Bollywood Legends: ऐसी थी राज कपूर-दिलीप कुमार की आखिरी मुलाकात, आंखों में आ जाएगा पानी
Dilip Kumar: राज कपूर-देव आनंद-दिलीप कुमार की तिकड़ी हिंदी फिल्मों के इतिहास में खास जगह रखती है. तीनों का स्टारडम और टैलेंट अनूठा था. लेकिन इन तीनों में राज कपूर (Raj Kapoor) और दिलीप कुमार एक ही शहर से आए थे और उनमें खास दोस्ती (Friendship) थी...
Raj Kapoor: हिंदी सिनेमा के इतिहास में दिलीप कुमार (Dilip Kumar) और राज कपूर का अमर है. दोनों के बीच तगड़ी प्रतिद्वंद्विता थी, लेकिन यह सिर्फ प्रोफेशनल स्तर तक सीमित थी. हकीकत यह है कि दोनों बचपन के दोस्त थे. एक ही मोहल्ले में पले-बढ़े और एक ही कॉलेज में पढ़ने गए. इन दिनों दिलीप कुमार की पत्नी सायरा बानो (Saira Banu) उनके पुराने दिनों की बातें सोशल मीडिया (Social Media) में शेयर करती हैं. हाल में उन्होंने अपनी एक भावुक कर देने वाली पोस्ट में बताया कि दिलीप कुमार और राज कपूर की आखिरी मुलाकात कैसी थी. यह मुलाकात जून 1988 की है, जब दिल्ली के एक अस्पताल में राज कपूर का निधन हुआ था.
साथ चलेंगे और घूमेंगे
भारतीय सिनेमा के महानतम शोमैन राज कपूर को याद करते हुए सायरा बानो ने बताया कि राज कपूर को दिल्ली में दादा साहेब फाल्के अवार्ड (Dada Saheb Phalke) से राष्ट्रपति के हाथों सम्मानित करने का कार्यक्रम था. उन दिनों दिलीप कुमार विदेश में थे. दिल्ली में जब राजजी को अचानक कार्डियक स्ट्रोक हुआ, तो उन्हें वहां अस्पताल में भर्ती कराया गया. जैसे ही दिलीप साहब को यह खबर मिली, उन्होंने तुरंत भारत वापसी की उड़ान भरी और सीधे दिल्ली (Delhi) पहुंचे. दिल्ली में उन्हें राजजी के पास अस्पताल ले जाया गया. दिलीप कुमार ने तब राजजी से कहा कि मैं अभी-अभी पेशावर (Peshawar) से वापस आया हूं और तुम्हारे मनपंसद चपली कबाब की ‘खुशबू’ लेकर आया हूं. दिलीप कुमार यहीं नहीं रुके और उन्होंने राज कपूर से कहा कि राज उठो और नाटक करना बंद करो. मैं जानता हूं कि तुम एक महान एक्टर हो, लेकिन तुम्हें मुझे अपने साथ पेशावर वाले घर के आंगन में ले जाना होगा. हम साथ-साथ चलेंगे और पहले की तरह बाजार में घूमेंगे और कबाब-रोटियों का आनंद लेंगे.
घुटने लगी आवाज
इतना बोलते-बोलते दिलीप साहब की आवाज अब घुटने लगी थी और बिस्तर पर बेहोश पड़े अपने सबसे प्यारे दोस्त से बात करते समय उनकी आंखों से आंसू बह रहे थे. सायरा बानो ने लिखा कि दिलीप साहब और राज कपूर बचपन के दोस्त थे. दोनों का पैतृक शहर पेशावर (अब पाकिस्तान) में था. दोनों वहीं पैदा हुए थे. बड़े होने के बाद दोनों ने बॉम्बे के खालसा कॉलेज में पढ़ाई की. दोनों का फिल्मी करियर उस दौर के सबसे फेमस फिल्म स्टूडियो बॉम्बे टॉकीज से शुरू हुआ था, जहां उन्होंने स्टूडियो की मालकिन देविका रानी, निर्माता शशधर मुखर्जी और सुपरस्टार अशोक कुमार जैसे दिग्गजों के साथ काम किया.