Telugu Films In Hindi: हर फिल्म पैन-इंडिया नहीं हो सकती. सामंथा की कथित पैन-इंडिया फिल्म, शाकुंतलम न केवल अन्य भाषाओं में बल्कि तेलुगु में भी बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह फ्लॉप साबित है. इसके बाद तेलुगु फिल्म इंडस्ट्री में ही इस बात की आलोचना शुरू हो गई कि निर्माताओं को हर फिल्म को पैन-इंडिया बता कर पेश नहीं करना चाहिए. इससे तेलुगु फिल्म को शर्मिंदगी उठानी पड़ रही है. बाहुबली और आरआरआर जैसी फिल्मों के कारण तेलुगु को जो पैन-इंडिया इज्जतम मिली है, वह शातंकुतलम जैसी फिल्मों से खतरे में पड़ जाती है. तेलुगु इंडस्ट्री में आम चर्चा है कि निर्माताओं के महत्वाकांक्षी होने में कुछ गलत नहीं है मगर हर फिल्म बाहुबली या आरआरआर नहीं हो सकती.


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एक के बाद एक फ्लॉप
उल्लेखीय है कि बाहुबली और आरआरआर के अलावा कन्नड़, मलयालम और तमिल इंडस्ट्री से भी कुछ बड़ी फिल्में हिंदी में डब होकर आईं. जिन्हें हिंदी में काफी पसंद किया गया. परंतु इसके बाद तेलुगु इंडस्ट्री से लगातार एक के बाद एक ऐसी एक्शन-मसाला फिल्में आने लगीं, जिन्हें पैन-इंडिया फिल्में कहा गया. परंतु इनके डब वर्जन हिंदी तथा अन्य भाषाओं में फ्लॉप साबित हुए. वाल्तेयर वीरैया, वारिसु, वीर सिम्हा रेड्डी, दसरा, रावणासुर, कब्जा, दस का धमकी जैसी फिल्में हिंदी पट्टी में विफल रहीं. यही नहीं साउथ की फिल्में चलने के बावजूद बीते साल भर में वहां के ऐक्टर हिंदी में नहीं चल पाए. विजय देवरकोंडा, प्रभास, नाग चैतन्या, सामंथा, रश्मिका मंदाना की फिल्में हिंदी में नाकाम रहीं.


ऐसे नहीं बनेगी बात
अब जानकार कह रह हैं कि केवल राजामौली की फिल्मों को ही अखिल भारतीय माना जाता है, जो आम तौर पर पांच साल में अपनी फिल्म लाते हैं. ज्यादातर तेलुगु निर्माता अब अपनी फिल्मों को अन्य भाषाओं में भी रिलीज करने की योजना बना रहे हैं. उन्हें लगता है कि इससे तेलुगु सितारों को अखिल भारतीय स्तर पर पहचान मिलेगी और उनकी फिल्मों का बिजनेस अच्छा होगा. लेकिन शाकुंतलम और दस का धमकी जैसी पैन-इंडिया फिल्मों से बात नहीं बनेगी.


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