Paper Leak Case Kingpin Ravi Atri: 'मैं एक दिन बहुत अमीर बनूंगा', शायद यही चाहत रवि अत्री (Ravi Atri) को ले डूबी और उसे क्रिमिनल बना दिया. रवि अत्री के घर वालों को कहना है कि तीनों भाइयों में वह पढ़ने में सबसे ज्यादा तेज था. लेकिन किसे पता था कि आगे चलकर वह यूपी पुलिस पेपर लीक मामले का किंगपिन बनेगा. रवि अत्री इस धंधे में 17 साल पहले उतरा था और तब से अब तक उसने कई पेपर लीक कराए. तमाम जगहों पर वह सॉल्वर बनकर भी पहुंचा. आइए जानते हैं कि रवि अत्री कौन है और कैसे वह पेपर लीक का मास्टरमाइंड बना.


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अमीर बनने की चाहत ने रवि अत्री को बनाया क्रिमिनल


TOI के मुताबिक, रवि अत्री ग्रेटर नोएडा के नीमका (Neemka) गांव का रहने वाला है. बचपन में वह मां के साथ अपने खेत में जाता था और खेती-बाड़ी के काम में हाथ बंटाता था. वह खेत में भी जाता था तो अपनी किताबें साथ ले जाता था. लेकिन वह हमेशा यह दावा करता रहता था कि एक दिन वह बहुत अमीर आदमी बनेगा. बताया जा रहा है कि रवि अत्री हमेशा से डॉक्टर बनना चाहता था. रवि अत्री की मां को लगता है कि उनका बेटा गलत संगत में पड़ गया. तभी ऐसा हुआ.


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रवि अत्री ने पेपर लीक करना कैसे सीखा?


रवि अत्री ने क्लास 12 की पढ़ाई श्रीराम मॉडल इंटर कॉलेज से की है. इसके बाद 2006 में वह राजस्थान के कोटा चला गया था. इसके बाद उसने एलेन कोचिंग सेटंर ज्वाइन किया और मेडिकल एंट्रेस एग्जाम की तैयारी करने लगा. कोटा को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वालों और कोचिंग क्लासेस की नर्व माना जाता है और यहीं से रवि अत्री ने पेपर लीक करने की ट्रिक्स सीखीं. 2007 में रवि अत्री ने पहले बार पेपर सॉल्वर के तौर पर काम किया. सूत्रों के मुताबिक, वह रेलवे और बैंक की परीक्षा में दूसरे कैंडिडेट की जगह बैठा और पेपर सॉल्व किया.


SBI एग्जाम पेपर भी कराया लीक!


ये भी जानकारी मिली है कि 2012 में रवि अत्री ने चीटिंग से हरियाणा प्री-मेडिकल टेस्ट पास कर लिया था. इसमें उसकी मदद मोहित चौधरी नाम के एक शख्स ने की थी. बाद में रवि अत्री को PGIMS-रोहतक में एडमिशन मिला. लेकिन इसी साल रवि अत्री को मेडिकल एग्जाम पेपर लीक मामले में गिरफ्तार भी किया गया. हालांकि बाद में वह जमानत पर छूट गया. लेकिन छूटने के कुछ दिनों बाद ही रवि अत्री SBI एग्जाम पेपर लीक मामले में गिरफ्तार हुआ.


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खुद को डॉक्टर बताता था रवि अत्री


रवि अत्री अपनी MBBS की पढ़ाई पूरी नहीं कर पाया. थर्ड ईयर तक तो रवि अत्री ने पढ़ाई की लेकिन फाइनल ईयर के पेपर देने वह नहीं आया. यूपी एसटीएफ के मुताबिक, MBBS की पढ़ाई पूरी ना करने के बावजूद रवि अत्री रोहतक और कोटा में अपने आपको डॉक्टर बताता था. इसके जरिए वह तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों के लिए सॉल्वर बन जाता था.


सूत्रों के मुताबिक, पेपर कहां छपते हैं, फिर कहां और कैसे भेजे जाते हैं, रवि अत्री इसकी पूरी जानकारी रखता था. ट्रांसपोर्ट कंपनी के कर्मचारियों से संपर्क करके वह पेपर की कॉपी ले लेता था. कई बार तो उसने पेपर सॉल्व करने के लिए कैंडिडेट्स को एग्जाम हॉल में ब्लूटूथ के साथ भेजा और फोन पर पेपर सॉल्व कराए. इस बात की जांच भी की जा रही है कि 2015 के मेडिकल एग्जाम पेपर लीक मामले में भी रवि अत्री इनवॉल्व था. हालांकि, रवि अत्री के पिता गोरख सिंह ने कह दिया है कि उनका अपने बेटे से कोई लेना-देना नही हैं. रवि अत्री की मां ने बताया कि बेटा डेढ़ साल से घर नहीं आया था. हम लोगों से बात भी नहीं होती थी.