Jitendra Life Story: जितेंद्र आज हिंदी सिनेमा का बड़ा नाम है. अपने दौर के मशहूर अभिनेता रहे जितेंद्र ने बेहतरीन फिल्में की और यादगार रोल निभाए. लेकिन क्या आप जानते हैं कि उन्हें इसके लिए अपनी जान तक दांव पर लगानी पड़ी थी. रवि से जितेंद्र बनने तक की कहानी दिलचस्प है लेकिन तकलीफों से भी भरी हुई. लेकिन एक बार जो ठान ली तो फिर अभिनेता वो कर के ही माने जो वो चाहते थे. आगे में कूदे और तपकर सोना बनकर निकले. 


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फिल्मों से ही जुड़ा था जितेंद्र के पिता का कारोबार
दरअसल, जितेंद्र के परिवार का बिजनेस था शूटिंग के लिए ज्वैलरी उपलब्ध कराना लिहाजा फिल्मों के सेट पर आना जाना उनका लगा ही रहता था. ऐसे में अभिनेता भी अक्सर सेट पर जाते इसी दौरान उनकी दिलचस्पी एक्टिंग में बढ़ गई. वो चाहते थे हीरो बनना लेकिन तभी उनके पिता का निधन हो गया. जिसके बाद वो बिजनेस को अपने चाचा के साथ मिलकर संभालने लगे. लेकिन एक्टिंग से लगाव उनका छूटा नहीं था उन्होंने चाचा से कहकर मशहूर डायरेक्ट वी शांताराम से बात करवाई जिन्होंने उनका ऑडिशन भी लिया लेकिन उसमें रिजेक्ट भी कर दिया गया. 


फिर ऐसे मिला पहला मौका
रिजेक्शन के बाद भी जितेंद्र ने शूटिंग सेट पर ही काम करने की ठानी लिहाजा वो एक्स्ट्रा के तौर पर काम करन लगे. वी शांताराम तब एक फिल्म की शूटिंग कर रहे थे जिसमें उनकी बेटी राजश्री एक्ट्रेस थीं. शूटिंग के दौरान एक बार सीन में राजश्री को आग में से निकलना था जिसके लिए बॉडी डबल की तलाश हो रही थी लेकिन कोई भी लड़की ये काम करने को तैयार ही नहीं थी. लेकिन जितेंद्र ने इस मौके को हाथ से जाने नहीं दिया वो आग में कूदने को तैयार हो गए. इतना खतरनाक सीन उन्होंने बखूबी निभाया. जिससे वी शांताराम काफी खुश हो गए और जितेंद्र के करियर की गाड़ी चल निकली. अगली फिल्म ‘गीत गाया पत्थरों ने’ में वो लीड रोल में दिखे और फिर कभी पलटकर नहीं देखा.   


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