IAS Akshita Gupta Success Story: भारत में हर साल लाखों उम्मीदवार यूपीएससी परीक्षा को क्रैक करने और आईएएस अधिकारी बनने का सपना देखते हैं, लेकिन यूपीएससी परीक्षा को क्रैक करना इतना आसान नहीं है. इस परीक्षा को कई लोग भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक मानते हैं. हर साल देश के विभिन्न हिस्सों से लाखों उम्मीदवार यूपीएससी परीक्षा में शामिल होते हैं, लेकिन उनमें से कुछ ही यूपीएससी परीक्षा को पास करने में सफल होते हैं और आईएएस अधिकारी बनते हैं. आज हम ऐसी ही एक आईएएस अधिकारी डॉ. अक्षिता गुप्ता के बारे में बात करेंगे, जिन्होंने अपने पहले ही प्रयास में केवल रोजाना 15 मिनट की तैयारी की बदौलत यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास करने में सफलता हासिल की थी.


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पहले प्रयास में हासिल की 69वीं रैंक
डॉ. अक्षिता गुप्ता चंडीगढ़ की रहने वाली हैं और उनके पिता पवन गुप्ता पंचकूला के सीनियर सेकेंडरी स्कूल में प्रिंसिपल हैं. आईएएस अधिकारी डॉ अक्षिता गुप्ता की मां मीना गुप्ता एक सरकारी स्कूल में मैथ्स की लेक्चरर हैं. गौरतलब है कि आईएएस अधिकारी अक्षिता जब यूपीएससी परीक्षा की तैयारी कर रही थीं, तब वह एक अस्पताल में डॉक्टर के रूप में काम कर रही थीं. डॉ. अक्षिता ने साल 2020 में अपने पहले प्रयास में यूपीएससी परीक्षा पास की थी और ऑल इंडिया 69वीं रैंक हासिल की थी.


15 मिनट के ब्रेक में करी UPSC की तैयारी
आईएएस अधिकारी अक्षिता ने अपनी ग्रेजुएशन के तीसरे साल में यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी थी. वह अपना सारा खाली समय यूपीएससी परीक्षा की तैयारी में लगाती थीं. चूंकि आईएएस अधिकारी अक्षिता गुप्ता एक मेडिकल छात्रा थीं, इसलिए उन्होंने मेन्स परीक्षा में मेडिकल साइंस को एक वैकल्पिक विषय के रूप में चुनने का फैसला किया था. डॉ अक्षिता गुप्ता ने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के हिस्से के रूप में अपनी सभी मेडिकल बुक्स को रिवाइज किया. आईएएस अधिकारी डॉ. अक्षिता गुप्ता ने अस्पताल में 14 घंटे काम किया और अपने काम से लिए गए 15 मिनट के ब्रेक में यूपीएससी परीक्षा के लिए पढ़ाई करती थीं.


इस तरह की ऑप्शनल सब्जेक्ट की तैयारी
अक्षिता गुप्ता ने एक शानदार रणनीति बनाई और उन विषयों पर ध्यान केंद्रित किया जिनमें वह कमजोर थीं. IAS अधिकारी अक्षिता गुप्ता ने एक बार एक इंटरव्यू में कहा था "मैंने अपनी सभी मेडिकल की किताबें लीं और यूपीएससी पाठ्यक्रम से संबंधित पन्ने फाड़ लिए. अपनी किताबों को फाड़ना दर्दनाक था, लेकिन यह अच्छे के लिए था. मैंने सभी पन्ने लिए, उन्हें स्टेपल किया और चैप्टर बनाए ताकि मुझे हर चीज के लिए नोट्स न बनाने पड़ें. इस तरह, मैंने मेडिकल साइंस ऑप्शनल सब्जेक्ट के लिए तैयारी की."