Chennai News: चेन्नई शहर की पॉक्सो अदालत ने एक महिला को फर्जी मेडिकल रिकॉर्ड बनाने और अपने हसबैंड पर छह साल पहले बेटी के साथ बलात्कार करने का झूठा आरोप लगाने के आरोप में पांच साल जेल में कैद की सजा सुनाई है. आपको बताते चलें कि मद्रास हाईकोर्ट ने 20 अगस्त, 2019 को आरोपी शख्स के खिलाफ मामला रद्द करने का आदेश देते हुए महिला के खिलाफ पोक्सो कोर्ट में मामला दर्ज करने का निर्देश दिया था.


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बंद कमरे में दर्ज हुआ था बेटी बयान


हाईकोर्ट ने बंद कमरे में बेटी का बयान दर्ज किया था. इसके बाद बेंच ने इस बात की पुष्टि की थी कि शिकायतकर्ता महिला ने अपने पति से बदला लेने के लिए मेडिकल दस्तावेजों में हेराफेरी की थी. ये घृणित काम महिला ने उस वक्त किया जब उसका पति के साथ तलाक का मुकदमा चल रहा था. अब उनका तलाक हो चुका है.


दोबारा मेडिकल में सामने आई सच्चाई ा


टीओआई में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक हाई कोर्ट ने पाया था कि महिला द्वारा दी गई यूरिनरी रिपोर्ट और डॉक्टर के बयान सब झूठे थे. उसकी बनाई मेडिकल रिपोर्ट झूठ का पुलिंदा होने के बावजूद उसके पति को जिंदगी भर जेल में सड़ाने के लिए काफी थी. महिला ने ये दस्तावेज उस मेडिकल सेंटर से मिले थे जहां उसने लैब असिस्टेंट की नौकरी की थी.


बेटी की बीमारी का उठाया फायदा


मामले की पोलपट्टी खुलने के बाद में महिला ने पुलिस को बताया था कि उसकी बड़ी बेटी अक्सर बीमार रहती थी और उसे यूरिन संबंधी समस्याओं की शिकायत थी. उसने बेटी का यूरिन टेस्ट कराया और डॉक्टर के बयान पर एक रिपोर्ट तैयार कराई कि उसकी बेटी का यौन शोषण किया हुआ था. इसके बाद लड़की के पिता ने मद्रास हाईकोर्ट का रुख किया, जहां से उन्हें इंसाफ मिला.


बीते मंगलवार को स्पेशल पॉक्सो जज एम राजलक्ष्मी ने पति को फंसाने वाली महिला को पांच साल कैद और 6 हजार जुर्माने की सजा सुनाई. इस मामले में इंसाफ मिलने के बाद चेन्नई के पुलिस कमिश्नर संदीप राय राठौड़ ने सजा दिलाने के लिए मुकदमे की बारीकी से निगरानी करने के लिए सभी महिला पुलिस स्टाफ की सराहना की.