Heeramandi Web Series: विवाद और संजय लीला भंसाली साथ-साथ चलते हैं. भंसाली को लार्जर दैन लाइफ सिनेमा बनाने के लिए जाना जाता है और यही उनकी पहचान है. उनकी फिल्मों में किरदार और कहानियां पीछे चली जाती हैं. भव्यता चारों तरफ छाई रहती है. मगर हाल में उनकी डेब्यू वेब सीरीज हीरामंडी का फर्स्ट लुक सामने आने के बाद उन्हें ट्रोल किया जा रहा है. हीरामंडी में मनीषा कोइराला, सोनाक्षी सिन्हा, अदिति राव हैदरी, संजीदा शेख, ऋचा चड्ढा और शर्मिन सहगल महत्वपूर्ण भूमिकाओं में हैं. यह विभाजन से पूर्व भारत की कहानी है, जिसमें लाहौर (पाकिस्तान) में तवायफों का गढ़ कहा जाने वाला हीरामंडी इलाका था.


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देह व्यापार का महिमामंडन
असल में अब ट्रोलर्स भंसाली द्वारा अपनी फिल्मों या वेब सीरीज में देह व्यापार के महिमामंडन पर सवाल उठा रहे हैं. पिछले साल आई उनकी गंगूबाई काठियावाड़ी मुंबई के रेड लाइट एरिया की कहानी थी. वहीं क्लासिक नॉवेल पर बनी देवदास में एक वेश्या चंद्रमुखी का अहम किरदार था. फिल्म सांवरिया भले ही दो युवा प्रेमियों (रणबीर कपूर-सोनम कपूर) की कहानी थी, मगर भंसाली ने यहां रानी मुखर्जी को एक सेक्स वर्कर की एक छोटी सी भूमिका में दिखाया था. इन्हीं बातों को याद करते हुए कई लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर क्यों भंसाली अपनी कहानियों में सेक्स वर्करों को ग्लैमर प्रदान करते हैंॽ


फिल्में और भी हैं
हालांकि भंसाली और उनकी हीरामंडी की तरफदारी करने वालों का कहना है कि तवायफ और सेक्स वर्कर समान नहीं हैं. तवायफें प्रचीनकाल की गणिकाओं का दूसरा रूप थीं, जो नृत्य और गायन के माध्यम से कुलीन वर्ग के पुरुषों का मनोरंजन करती थीं. वहीं सेक्स वर्कर वे होती हैं जो जीवित रहने के लिए अपने शरीर को बेचने के लिए मजबूर होती हैं. यह ऐसी हकीकत है, जिससे मुंह नहीं मोड़ा जा सकता है. इसलिए तवायफों के पेशे और वेश्यावृत्ति को अलग-अलग करके ही देखना चाहिए. तवायफों ने भारतीय संगीत और कला में बड़ा योगदान दिया है. यह अलग बात है कि उनके इस योगदान को खुले दिल से समाज ने स्वीकार नहीं किया. भंसाली के समर्थकों के अनुसार यह नहीं भूलना चाहिए कि उन्होंने इन फिल्मों अलावा हम दिल दे चुके सनम, खामोशीः द म्यूजिकल और पद्मावत जैसी बड़े कैनवास की संवेदनशील फिल्में भी बनाई हैं.


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