्या करेंगे?" जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के प्रमुख तारिक हामिद कर्रा ने भी बीजेपी के इरादों की कड़ी आलोचना की, आरोप लगाते हुए कहा कि यह एक असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक कदम है.


आवामी इत्तेहाद पार्टी के नेता इंजीनियर राशिद ने भी इस फैसले को अवांछित और असंवैधानिक बताया. उन्होंने कहा कि अगर मोदी जी एक राष्ट्र का दावा करते हैं, तो क्यों जम्मू-कश्मीर के लिए अलग नियम लागू किए जा रहे हैं. अधिकांश एग्जिट पोल में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन को अधिकांश सीटें मिलने की संभावना दिख रही है, जबकि बीजेपी भी पीछे नहीं है. यह मुख्य रूप से NC-कांग्रेस गठबंधन बनाम बीजेपी के बीच की लड़ाई है.


घाटी में क्षेत्रीय राजनीतिक दलों को वोट दिया गया है, जबकि जम्मू में बीजेपी का दबदबा बना हुआ है. फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि सरकार का गठन करना किसी भी राजनीतिक दल के लिए आसान नहीं होगा, क्योंकि पिछले 10 वर्षों में बहुत कुछ बदल चुका है. पीडीपी ने संकेत दिया है कि वह कांग्रेस-नेशनल कॉन्फ्रेंस को समर्थन देने के लिए तैयार है. फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि सरकार को जम्मू-कश्मीर को सामान्य स्थिति में लाना आसान नहीं होगा और वे एक ऐसी सरकार चाहते हैं जो राज्य को एकजुट रखे.


जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक तनाव बढ़ चुका है. सभी राजनीतिक दल चिंता में हैं. बड़े नेता जैसे उमर अब्दुल्ला, इल्तिजा मुफ्ती, गुलाम अहमद मीर, तारिक हामिद कर्रा, इंजीनियर राशिद, खुर्शीद शेख, सज्जाद लोन, और अल्ताफ़ भूखरी चुनावी मैदान में हैं. सभी की नजरें चुनावी नतीजों पर टिकी हैं.