Lata Mangeshkar Mohammad Rafi Fight: प्लेबैक सिंगर्स को उनके गानों के लिए रॉयल्टी मिलने का मुद्दा अभी भी हिंदी सिनेमा में संगीत कंपनियों और सिंगर्स दोनों के लिए एक विवाद का मुद्दा रहा है. लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) पहली ऐसी सिंगर थीं जिन्होंने 1960 के दशक में इस मामले में गायकों के हक के लिए अपनी आवाज़ उठाई थी. उस समय तक, लता जबरदस्त सफलता और लोकप्रियता हासिल कर चुकी थीं और मुकेश, मोहम्मद रफ़ी (Mohammad Rafi) और किशोर कुमार (Kishore Kumar जैसे सिंगर्स के साथ उनके गाने काफी लोकप्रिय हो चुके थे. 


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उस समय पूरे भारत और दुनिया में बॉलीवुड गानों की लोकप्रियता बढ़ रही थी. तब ऐसा किसी ने नहीं सोचा था कि संगीत बनाने वाली कंपनियां सिंगर्स को भी रॉयल्टी देंगी. लता ने स्टैंड लिया और फिल्म निर्माताओं से रॉयल्टी की मांग की. उन्हें रॉयल्टी मिलने लगी. इससे मुकेश और मोहम्मद रफी जैसे सिंगर्स के साथ उनके मतभेद हो गए जो इस बात के खिलाफ थे.


एक इंटरव्यू में लता मंगेशकर ने अपने और रफी के बीच के झगड़े पर बात करते हुए कहा था, उन्होंने (रफी साहब) ने कहा 'मैं आपके साथ गाऊंगा नहीं'. मैंने कहा 'आप क्यों तकलीफ कर रहे हैं? मैं ही नहीं गाऊंगी आपके साथ.’ मैंने संगीत निर्देशकों से कहा कि मुझे रफी साहब के साथ गाना नहीं है.


रॉयल्टी के बारे में बात करते हुए, लता ने कहा था, “मैं रॉयल्टी ले रही थी तो मुझे लगता था बाकी लोगों को भी मिले. कल्पना कीजिए अगर कल को कोई कलाकार का नाम चलता भी है, कम से कम रॉयल्टी तो आती रहेगी. थोड़ी ही सही. इसी बात पर मैं, मुकेश भैया और तलत साब झगडा किया करते थे. रफ़ी साहब को किसी ने भड़काया गया तो हमारा झगड़ा हो गया. मैंने 3 साल तक उनके साथ गाने नहीं गाए. बता दें कि 2022 में लता का निधन लंबी बीमारी के बाद हुआ था.