Taj-Divided By Blood Review: इस कहानी में बहा बहुत खून, सलीम-अनारकली के प्यार का यहां है नया रूप
Mughal History: अकबर मुगल इतिहास का सबसे महान बादशाह है. वेब सीरीज ताजः डिवाइडेड बाय ब्लड अकबर की जिंदगी के आखिरी दौर में हिंदुस्तान में हो रहे संघर्षों की तस्वीर दिखाती है. इसमें गद्दी के लिए शहजादों की आपसी प्रतिद्वंद्विता भी शामिल है. आप यह देखकर हैरान होते हैं कि कैसे अकबर ने खुद इस आग को हवा दी!
Naseeruddin Shah: जिस दौर में इतिहास को नए सिरे से लिखने की कोशिशें हैं, वहां मुगलकाल की इस कहानी में आपको थोड़ा सच और थोड़ी कही-सुनी बातें मिलेगी. ताजः डिवाइडेड बाय ब्लड ओटीटी प्लेटफॉर्म जी5 पर रिलीज हुई नई वेब सीरीज है. यहां इतिहास की तलाश और फंतासी का रोमांच, दोनों मिक्स हैं. भारत में मुगल साम्राज्य की नींव पड़ चुकी है और यह 16वीं सदी के अकबर का हिंदुस्तान है. अकबर को रह-रह कर दौरे पड़ते हैं और उसके तीनों बेटे जवान हो चुके हैं. लेकिन बादशाह अकबर ने तय किया है कि वह पुरानी रवायत को तोड़ेंगे. किसी बेटे को सिर्फ इसलिए सिंहासन नहीं मिलेगा कि वह सबसे बड़ा है. जो सिंहासन के काबिल होगा, जो जंगल के सिंह की तरह होगा, उसके सिर ताज सजेगा. ऐसे में परिवार में क्या अमन और भाईचारा रह पाएगाॽ क्या खून-खराबा नहीं होगाॽ वेब सीरीज मुगल शहजादों के बीच राजगद्दी की जंग को सामने लाती है.
किताबों से बाहर कहानी
ताजः डिवाइडेड बाय ब्लड रोचक सीरीज है. बांधे रहती है. इसके 10 एपिसोड औसतन 40-40 मिनिट के हैं और आपको अतीत के लंबे सफर पर ले जाते हैं. यहां लेखकों और निर्देशकों की बड़ी टीम है. जिसने इतिहास के शोध में अपनी कल्पना के भी रंग भरे हैं. यहां उन्होंने इतिहास के पन्नों के साथ कही-सुनी बातों को भी जगह दी है. इस तरह ताज की यह कहानी इतिहास की किताबों से बाहर निकल कर आम लोगों के करीब आने की कोशिश करती है. वेब सीरीज में शहजादों की आपसी खींच-तान और काबीलियत साबित करने की होड़ तो है ही, यहां सलीम-अनारकली की मोहब्बत और अकबर-अनारकली के रिश्तों का जाल भी है. अकबर-अनारकली-सलीम का त्रिकोण इसे इतिहास के खाके से निकालकर पॉपुलर जोन में लाता है. दर्शकों में इसके लिए दिलचस्पी पैदा करता है. यहां अकबर की हिंदू-मुसलमान के भेद खत्म करके, अपनी प्रजा के रूप में उन्हें बराबरी का दर्जा देने की भी कोशिशें खूब उभारी गई हैं. उसके द्वारा चलाए गए धर्म दीन-ए-इलाही के साथ उसकी शख्सीयत का अलग रंग सामने आता है.
दरिया का पानी लाल
ताजः डिवाइडेड बाय ब्लड की कहानी शुरू होती है नौजवान अकबर से. जो बेतहाशा बेगुनाहों का खून बहाता है. तीन निकाह करके भी उसे कोई औलाद नसीब नहीं हुई और वह सूफी संत सलीम चिश्ती (धर्मेंद्र) से अपनी चिंता बताता है. संत कहते हैं कि हजारों गोद उजाड़ कर वह खुद बाप बनने की कैसे उम्मीद रख सकता है! मगर फिर भी वह कहते हैं कि आने वाले समय में अकबर की तीन संतानें होंगी. साथ ही बताते हैं कि जब-जब दरिया का पानी लाल होगा, उसके खानदान में खून बहेगा. उसे दूसरों से नहीं बल्कि अपने करीबियों से खतरा होगा. कहानी इसके बाद कई बरस आगे बढ़ती है और अकबर (नसीरूद्दीन शाह) हिंदुस्तान में अपना सम्राज्य फैलाकर जीवन के आखिरी वर्षों में है. उसके बेटे सलीम (असीम गुलाटी), मुराद (ताहा शाह) और दानियाल (शुभम कुमार मेहरा) जवान हो चुके हैं. शराब, अफीम और औरतें सलीम की कमजोरी है. मुराद क्रूर, बेदिल और सनकी है. दानियाल धार्मिक है. लड़ाई, औरतों और सिंहासन में उसकी कोई रुचि नहीं.
अकबर का हरम और अनारकली
सलीम, मुराद और दानियाल की जिंदगी के बीच इस वेब सीरीज का दूसरा अहम हिस्सा है, अकबर का हरम. जिसमें उसकी तीन बेगमों के साथ सैकड़ों औरतें हैं. लेकिन इन सबके बावजूद हरम का एक हिस्सा ऐसा भी है, जिसके ताले की चाबी खुद अकबर के पास रहती है. इसी हिस्से में रहती है, अनारकली (अदिति राव हैदरी). अकबर की सबसे खूबसूरत कनीज. वह 14 बरस की उम्र से यहीं कैद है. अकबर की चौकसी के बावजूद कैसे अनारकली और सलीम की जिंदगी के तार जुड़ते हैं और कहानी में ट्विस्ट लाते हैं, सीरीज में धीरे-धीरे यह बात खुलती है. इतिहास के इन किरदारों की कहानियों के कई-कई संस्करण मिलते हैं. यहां आपको अनारकली की कहानी में क्लासिक फिल्म मुगल-ए-आजम से अलग पन्ने नजर आएंगे. ताजः डिवाइडेड बाय ब्लड में जंग का एक मैदान हरम है. मुगल राजपरिवार में होने वाली राजनीति, अकबर के करीबी मंत्रियों के आपसी रिश्ते, शहजादों के खास लोगों के षड्यंत्र, काबुल-मेवाड़ और लाहौर में होने वाली जंग भी इस वेबसीरीज की कहानी को नए आकार देती हैं.
दूसरे सीजन का इंतजार
ताजः डिवाइडेड बाय ब्लड में रिश्तों की खूनी जंग बताती है कि बादशाह का ताज किसी लिहाज से कांटों की गठरी से कम नहीं था. सीरीज में नसीरूद्दीन शाह छाए हैं. 72 की उम्र में उन्होंने शानदार अंदाज में अकबर का रोल निभाया है. बादशाह के साथ-साथ वह यहां शौहर-बाप और अनारकली पर आसक्त इंसान की भूमिका में सहज नजर आते हैं. सीरीज आपकी आंखों के सामने इतिहास का वह दौर उतार देती है. कथा-पटकथा-संवाद दिलचस्पी बनाए रखते हैं. यहां राजपरिवारों की जिंदगी, उनके महल, उनकी भव्यता, राग-रंग खूबसूरती से सजाए गए हैं. युद्ध के दृश्य भी अच्छे हैं. सीरीज में प्रमुख कास्टिंग किरदारों के अनुकूल है. अकबर के आखिरी दौर के तमाम प्रमुख ऐतिहासिक किरदारों को सीरीज में जगह दी गई है. अदिति राव हैदरी से लेकर जोधा बाई बनीं संध्या मृदुल तक प्रभाव छोड़ती हैं. शहजादों की भूमिका को असीम गुलाटी, ताहा शाह और शुभम कुमार मेहरा ने जीवंत किया है. हालांकि ओटीटी ने ताजः डिवाइडेड बाय ब्लड के इन दस एपिसोड्स को सीजन वन नहीं कहा है, मगर कहानी जिस जगह खत्म होती है, वहां से आगे के दरवाजे खुलते है. अगर आपकी इतिहास और राजनीति में दिलचस्पी है तो सीरीज देखने योग्य है. इसे अगर देख लेंगे तो आपको दूसरे सीजन का इंतजार रहेगा.
निर्देशकः रॉन स्केलपेलो, अजय सिंह
सितारे : नसीरूद्दीन शाह, अदिति राव हैदरी, संध्या मृदुल, राहुल बोस, जरीना वहाब, अशीम गुलाटी, ताहा शाह, शुभम कुमार मेहरा
रेटिंग***1/2
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