Allahabad High Court decision on Nithari Case: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नोएडा के बहुचर्चित निठारी कांड में बड़ा फैसला सुनाया है और दोनों आरोपियों को राहत देते हुए फांसी की सजा रद्द कर दी है. हाईकोर्ट ने दोनों आरोपी सुरेंदर कोली और मनिंदर सिंह पंढेर की अपील स्वीकार करते हुए फांसी की सजा रद्द कर दी है. इससे पहले सितंबर महीने में हाईकोर्ट ने अपील पर सुनवाई पूरी करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया था.


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गाजियाबाद की सीबीआई कोर्ट ने दी थी फांसी


बता दें कि साल 2005-06 में नोएडा के निठारी में हुए हत्या, अपहरण, बलात्कार के मामले में सीबीआई (CBI) ने आरोपी सुरेंदर कोली और मनिंदर सिंह पंढेर के खिलाफ कुल 16 मामले दर्ज किए थे. इनमें से 14 मामलों में गाजियाबाद की सीबीआई कोर्ट ने सुरेंद्र कोली को फांसी दी थी. जबकि, मनिंदर सिंह पंढेर के खिलाफ दर्ज 6 मामलों में से 3 मामलों में फांसी की सजा सुनाई गई थी और 2 मामलों में वह पहले ही बरी हो गया था.


दोनों आरोपियों ने हाईकोर्ट में लगाई थी गुहार


निठारी केस के दोनों आरोपी सुरेंदर कोली और मनिंदर सिंह पंढेर ने गाजियाबाद की सीबीआई कोर्ट से मिली फांसी की सजा के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. आरोपियों ने हाईकोर्ट में कहा था कि सिर्फ वैज्ञानिक और परिस्थितिजन्य सबूतों के आधार पर उनको सजा दी गई है, जबकि इन घटनाओं का कोई चश्मदीद मौजूद नहीं है. इस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्र और जस्टिस एस एच ए रिजवी की बेंच ने दोनों को बरी कर दिया.


क्या है निठारी कांड और क्या हैं पंढेर-कोली पर आरोप?


बता दें कि मई 2006 में एक युवती के पिता ने नोएडा के सेक्टर 20 थाने में उसकी गुमशुदगी का केस दर्ज कराया और बताया कि मनिंदर सिंह पंढेर ने नौकर दिलाने के लिए बुलाया था, जिसके बाद से वह नहीं लौटी है. केस दर्ज करने के बाद पुलिस ने जांच शुरू की और पुलिस को 29 दिसंबर 2006 को निठारी में पंढेर की कोठी के पीछे नाले में बच्चों और महिलाओं के कंकाल मिले. इसके बाद पुलिस ने और उसके नौकर सुरेंद्र कोली को गिरफ्तार किया, लेकिन बाद में इस केस को सीबीआई को सौंप दिया गया. दोनों पर हत्या, अपहरण, बलात्कार के आरोप हैं. इसके अलावा दोनों पर सबूतों को मिटाने के भी आरोप हैं.
(इनपुट- मोहम्मद गुफरान)