UP Bypoll: बुधवार को उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए. हालांकि चुनाव में वोटिंग भले ही कम हुई हो लेकिन विवाद,बवाल, हंगामा बहुत ज्यादा हुआ और वोटिंग से ज्यादा चर्चा समाजवादी पार्टी और बीजेपी के दावों और आरोपों की होती रही. दो दावे सामने आए . एक दावा समाजवादी पार्टी की तरफ से कि बीजेपी के इशारे पर पुलिस ने मुस्लिम वोर्टस को मतदान करने से रोका. दूसरा दावा बीजेपी की तरफ से कि समाजवादी पार्टी ने पोलिंग बूथों पर फर्जी मतदान करवाया. आरोप लगे तो हमारी टीम पहुंच गई ग्राऊंड पर ..ये तलाशने कि कौन सही बोल रहा है और कौन गलत?


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सबसे पहले हम समाजवादी पार्टी के दावे के बारे में बात करते हैं. आज समाजवादी पार्टी के X हैंडल से दिनभर ऐसे वीडियो पोस्ट होते रहे, जिनके आधार पर पार्टी दावा करती रही कि मुस्लिमों को वोट देने से रोका जा रहा है. यूपी पुलिस मुस्लिम वोटर्स को मतदान केंद्र पर पहुंचने से रोक रही है. समाजवादी पार्टी ने कल ही चुनाव आयोग को चिट्ठी लिखकर मांग कर दी थी कि वो आदेश जारी करे कि कोई पुलिस वाला मतदाताओं का ID चेक ना करे. चुनाव आयोग ने आदेश दे भी दिया था कि कोई पुलिसवाला ID चेक नहीं करेगा. लेकिन आज सुबह 8 बजकर 51 मिनट पर समाजवादी पार्टी ने कुंदरकी का एक वीडियो वायरल किया गया. जिसमें पुलिस वालों ने मतदान केंद्र के रास्ते में बैरिकेडिंग की हुई है और पुलिसवाले मुस्लिम मतदाताओं की पर्ची चेक कर रहे हैं जिसका मुस्लिम विरोध कर रहे हैं.


सपा ने शेयर किए कई वीडियो


ये सिर्फ पहला वीडियो था, जिसे समाजवादी पार्टी ने शेयर किया था. इसके बाद तो समाजवादी पार्टी ने ऐसे वीडियोज़ की बाढ़ सी लगा दी. जिनके आधार पर समाजवादी पार्टी ने दावा किया कि उपचुनाव में पुलिसवाले जानबूझकर मुस्लिम मतदाताओं को वोट करने से रोक रहे हैं. ये तो समाजवादी पार्टी के आरोप हैं लेकिन ज़ी न्यूज़ के रिपोर्टर भी यूपी उपचुनाव में हर सीट और हर बूथ से लाइव रिपोर्टिंग कर रहे थे और जो भी हो रहा था उसे अपने कैमरे में रिकॉर्ड कर रहे थे. समाजवादी पार्टी के आरोपों का On The Spot ग्राउंड रियलिटी चेक भी कर रहे थे.



क्या हैं सपा को आरोप?


मुरादाबाद की कुंदरकी विधानसभा के एक पोलिंग बूथ का ये वीडियो समाजवादी पार्टी ने शेयर किया तो ज़ी न्यूज़ ने कुंदरकी सीट पर ही मुस्लिम मतदाताओं से पूछ लिया.  कुंदरकी में ही समाजवादी पार्टी ने बुर्का हटाकर चेकिंग के नाम पर मुस्लिम महिलाओँ को परेशान करने का आरोप लगाया. लेकिन जब ज़ी न्यूज़ ने मुस्लिम महिलाओं से पूछा कि सच क्या है? तो उन्होंने परेशानी का इजहार तो किया लेकिन ये भी बताया कि वोट कर दिया. मैनपुरी के करहल में समाजवादी पार्टी ने आरोप लगाया कि बूथ 75 और 76 पर मुस्लिमों को वोट नहीं डालने दिया गया. ज़ी न्यूज़ की टीम जब वहां पहुंची तो लोगों ने सभी आरोपों को निराधार बताया.


'बुर्का हटाने में कोई दिक्कत नहीं लेकिन...'


ज़ी न्यूज़ की टीम तमाम सीटों पर घूमीं, मुस्लिमों से बात की, बुर्के हटाकर चेकिंग पर मुस्लिम महिलाओं के मन की बात सुनी. ज्यादातर महिलाओं ने कहा कि उन्हें बुर्का हटाकर चेकिंग करवाने में कोई दिक्कत नहीं है. अगर किसी नतीजे पर पहुंचा जाए तो कहा जा सकता है कि कई बूथों से जो तस्वीरें आईं उन्हें देखकर ऐसा लगता है कि पुलिस ने मुसलमानों को वोट करने से रोकने की कोशिश की लेकिन ऐसा कुछेक जगहों पर हुआ. ज्यादातर जगह मुसलमानों ने आराम से वोट दिया और बुर्के हटाकर चेकिंग से जो परेशानी हुई वो मुस्लिम महिलाओं को कम और समाजवादी पार्टी को ज्यादा हुई.


मीडिया को जवाब भी नहीं दे पाई पुलिस


हालांकि हम ये बिलकुल नहीं कह रहे हैं कि मुस्लिम वोटर्स को वोट डालने से नहीं रोका गया और ना ही पुलिस को कोई क्लीन चिट दे रहे हैं. क्योंकि आज पूरे दिन ऐसे वीडियो भी आते रहे हैं, जिसमें पुलिस की मंशा, शक के घेरे में आती है. अलग-अलग विधानसभा सीटों पर पुलिसवाले ID चेक करते देखे गये. कई जगह बेरिकेडिंग भी लगाई गई और जब पुलिसवालों से सवाल पूछा गया तो वो कोई जवाब भी नहीं दे पाए.


कई अधिकारी हुए निलंबित


एक वीडियो में पुलिसवाले मुस्लिम मतदाताओं का पहचान पत्र चेक करने की जिद करते दिख रहे हैं. लोग पुलिस अधिकारियों से कह रहे हैं कि उनका पहचान पत्र चेक करने का हक पुलिस को नहीं है लेकिन पुलिस अधिकारी कह रहे हैं कि यही तो उनका राइट है. एक वीडियो में दो पुलिस अधिकारी लोगों को ID चेक करवाने को कह रहे हैं, उनके नाम सब इंस्पेक्टर अरुण कुमार सिंह और राकेश कुमार हैं. इन दोनों ही पुलिस अधिकारियों को चुनाव आयोग ने निलंबित कर दिया है और इनके अलावा चार और पुलिसवालों को निलंबित किया गया है जिन पर मतदाताओं के पहचान पत्र चेक करने का आरोप लगा है.


पुलिस पर उठ रहे सवाल


क्योंकि चुनाव आयोग पहले ही आदेश दे चुका था कि पुलिस को किसी भी मतदाता का पहचान पत्र चेक करने का अधिकार नहीं है. चुनाव आयोग कह चुका था कि मतदाताओं की वोटर आईडी सिर्फ चुनाव ड्यूटी में लगे निर्वाचन अधिकारी ही चेक कर सकते हैं. अब अगर सियासत हटाकर देखें तो यूपी पुलिस पर कई सवाल उठते हैं. सवाल ये कि जब चुनाव आयोग मना कर चुका था तो पुलिसवाले मतदाताओं के पहचान पत्र चेक क्यों कर रहे थे. जबकि चुनाव में उनकी ड्यूटी वोटिंग के दौरान कानून व्यवस्था संभालने की थी.