Naina Jaiswal Success Story: हैदराबाद, भारत की एक उल्लेखनीय एथलीट और स्कॉलर नैना जायसवाल ने महज 22 साल की उम्र में देश की सबसे कम उम्र की और पहली महिला डॉक्टरेट डिग्री (PhD) धारक बनकर एक बार फिर रिकॉर्ड तोड़ दिया है. महबूबनगर के तेलंगाना जिले में, नैना का शोध प्रबंध इस बात पर केंद्रित था कि कैसे माइक्रो-फाइनेंस महिला सशक्तिकरण में अपना योगदान देता है. बता दें उन्होंने मात्र 17 साल की उम्र में ही पीएचडी की पढ़ाई शुरू कर दी थी, जिससे वह एक विलक्षण प्रतिभा की धनी बन गईं.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

नैना की शैक्षणिक शक्ति कोई हाल ही में डेवलप नहीं हुई है. उन्होंने महज आठ साल की उम्र में कक्षा 10वीं पढ़ाई पूरी कर ली थी और मात्र दस साल की उम्र में इंटरमीडिएट की पढ़ाई. इसके अलावा उन्होंने 13 साल की उम्र में ही जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन की डिग्री हासिल कर ली थी. उसके बाद उन्होंने 15 साल की उम्र में उस्मानिया यूनिवर्सिटी से पॉलिटिकल साइंस में मास्टर डिग्री प्राप्त की, जिसके बाद वह एशिया में सबसे कम उम्र की पोस्टग्रेजुएट बन गई. इसके अलावा बता दें कि नैना लॉ ग्रेजुएट भी हैं.


नैना ने अपने माता-पिता के इस विश्वास के लिए कि शिक्षा और एथलेटिक्स दोनों में उत्कृष्टता प्राप्त करने की अपनी क्षमता का श्रेय दिया कि बच्चे दोनों क्षेत्रों में उत्कृष्टता प्राप्त कर सकते हैं. वह होमस्कूल्ड थी, जिसने उन्हें अपनी पढ़ाई और खेल दोनों को संतुलित करने की अनुमति दी. वह टेबल टेनिस में एक राष्ट्रीय और साउथ एशिया चैंपियन हैं और उन्होंने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंटों में कई स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक भी जीते हैं. नैना एक इंटरनेशनल मोटिवेशनल स्पीकर भी हैं, जिन्होंने दुनिया भर के कार्यक्रमों और सेमिनारों में भाग लिया है.


नैना अपने माता-पिता और अपने रिसर्च गाइड्स, प्रो. डॉ. मुर्रू मुत्यालु नायडू गारू और प्रो. डॉ. टेकी सुरय्या गारु के प्रति अपनी शैक्षणिक यात्रा के दौरान उनके अमूल्य मार्गदर्शन और समर्थन के लिए आभार व्यक्त करती हैं.


नैना जायसवाल की शैक्षणिक और एथलेटिक उपलब्धियां असाधारण से कम नहीं हैं. उन्होंने इतनी कम उम्र में कई बाधाओं को तोड़ दिया है और कई रिकॉर्ड बनाए हैं. इसके अलावा उन्होंने अनगिनत लोगों को अपने पैशन को आगे बढ़ाने और अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए प्रेरित भी किया है.