Jab Jab Phool Khile: 1965 में आई जब जब फूल खिले हिंदी की बेहतरीन रोमांटिक फिल्मों में से एक है. फिल्म के गाने सदाबहार है और आज भी सुनने में काफी अच्छे लगते हैं. फिल्म उस समय दर्शकों द्वारा इतनी पसंद की गई कि फिल्म के टिकिट ब्लैक में बिके. फिल्म ने गोल्डन जुबली मनाई. फिल्म इतनी बड़ी हिट हुई कि 1965 में बॉक्स ऑफिस पर सबसे ज्यादा कमाई करने वाली टॉप टेन फिल्मों में नंबर 2 पर थी. इस फिल्म को अफ्रीका में काफी पसंद किया गया था और वहां के टीवी चैनल आज भी इसे चलाते हैं. अल्जीरिया के एक सिनेमा हॉल में दो साल तक इस फिल्म को हर दो दिन में एक बार प्रदर्शित किया गया था.


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कश्मीर की ब्यूटी
दरअसल शशि कपूर उत्तरी अफ्रीकी देशों जैसे अल्जीरिया, मोरक्को और लीबिया में सबसे पसंदीदा भारतीय अभिनेताओं में से एक थे. मोरक्को से सबके पुराने शहरों में शामिल मारकेश के बाजारों में आज भी कुछ पुराने दुकानदार आपको किसी भी चीज पर डिस्काउंट देंगे, अगर आप उनसे कहेंगे कि शशि कपूर के देश हिंदुस्तान से आए हैं. 1996 में आई आमिर खान-करिश्मा कपूर की फिल्म राजा हिंदुस्तानी, जब जब फूल खिले से ही प्रेरित थी. जब जब फूल खिले में शशि कपूर, नंदा तथा आगा की मुख्य भूमिकाएं थी. सूरज प्रकाश ने फिल्म का निर्देशन किया था तथा बृज कात्याल ने फिल्म को लिखा था. फिल्म की शूटिंग कश्मीर में हुई थी.



गरीब लड़का अमीर लड़की
फिल्म की कहानी एक ऐसे गरीब लड़के राजा (शशि कपूर) की थी जो कश्मीर में नाविक है. एक बहुत ही अमीर लड़की रीता खन्ना (नंदा) कश्मीर में छुट्टियां मनाने आती है और राजा के हाउसबोट में ठहरती है. शुरुआती गलतफहमियों के बाद धीरे-धीरे राजा और रीता में दोस्ती होती है, जो आगे चलकर प्यार में बदल जाती है. लेकिन बाद में दोनों के प्यार के बीच में कई तरह की मुश्किलें आती हैं, जिनका सामना करते हुए वे एक होते हैं. शोले जैसी फिल्म के लिए याद किए जाने वाले जीपी सिप्पी सहित कई बड़े निर्माताओं ने राइटर बृज कत्याल की इस स्क्रिप्ट पर फिल्म बनाने से इंकार कर दिया था. लेकिन निर्देशक सूरज प्रकाश को फिल्म की कहानी में दम दिखा और उन्होंने इस कहानी पर फिल्म बनाने का निर्णय लिया जो बहुत बड़ी हिट फिल्म बनी. यह उनकी पहली रंगीन फिल्म थी.


दोनों हारे शर्त मगर
शशि कपूर ने अपने किरदार की तैयारी करके इसमें जान डालने के लिए कश्मीरी नाविकों के साथ कई दिन बिताए. वह लंबा वक्त उनके साथ बिताते और उनके साथ ही खाते-पीते थे. निर्देशक सूरज प्रकाश और शशि कपूर ने इस फिल्म के लिए शर्त लगाई. सूरजप्रकाश ने कहा कि फिल्म 25 हफ्ते चलेगी. लेकिन शशि कपूर का कहना था कि सिर्फ आठ हफ्ते ही चलेगी. शर्त यह थी कि जो भी सही साबित होगा वह दूसरे को एक ब्रांडेड सिला हुआ सूट गिफ्ट करेगा. इस शर्त में प्रकाश ने बाजी जीत ली और शशि कपूर ने उन्हें सूट गिफ्ट किया. हालांकि सच यह था कि दोनों में से एक भी सही साबित नहीं हुआ क्योंकि फिल्म बॉक्स ऑफिस पर 50 सप्ताह तक चली और इसने स्वर्ण जयंती मनाई. यह फिल्म आप अमेजन प्राइम पर सब्सक्रिप्शन होने पर देख सकते हैं, मगर जियो सिनेमा और यू-ट्यूब पर यह फ्री में उपलब्ध है.