Nalanda Gurukul Vidyalaya, Surat: गुजरात के सूरत शहर की यूं तो कई खासियतें है, लेकिन  इसे भारत की 'Diamond City’ कहा जाता है, क्योंकि यहां हीरे का कारोबार होता है. हालांकि, आज हम इस विषय पर इस शहर की चर्चा नहीं करेंगे, बल्कि आज हम यहां की एक और खास बात आपसे साझा करेंगे. ये तो सभी जानते हैं कि बच्चों की शिक्षा जितनी अच्छी होगी, उनका भविष्य उतना ही बेहतर होगी. ऐसे में स्कूल अच्छा हो तो कहना ही क्या. आज हम बात कर रहे हैं सूरत में मौजूद नालंदा गुरुकुल विद्यालय के बारे में. 


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स्कूल का विकल्प बन चुके इस गुरुकुल में जाते हैं स्टूडेंट्स 
आज भी कई ऐसे पेरेंट्स हैं, जो अपने बच्चों का दाखिला स्कूल में करने के बजाय, उन्हें गुरुकुल भेजना पसंद करते हैं. सूरत के इसगुरुकुल में बच्चों को परीक्षाओं के लिए परेशान नहीं होना पड़ता है. यहां बिना किताबों के पढ़ाई करवाई जाती है. यहां स्टूडेंट्स को बैग लेकर नहीं आना पड़ता और न उन्हें किसी तरह का एग्जाम पड़ता है. 


आने-जाने का कोई वक्त निर्धारित नहीं
यहां पढ़ने वाले बच्चे किसी भी समय गुरुकुल में आ सकते हैं और जब मन हो यहां से जा सकते हैं. जब मन हो तब कुछ भी सीख सकते हैं. इस स्कूल या गुरुकुल का नाम 'नालंदा गुरुकुल विद्यालय' है. यहां पिछले 25 वर्षों से छात्रों को तनाव-मुक्त शिक्षा दी जा रही है. अपनी इसी खूबी के चलते यह स्कूल बच्चों और पेरेंट्स के बीच फेमस हो चुका है. यहां मिलने वाली शिक्षा से स्टूडेंट्स के ग्रेड बेहतर हो रहे हैं, जिससे  उनका आत्मविश्वास और बढ़ता है. 


छात्रों को किताबी कीड़ा नहीं बनना पड़ता
नालंदा गुरुकुल विद्यालय के फाउंडर बंकिम उपाध्याय का कहना है, "हम बोर्ड एग्जाम के अलावा किसी भी तरह के एग्जाम नहीं करवाते हैं. यहां पढ़ने वाले स्टूडेंट्स सभी सब्जेक्ट्स पढ़ते हैं, लेकिन किताबों से मिलने वाली शिक्षा के इतर उन्हें जिंदगी के जरूरी सबक सिखाए जाते हैं."


बेहतर करियर के लिए टीचर्स करते हैं गाइड
स्टूडेंट्स का कहना है कि नालंदा गुरुकुल विद्यालय के टीचर्स बच्चों का स्किल को पहचानते हैं और उसे और निखारते हैं. जो स्टूडेंट जिस विषय में अच्छा है उनकी स्ट्रेन्थ को पहचान कर आगे करियर के लिए गाइड करते हैं.


मजे से होती है पढ़ाई
नालंदा गुरुकुल विद्यालय के स्टूडेंट्स को किताबों से पढ़ाई नहीं करते हैं. वे जिस चीज की पढ़ाई करते हैं, उसके नोट्स खुद ही अपने अनुसार तैयार करते हैं. टीचर्स ने भी अपनी टीचिंग किट खुद ही तैयार की है. यहां छात्रों को वो सब कुछ सिखाया जाता है, जो एक रेग्यूलर स्कूल के स्टूडेंट्स सिखते हैं, लेकिन गुरुकुल के छात्रों को प्रैक्टिकल नॉलेज दी जाती है, जिससे पढ़ाई करना और सीखना मजेदार और आसान हो जाता है.