IAS Success Story: देश के बहुत से युवाओं पर यूपीएससी पास करने की ही धुन सवार होती है और वे हर हाल में अपना यह सपना पूरा करते हैं. देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा क्रैक करने के लिए दिन-रात मेहनत करनी पड़ती है.


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प्रीलिम्स, मेन्स और फिर इंटरव्यू क्लियर करने के बाद तब जाकर कहीं जाकर सफलता मिलती है. आज हम आपको एक ऐसी ही आईएएस ऑफिसर परी बिश्नोई के बारे में बता रहे हैं, जिन्होंने केवल 24 साल की उम्र में आईएएस बनकर एक मिसाल कायम की है. 


राजस्थान की रहने वाली हैं परी
अजमेर जिले में रहने वाले एडवोकेट मनीराम बिश्नोई और जीआरपी थानाधिकारी सुशीला बिश्नोई के घर 26 फरवरी 1996 को परी का जन्म हुआ. परी को बचपन से ही घर में पढ़ाई करने के लिए एक बेहतरीन माहौल मिला. उन्होंने अजमेर के सेंट मैरी कॉन्वेंट स्कूल से पढ़ाई पूरी की. 


छोटी उम्र में तय कर लिया था लक्ष्य
परी ने 12वीं में ही ठान लिया था कि यूपीएससी सीएसई क्रैक करके वह एक आईएएस ऑफिसर बनेंगी. इस तरह अपने गोल पर फोकस करते हुए परी डीयू से ग्रेजुएशन के बाद बगैर समय गवाएं यूपीएससी की तैयारी में जुट गईं. 


दो बार मिली असफलता
परी ने अजमेर के एमडीएस यूनिवर्सिटी से पॉलिटिकल साइंस में पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की है. इस बीच उन्हें यूपीएससी की तैयारी करते हुए लंबा समय हो गया. मास्टर्स के दौरान उन्होंने नेट जेआरएफ क्लियर कर लिया था. हालांकि, वह आईएएस बनना चाहती थी, लेकिन अपने दो अटैम्प्ट में उन्हें सफलता नहीं मिली, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. नतीजा ये रहा कि अपने थर्ड अटैम्प्ट में परी ने न केवल कामयाबी हासिल की, बल्कि 30वीं रैंक के साथ यूपीएससी सीएसई टॉप किया.


समाज के लिए बनीं मिसाल
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास करके परी ने पूरे बिश्नोई समाज का नाम रोशन कर दिया. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो परी अपने समाज की पहली महिला आईएएस अधिकारी हैं.