Sanjay Khan: बॉलीवुड और टेलीविजन की दुनिया में समान रूप से लोकप्रिय होने वाले संजय खान का करियर एंटरटेनमेंट की दुनिया में करीब 59 साल लंबा है. हालांकि बीते कुछ साल से वह चकाचौंध से दूर हैं. उनके भाई फिरोज खान और अकबर खान ने भी फिल्मों में लंबी पारी खेली और खूब नाम-दाम कमाया. संजय कुछ साल पहले अपनी आत्मकथा द बेस्ट मिस्टेक्स ऑफ माई लाइफ भी लिख चुके हैं. मुंबई आने पर उन्हें फिल्मों में सबसे पहला मौका निर्देशक सत्येन बोस ने अपनी फिल्म दोस्ती (1964) में दिया था. फिल्म का निर्माण राजश्री प्रोडक्शंस ने किया था. रोचक बात यह है कि नॉन स्टारर फिल्म दोस्ती के सामने उस दौर के सुपरस्टार कहे जाने वाले राज कपूर की फिल्म संगम रिलीज हुई थी. बावजूद इसके दोस्ती ने सफलता का इतिहास रचा.


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दिखा दिया रजिस्टर
संजय खान ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि जब दोस्ती हिट हुई तो राजश्री के सर्वेसर्वा ताराचंद बड़जात्या ने मुझे बुलवाया. उन्होंने एक रजिस्टर का पन्ना खोला और मुझे दिखाया, जिसमें कुछ आंकड़े लिखे हुए थे. उस पेज पर लिखा था, एक करोड़ 51 लाख रुपये. यह बिजनेस संगम से चार लाख रुपये ज्यादा था, जो उस दौर में 60 लाख रुपये में बनी ब्लॉकबस्टर फिल्म थी. फिल्म तब कलर में शूट हुई थी. जबकि दोस्ती चार रुपये में बनी ब्लैक एंड व्हाइट फिल्म थी. मगर फिल्म सुपर-डुपर हिट हुई और इसे नेशनल अवार्ड भी मिला. संजय खान ने इस फिल्म से जुड़ी और भी बातें किताब में लिखी हैं.


एक दिन में पांच फिल्में
संजय खान के अनुसार दोस्ती को रिलीज हुए छह हफ्ते बीत चुके थे. सत्येन बोस ने अपने घर के नजदीक ही उन्हें जुहू में घर दिलाया था. एक दिन संजय खान ने सत्येन बोस से कहा कि दादा फिल्म रिलीज हुए इतना समय हो गया है, आज तक कोई मेरे पास दूसरी फिल्म लेकर नहीं आया. तब सत्येन बोस ने कहा कि बस दो-तीन हफ्ते और इंतजार करो. फिर देखना. तभी संजय खान के दरवाजे की घंटी बजी. एक प्रोड्यूसर आए थे. संजय खान ने लिखा है कि इसके बाद निर्माताओं के आने और फिल्म ऑफर करने का ऐसा सिलसिला शुरू हुआ कि मैंने छह महीने में 100 से ज्यादा फिल्में साइन कर ली. इन फिल्मों में उस दौर की सारी बड़ी हीरोइनें थीं. संजय खान के अनुसार वे ऐसे दिन थे कि कभी-कभी दो-दो और तीन-तीन फिल्म साइन की. एक दिन ऐसा भी आया, जब पांच फिल्में साइन की.


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