Arjun Rampal Film: विवादों से इस दौर में सब डरने लगे हैं. ज्यादातर कोशिशें यही है कि कोई नाराज न हो जाए. संभवतः यही वजह है कि टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल से दिलजीत दोसांझ की फिल्म पंजाब 95 को हटा दिया गया है. फेस्टिवल की लाइनअप से फिल्म को अचानक हटाने से विवाद और अटकलें तेज हो गई हैं. फिल्म का टाइटल पहले घल्लूघारा था. यह फिल्म पंजाब में आतंकवाद के दौर में मानवाधिकार कार्यकर्ता जसवंत सिंह खालरा के जीवन पर आधारित है. खालरा ने आरोप लगाए थे कि 1984 में पंजाब पुलिस को मिले असीमित अधिकारों की आड़ में करीब 25 हजार लोगों को अवैध तरीके से खत्म कर दिया गया. यहां तक कि पुलिस ने खुद अपने 2000 लोगों की हत्या कर दी, जो उसके कामों में सहयोग नहीं कर रहे थे.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

लिस्ट से बाहर
1995 में खालरा अचानक गायब हो गए. 2005 में उसके अपहरण और हत्या के मामले में छह पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया. निर्देशक हनी त्रेहान की इस फिल्म में दिलजीत सिंह दोसांझ मुख्य भूमिका में हैं. जबकि अर्जुन रामपाल सीनियर पुलिस ऑफिसर का रोल निभा रहे हैं. टोरंटे फेस्टिवल में फिल्म का प्रीमियर होना था. मगर इसे लिस्ट से हटा दिया गया. फेस्टिवल के आयोजकों ने फिल्म को हटाने के लिए कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया है. लेकिन माना जा रहा है कि संभव है आयोजकों ने कनाडा में बड़ी संख्या में सिख आबादी को देखते हुए राजनीतिक दबाव के कारण यह फैसला किया हो. उल्लेखनीय है कि भारत के बाद कनाडा में सिखों की दूसरी सबसे बड़ी आबादी है.


संवेदनशील सीन
इस मामले में फिलहाल सभी ने चुप्पी साध रखी है. फिल्म की निर्माता आरएसवीपी और निर्देशक हनी त्रेहान ने इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं की. उल्लेखनीय है कि पहले सेंसर बोर्ड ने फिल्म को 21 कट दिए थे. सेंसर बोर्ड के मुताबिक फिल्म से हटाए गए संवाद और दृश्य सांप्रदायिक हिंसा और सिख युवाओं को भड़काने वाले थे. अतः इन्हें संवेदनशील मानकर हटाया गया है. इसके बाद मामला बॉम्बे हाई कोर्ट में गया. बाद में निर्माताओं ने फिल्म का टाइटल भी बदला. इसे घल्लूघारा से पंजाब 95 किया. घल्लूघारा का मतलब होता है, घोर तबाही.