S.S. Rajamouli: निर्माता-निर्देशक एस.एस. राजामौली की आरआरआर को मिले ऑस्कर की चर्चाएं थम नहीं रही हैं. फिल्म को इन हॉलीवुड पुरस्कारों में गाने नाटू नाटू के लिए सर्वश्रेष्ठ मूल गीत का पुरस्कार मिला और देश में पहली बार किसी फिल्म के माध्यम से ऑस्कर ट्रॉफी आई है. लेकिन जैसा कि होता है, हर उपलब्धि के साथ कुछ विवाद भी काले टीके की तरह लग जाते हैं, इस बात पर बहस शुरू हो गई कि क्या ऑस्कर विजय का गवाह बनने के लिए राजमौली की टीम ने वो पास खरीदे थे, जिनकी कीमत 25 हजार अमेरिकी डॉलर यानी करीब 20 लाख रुपये से अधिक थीॽ अब इस सवाल का आधिकारिक जवाब मिल गया है.


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तस्वीर हुई अब साफ
बताया गया था कि ऑस्कर अकादमी ने राजामौली और सहयोगियों को समारोह हॉल में बैठकर कार्यक्रम को लाइव देखने के लिए मुफ्त पास नहीं दिए थे. असल में अकादमी सिर्फ फाइनल रेस में पहुंचे कलाकारों तथा उनके परिवार के एक सदस्य को ही पास प्रदान करती है. ऐसे में जूनियर एनटीआर, राम चरण समेत राजामौली तथा उनकी टीम के अन्य लोगों को पास नहीं मिला था. अब राजामौली के बेटे एसएस कार्तिकेय ने तस्वीर को साफ करते हुए कहा है कि ऑस्कर समारोह के नियमों के मुताबिक टीम को इवेंट के लिए टिकट खरीदना ही था, लेकिन कीमतें उतनी नहीं थीं जितनी बताई गई थीं. 


प्रमोशन पर हुआ ये खर्च
उन्होंने बताया कि टीम के तमाम लोगों ने टिकट खरीदे और उनकी कीमतें 700 से 1500 डॉलर प्रति व्यक्ति (57 हजार से 1.2 लाख रुपये) तक थीं, जो कि शुरुआती खबरों में आई रकम से काफी कम है. इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी बताया कि एसएस राजामौली ने अमेरिका में आरआरआर के प्रचार के लिए 80 करोड़ रुपये खर्च नहीं किए हैं. कार्तिकेय ने खुलासा किया कि हमने पांच करोड़ रुपये में चीजों को समेटने की योजना बनाई थी, लेकिन फिल्म के ऑस्कर प्रमोशन पर करीब 8.5 करोड़ रुपये खर्च आया. आरआरआर के लिए यूएसए के कुछ शहरों में विशेष स्क्रीनिंग की व्यवस्था की गई थी. इसमें तथा लंबे समय तक टीम के लोगों के अमेरिका में रुकने पर यह धन खर्च हुआ.


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