Flat Foot Rules in Army: दुनियाभर में किसी भी देश में सेना में भर्ती के बहुत कठिन रूल्स होते हैं. सेना में चाहे किसी भी पद के लिए भर्ती होनी हो, हर तरह से कैंडिडेट्स की जांच की जाती है. सेना भर्ती में  सबसे अहम होता है फिजिकल टेस्ट, जिसे क्लियर करने के बाद ही उम्मीदवारों को एंट्री मिलती है. सेना में प्रवेश के लिए और पूरे ड्यूटी पीरियड के दौरान कैंडिडेट का फिजिकली फिट होना सबसे जरूरी है.


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फिजिकल फिटनेस में किसी कैंडिडेट की लंबाई, सीमा, रनिंग के साथ ही ये भी देखा जाता है कि कोई कैंडिडेट फ्लैट फुटेड तो नहीं है. आर्मी में फ्लैट फुटेड वाले उम्मीदवारों को एंट्री नहीं मिलती है. आइए जानते हैं कि आखिर कौन होते हैं फ्लैट फुटेड कैंडिडेट और क्यों इनके प्रवेश पर रोक है...


ये होते हैं फ्लैट फुटेड लोग
फ्लैट फुटेड लोगों की जांच उनके पांव के पंजों से की जाती है. ऐसे लोग जिनके पांव के नीचे आर्च सामान्य से कम होता है. इसका मतलब सामान्य लोगों के के पांव के नीचे जो गोलाई होती है वो फ्लैट फुल वालों में नहीं होती है. वहीं, ऐसे लोगों के पैर पूरी तरह जमीन को छूते हैं. जब हम गीले पांव जमीन पर चलते हैं तो पंजों के निशान आधे ही जमीन पर छपते हैं. वहीं, फ्लैट फुटेड लोगों के निशान पूरे-पूरे बनते हैं. जानकारी के मुताबिक हमारे देश में 20-25 प्रतिशत फ्लैट फुटेड लोग होते हैं. 


कई बार गंभीर दर्द का कारण
पैरों की इस तरह की बनावट वाले व्यक्ति के लिए बहुत परेशानी वाली बात हो सकती है. हालांकि, सामान्य तौर पर कई लोगों को तो दिक्कत नहीं होती है, लेकिन कई लोगों को इस वजह से स्पाइनल का दर्द शुरू सकता है. ज्यादातर लोगों को तो इससे कोई परेशानी नहीं होती, लेकिन कुछ लोगों को इससे गंभीर दर्द हो सकता है, जिसमें बच्चे भी शामिल हैं. 


सेना में क्यों नहीं मिलती एंट्री?
फ्लैट फुट वाले कैंडिडेट्स ज्यादा मार्च करते हैं तो उनकी रीढ़ की हड्डी को बहुत नुकसान पहुंचता है. इतना ही नहीं ऐसे में जवानों के विकलांग होने का जोखिम रहता है, जो सेना और जवान के लिए किसी भी तरह से फायदेमंद नहीं है, जहां सेना को लाइफ टाइम उनका खर्च वहन करना होगा, वहीं जवान की भी लाइफ खराब हो जाएगी.


फ्लैट फुटेड सैनिक लंबे समय तक सर्विस नहीं दे सकते. इसके अलावा उन्हें हिल वाले जूतों के कारण पैरों में ज्यादा परेशानी हो सकती हैं. सेना के यही कुछ अहम कारण हैं, जो व्यक्ति के पांव में थोड़ा घुमाव होना जरूरी है, क्योंकि सैनिक के तेज भागने, मार्च करने में इन्हीं का अहम रोल होता है.