नई दिल्ली. दिल्ली के इंडिया के गेट पर जलने वाली अमर जवान ज्योति (Amar Jawan Jyoti) का शुक्रवार को नेशनल वॉर मेमोरियल में विलय कर दिया. अब यह ज्योति वॉर मेमोरियल में जलेगी. पिछले 50 वर्ष से अमर जवान ज्योति इंडिया पर ही जल रही थी. हालांकि, अमर जवान ज्योति को वॉर मेमोरियल में शिफ्ट करने पर सियासत भी शुरू हो गई है. कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी पार्टियां इसका विरोध कर रही हैं. वहीं, साल 1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर हिंदुस्तानी सेना को कमांड कर रहे, लेफ्टिनेंट जनरल जेबीएस यादव ने आईएएनएस को सही बताया है. ऐसे में आइए जानते हैं अमर जवान ज्योति का इतिहास क्या है? क्योंकि इसे इंडिया गेट पर लगाया गया था और अब क्यों हटा दिया गया?


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1972 में प्रज्वलित हुई ज्योति
इंडिया गेट स्मारक ब्रिटिश सरकार के समय 1921 में बनकर तैयार हुआ था. इंडिया गेट का निर्माण 1914-1921 के बीच अपनी जान गंवाने वाले ब्रिटिश भारतीय सैनिकों की याद में बनाया गया था. ये सभी जवान प्रथम विश्व युद्ध में ब्रिटिश हुकूमत के लिए लड़े थे. यहां करीब 13,000 से अधिक ब्रिटिश और भारतीय सैनिकों के नाम भी हैं. ये सभी अफगान युद्ध में मारे गए थे.


रिपोर्ट्स के मुताबिक इंडिया गेट की अधाराशिला ड्यूक ऑफ कनॉट ने रखी थी. जबकि इसे इडविन लुटियन ने डिजाइन किया था. देश आजाद होने के बाद दिसंबर 1971 में भारत-पाक युद्ध हुआ. इसमें लगभग 3000 भारतीय सैनिक शहीद हुए. हालांकि इस युद्ध में पाकिस्तान को बुरी हार मिली थी. भारतीय जवानों ने पाकिस्तानी सैनिकों को बंदी बना लिया था. इस युद्ध में अपनी जान गंवाने वाले सैनिकों के सम्मान तात्कालिक पीएम ने 26 जनवरी, 1972 में इस ज्योति को प्रज्वलित किया था. 


इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति की याद में काले रंग का एक स्मारक बना हुआ है, जिस पर अमर जवान लिखा हुआ है. इस पर L1A1 सेल्फ लोडिंग राइफल, एक सैन्य हेलमेट रखा है और लौ लगातार पांच दशक से जल रही है. अमर जवान की ज्योति पहले एलपीजी से जलती थी, लेकिन अब इसके लिए सीएनजी का प्रयोग किया जाता है. अमर जवान की ज्योति न बुझे इसलिए एक व्यक्ति की ड्यूटी मेहराब में बने कमरे में लगाई जाती है. अमर जवान ज्योति पर 24 घंटे थलसेना, वायुसेना और नौसेना के जवान तैनात रहते हैं.


2020 से अमर जवान ज्योति की प्रथा बदली
1972 में इसके उद्घाटन के बाद से ही हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस परेड से पहले प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और थल, जल और वायु सेनाओं के प्रमुख अमर जवान ज्योति पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. लेकिन 2019 में नेशनल वॉर मेमोरियल बनने के बाद 2020 से ही गणतंत्र दिवस के अवसर पर अमर जवान ज्योति की जगह नेशनल वॉर मेमोरियल पर श्रद्धांजलि देने की प्रथा शुरू हो गई है. 


क्या है नेशनल वॉर मेमोरियल
नेशनल वॉर मेमोरियल को स्वतंत्र भारत में देश के लिए अपनी जान गंवाने वाले सैनिकों की याद में 2019 में इंडिया गेट के करीब बनाया गया है. ये जनवरी 2019 में पूरा हुआ और 25 फरवरी 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका उद्घाटन किया था. यहां पर चीन और पाकिस्तान के साथ युद्ध के अलावा 1961 में हुए गोवा युद्ध और श्रीलंका में चलाए गए ऑपरेशन पावन और भारतीय सेना द्वारा जम्मू-कश्मीर में चलाए गए विभिन्न ऑपरेशन में शहीद हुए सैनिकों के नाम सुनहरे अक्षरों में अंकित हैं. 21 जनवरी 2022 को अमर जवान ज्योति पर 50 वर्षों से लगातार जल रही लौ को नेशनल वॉर मेमोरियल में स्थानांतरित कर दिया गया. अब यह ज्योति नेशनल वॉर मेमोरियल में जलेगी. क्योंकि इसे आजाद भारत में शहीद हुए जवानों के याद में बनाया गया है.


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