Success Story: केंद्र शासित प्रदेश में शुक्रवार को इतिहास रचते हुए डोडा जिले के सुदूर कहारा इलाके के तीन भाई-बहनों ने प्रतिष्ठित जम्मू कश्मीर सिविल सेवा परीक्षा (JKCSE) में सफलता हासिल की है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उनमें से दो - इफरा अंजुम वानी और उनके छोटे भाई सुहैल अहमद वानी ने अपने पहले प्रयास में यह प्रतिष्ठित परीक्षा पास कर डाली है, जबकि हुमा, जो तीनों में सबसे बड़ी हैं, उसने अपने दूसरे प्रयास में यह सफलता हासिल की है. 


सुहेल ने 111वीं रैंक, हुमा ने 117वीं और इफरा को 143वीं रैंक हासिल की है. बता दें कि सुहेल ने 2019 में गवर्नमेंट एमएएम कॉलेज से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की थी, जबकि हुमा और इफरा ने 2020 में इग्नू से पत्राचार के माध्यम से राजनीति विज्ञान में एमए (MA) किया है. बता दें कि भाई-बहनों ने साल 2021 में सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने का फैसला किया था.


इनके पिता मुनीर अहमद वानी श्रमिक ठेकेदार के रूप में काम करते हैं. वहीं इनकी मां एक गृहणी हैं. इसके अतिरिक्त साल 2014 तक, मुनीर एक निजी कंपनी में मैकेनिक के रूप में भी काम कर चुके हैं. मुनीर बताते हैं कि उनके बच्चों को एक ही कमरा आपस में साझा करना पड़ता था क्योंकि सर्दियों में घर में 10-12 और गर्मियों में 6-8 लोग हुआ करते थे.


इफरा ने कहा, "हमारे पिता की मामूली मासिक आय को देखते हुए, हमारे पास कोई मोबाइल फोन नहीं था. प्रत्येक विषय की केवल एक किताब थी, जिसे हमें साझा करना पड़ता था." नतीजतन, हुमा और सुहेल के बीच हमेशा एक विशेष विषय का अध्ययन करने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिलने के मुद्दे पर बहस भी होती थी. इफरा ने आगे कहा, वह दोनों के बीच मध्यस्थता किया करती थी, ताकि वे एक दूसरे के साथ सहयोग करके पढ़ाई कर सकें.


वहीं हुमा ने कहा, "स्टडी मटीरियल और गाइडेंस के संबंध में हमें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा."


इफरा ने कहा, "अल्लाह की कृपा से, हम सभी ने इस परीक्षा को पास कर लिया है." वहीं परीक्षा परिणाम बताते हैं कि केवल एक ही दिन में इन सभी का जीवन बदल गया है. सुहेल ने कहा, "यह हम सभी के लिए पूरी तरह से एक यू-टर्न है." बता दें सुहेल पुलिस सेवा में शामिल होना चाहता था, क्योंकि उनका मानना है कि "इस सेवा में शक्ति और जिम्मेदारी दोनों आती है".


इसके अलावा सुहेल जम्मू-कश्मीर में ड्रग्स के बढ़ते खतरे के खिलाफ भी काम करना चाहते हैं, जबकि उनकी बहनें नागरिक प्रशासन में शामिल होना चाहती हैं और समाज के हाशिए पर पड़े वर्गों की सेवा करना चाहती हैं, खासकर वे महिलाएं जो पितृसत्तात्मक मानसिकता के कारण पीड़ित हैं.