नई दिल्ली:  हाल ही में हुए पश्चिम बंगाल चुनाव में ममता बनर्जी की पार्टी त्रिणमूल कांग्रेस ने जबरदस्त सफलता हासिल की. ममता बनर्जी अब लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने जा रही हैं. खास बात है कि ममता की पहचान रही है कि वो सिर्फ हवाई चप्पल पहनती हैं. ये हवाई चप्पल बहुत कॉमन चीज है. हर घरों में नीले रंग की इस चप्पल को लोग कई नामों से बुलाते हैं. आज कल लोग इसे स्लिपर्स कहना पसंद करते हैं. लेकिन एक सवाल है कि आखिरी हवाई चप्पल का नाम कहां से आया. आइए जानते हैं...


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कहां से आया हवाई चप्पल का नाम?
दरअसल, हवाई चप्पल के नाम को लेकर इतिहासकारों के बीच मतभेद है. लोग इसके लिए मुख्य रूप से तीन कारण बताते हैं. पहला कनेक्शन पेड़ की वजह से. दूसरा हवाई नाम के स्थान की वजह से. और तीसरा हवाई से मिलती-जुलती कंपनी की वजह से. 


हवाई के नाम पर पड़ा हवाई
कई इतिहासकार मानते हैं कि अमेरिकी आईलैंड 'हवाई' के नाम पर इन चप्पलों को हवाई कहा जाता है. दरअसर, फ्लिप-फ्लॉप या सिलपर्स कहे जाने वाली चप्पलें हवाई में मिलने वाली एक 'टी' नाम के फैब्रिक से बनाई जाती हैं. हालांकि, इन चप्पलों का डिजाइन हवाई चप्पलों से अलग रहा है. 


हवाई चप्पल का जापान कनेक्शन
बताया जाता है कि जापान में मिलने वाली जोरी या गेटा फुटवियर्स का डिजाइन हवाई चप्पलों से मिलता-जुलता है. बताया जाता है कि साल 1932 के समय ये चप्पलें काफी फेमस हो गईं. ऐसे में कोबलर एल्मर स्कॉट नाम के व्यक्ति में हवाई में एक फैक्ट्री में जपानी डिजाइन की चप्पलों को बनाया. जो आगे चलकर खूब फेसम हुईं.


इस कंपनी का योगदान
जैसे कोल्ड ड्रिंक को लोग कोला कहने लगे. बाइक को हीरो होंडा, तो टूथपेस्ट को कोलगेट. ऐसे ही हवाई चप्पलों को फेमस बनाने के श्रेय एक ब्राजीलियन शूं-ब्रांड को जाता है. हाइवजान नाम की कंपनी ने साल 1962 में नीले रंग की सफेद स्ट्रीप वाली चप्पलें लॉन्च कीं. जो खूब फेमस हुईं. हाइवजान के नाम पर चप्पलों को हवाई चप्पल कहा जाने लगा.