नई दिल्‍ली : मध्‍य प्रदेश में 230 सीटों के मतों की गिनती 24 घंटे से भी ज्‍यादा समय तक चली. यह मंगलवार सुबह 8 शुरू हुई थी और अंतिम नतीजा बुधवार सुबह 10 बजे के आसपास जारी हुआ. इसका सबसे बड़ा कारण चुनाव आयोग द्वारा अंतिम समय में काउंटिंग का नियम बदलने से हुआ. चुनाव आयोग ने रविवार शाम को आदेश दिया था कि हर राउंड के बाद रिटर्निंग ऑफिसर जब तक उस राउंड का सर्टिफिकेट जारी नहीं कर देता तब तक अगले राउंड की गिनती शुरू नहीं होगी. रिटर्निंग अफसरों ने इसका पालन किया. साथ ही 


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1- एमपी में सबसे ज्‍यादा विधानसभा सीटें थीं
एमपी में विधानसभा की सबसे ज्‍यादा 230 सीटें थीं. राजस्‍थान में 199 सीटों पर वोटों की गिनती हुई. चुनाव आयोग ने इसके साथ ही यह भी कहा था कि मतगणना के समय न वेबकास्टिंग होगी और न ही मतगणना हॉल में वाई-फाई नेटवर्क का इस्‍तेमाल किया जाएगा. सिर्फ सीसीटीवी कैमरों से नजर रखने का नियम तय हुआ है. 


2- कई सीटों पर रिजल्‍ट को मिली चुनौती
एमपी और राजस्‍थान में कई सीटें ऐसी थीं, जिन पर जीत का अंतर काफी कम था. इस पर रनर कैंडिडेट ने आपत्ति की. वहां दोबारा काउंटिंग हुई. इससे रिजल्‍ट जारी होने में 1 घंटे से ज्‍यादा देरी हुई. साथ ही ईवीएम काउंटिंग पूरी होने के बाद VVPAT काउंटिंग से इसका मिलान किया गया.


3- पेपर स्लिप का टैली भी बनी वजह
1200 पेपर स्लिप का टैली भी रिजल्‍ट में देरी का कारण रही. चुनाव अधिकारी हर सूरत में आयोग के निर्देश का पालन कर रहे थे. उनका लक्ष्‍य जल्‍दी रिजल्‍ट जारी करने के बजाय मतों की गिनती का सटीक होना था.


4- पोस्‍टल वोट भी रहे वजह
इस बार के 5 राज्‍यों के विधानसभा चुनाव में पोस्‍टल वोट की संख्‍या भी अधिक थी. उनकी गिनती में ज्‍यादा समय लगा.


कांग्रेस ने दर्ज कराई थी आपत्ति
चुनाव आयोग के समक्ष कांग्रेस ने काउंटिंग के नियम को लेकर आपत्ति दर्ज कराई थी. इसके बाद आयोग ने उसकी शर्त मान ली और नियम बदल दिए. इसके बाद आयोग ने वोटों की गिनती के दौरान हर राउंड के पश्चात परिणाम की जानकारी लिखित में देने की बात कही थी. यह प्रक्रिया केवल मध्य प्रदेश नहीं बल्कि राजस्थान, छत्तीसगढ़, मिजोरम और तेलंगाना में भी अपनाई गई. 


कैसे हुई वेबकास्टिंग
वेबकास्टिंग का अर्थ है 1 वीडियो कैमरा मतगणना केंद्र में लगाया जाएगा, जहां से सारी काउंटिंग प्रोग्राम पर नजर रखी जा सके. ये कैमरा सेंट्रलाइज्ड सर्वर से जुड़ा था. मतगणना केंद्र का सीधा प्रसारण भारत निर्वाचन आयोग और राज्य निर्वाचन आयोग के अफसर अपने दफ्तरों से देख रहे थे.