अलीगढ़: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में अलीगढ़ (Aligarh) की जेल में पिछले 26 महीने से कैद एक शख्स पर रेप का झूठा मुकदमा दर्ज किया गया था और इसका खुलासा तब हुआ, जब पीड़िता के बच्चे का डीएनए टेस्ट (DNA Test) किया गया. नतीजे में सामने आया कि जेल में बंद शख्स बच्चे का पिता है ही नहीं.


रेप के झूठे मुकदमे की ऐसे रची साजिश


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बता दें कि अमित नाम का यह शख्स फरीदाबाद (Faridabad) में काम करता था. साल 2018 के जुलाई में अपने बड़े भाई की शादी में शामिल होने के लिए वह गांव आया हुआ था. इसके सात महीने बाद साल 2019 के फरवरी में पुलिस ने उसे तलब किया और एक लड़की से रेप करने का दोषी ठहराया. अमित की मां और उसकी भाभी को पहले ही हिरासत में ले लिया गया था. अमित वहां गया तो उसे भी गिरफ्तार कर लिया गया.


शख्स के खिलाफ झूठे केस की क्या थी वजह


अमित के पिता सज्जन सिंह ने बताया कि जमीन के एक टुकड़े को लेकर पीड़िता के पिता के साथ उनकी कुछ कहासुनी हुई थी और इसी के चलते उनके परिवार के खिलाफ साजिश रची गई.


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रेप समेत इन धाराओं में दर्ज किया गया केस


अमित पर रेप और पोक्सो एक्ट की धाराओं के तहत आरोप लगाए गए, जबकि उनके बड़े भाई चंद्र शेखर पर जान-बूझकर चोट पहुंचाने का आरोप लगाया गया. अपने छोटे भाई सुनील और एक दूर के रिश्तेदार तीक्ष्ण पाल के साथ चंद्र शेखर पर बारला पुलिस स्टेशन में आपराधिक धमकी और घर में जबरन घुसने का भी मामला दर्ज किया गया था.


चंद्रशेखर को जमानत मिल गई. वहीं सुनील और तीक्ष्ण पाल का नाम भी बाद में चार्जशीट से हटा दिया गया क्योंकि उनके खिलाफ सबूत नहीं थे. लेकिन इस दौरान अमित अलीगढ़ जिला जेल में बंद रहा.


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ऐसे मिला बेगुनाही का सबूत


अमित के वकील हरिओम वार्ष्णेय ने कहा कि उन्होंने कोर्ट में पीड़िता के बच्चे का डीएनए टेस्ट करवाने की मांग की थी ताकि पता लगाया जा सके कि क्या अमित ने उसके साथ वाकई में रेप किया है, जिसके चलते लड़की प्रेग्नेंट हुई.


पिछले साल मार्च में अमित और बच्चे दोनों के सैंपल लिए गए थे. अब सामने आई रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि अमित बच्चे का पिता नहीं है.


अमित के वकील ने कहा है कि उनका अगला कदम अपने क्लाइंट को उन सभी आरोपों से मुक्त करने के लिए याचिका दाखिल करना होगा, जिसके चलते उन्हें हिरासत में लिया गया था.


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