तवायफ भी हीरोइन बनने से मुकरी तो बावर्ची बना लड़की, नाजुक हाथ और पतली कमर देख मिला था ऑफर
First Heroine of Bollywood Anna Salunke: 1912 में जब फादर ऑफ इंडियन सिनेमा कहे जाने वाले दादा साहेब फाल्के ने भारत की पहली फिल्म राजा हरिश्चंद्र बनाने का फैसला किया तो सबसे ज्यादा दिक्कत हीरोइन ढूंढने में आई. अखबार में इश्तियार दिया लेकिन कोई महिला नहीं आई.
Anna Salunke Life Interesting Facts: भारत की पहली हीरोइन- अन्ना सालुंके (Anna Salunke). जी हां, ये कोई महिला नहीं बल्कि एक पुरुष है. एक पुरुष जिसका नाम हिंदी सिनेमा के इतिहास में हीरोइन के नाम से दर्ज है. इससे भी दिलचस्प बात ये कि ये कोई अभिनेता नहीं बल्कि ढाबे के मामूली नौकर थे. भारत में पहला डबल रोल निभाने का रिकॉर्ड भी इन्हीं के नाम है. लंका दहन में इन्होंने राम औऱ सीता दोनों का रोल निभाया. सीता बने तो लोग थिएटर के बाहर जूते-चप्पल उतारकर देखने पहुंचते थे.
तवायफों ने भी कर दिया था हीरोइन बनने से इंकार
1912 में जब फादर ऑफ इंडियन सिनेमा कहे जाने वाले दादा साहेब फाल्के ने भारत की पहली फिल्म राजा हरिश्चंद्र बनाने का फैसला किया तो सबसे ज्यादा दिक्कत हीरोइन ढूंढने में आई. महिलाओं के लिए ये वैश्यावृत्ति से भी बुरा था. अखबार में इश्तियार दिया लेकिन कोई महिला नहीं आई. पत्नी से मदद मांगी तो उसने भी इनकार कर दिया. वैश्याओं और डांसर्स ने भी इनकार कर दिया. थक हारकर जब एक ढाबे में रुके तो देखा चाय देने आए नौकर के हाथ बेहद नाजुक और कमर पतली थी. यहां दादा साहेब फाल्के को अपनी हीरोइन मिल गई. लेकिन दिक्कतें खत्म नहीं हुई. पहले तो अन्ना ने समाज के डर से महिला बनने से साफ इनकार कर दिया. लेकिन जब फीस की बात हुई तो बात बन गई. ढाबे में 10 रुपए मिलते थे, लेकिन दादा ने उन्हें 15 रुपए फीस, रहने खाने के मुफ्त बंदोबस्त का भी वादा किया. बात बन गई और ऐसे भारत को मिली उसकी पहली हीरोइन.
गुमनाम हो गए अन्ना सालुंके
मुंछें कटवाईं, साड़ी पहनी, गहने पहने. पर्दे पर ये इतने खूबसूरत लगे कि देखने वाले देखते रह गए. कुछ ही समय बाद महिलाएं भी फिल्मों में आने लगीं, लेकिन जब दादा साहेब फाल्के ने 1917 में लंका दहन बनाई तो उन्हें सीता के रोल में अन्ना ही जंचे. इसके अलावा भी ये 5 फिल्मों में हीरोइन बने, लेकिन जब महिलाएं फिल्मों में आने लगीं तो इनकी पॉपुलैरिटी कम होती चली गई. ये आगे जाकर इन्होंने 32 फिल्मों में पुरुषों का रोल भी निभाया. 1931 में साउंड फिल्में आते ही अन्ना सालुंके इंडस्ट्री छोड़कर गुमनाम हो गए. इतने कि ये कहां गए या इनकी जिंदगी में क्या हुआ इसकी भी कहीं जानकारी नहीं मिलती है.