नई दिल्‍ली: पिछले महीने तीन विधानसभा चुनावों की हार से उबरते हुए बीजेपी नए साल की शुरुआत से ही लोकसभा चुनाव के मोड में आ गई है. इसको इस तरह से समझा जा सकता है कि साल के पहले दिन पीएम मोदी ने न्‍यूज एजेंसी ANI को इंटरव्‍यू देकर अपनी पार्टी के कैडर को साफ संकेत दिया. उसके बाद तीन जनवरी को गुरदासपुर की रैली को संबोधित करने के बाद शुक्रवार को पीएम मोदी 10 दिन में दूसरी बार पूर्वोत्‍तर के दौरे पर निकल रहे हैं.


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पूर्वोत्‍तर पर नजर
उसी कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2019 लोकसभा चुनावों के लिए शुक्रवार को असम में बराक घाटी स्थित सिल्चर पहुंच रहे हैं. भाजपा के एक प्रवक्ता ने बृहस्पतिवार को कहा कि यह रैली मोदी द्वारा चुनाव प्रचार के पहले चरण का हिस्सा होगी. केवल दस दिन के अंतराल में यह उनका दूसरा असम दौरा होगा. गौरतलब है कि प्रधानमंत्री ने क्रिसमस डे पर देश के सबसे लंबे रेल सह सड़क पुल ‘बोगीबील पुल’ का उद्घाटन किया था.


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भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रंजीत दास ने कहा कि पूर्वोत्तर के अपने दिनभर के दौरे में मोदी सबसे पहले मणिपुर जाएंगे जहां वह एक रैली में विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे और आधारशिला रखेंगे. इसके बाद, उनका सिल्चर क्षेत्र के कालीनगर में एक रैली को संबोधित करने का कार्यक्रम है.


भाजपा और इसके सहयोगियों ने क्षेत्र के आठ राज्यों की 25 संसदीय सीटों में से 21 पर जीत दर्ज करने का लक्ष्य बनाया है. असम में उन्हें 14 सीटों में से कम से कम 11 पर जीतने की उम्मीद है. पिछले लोकसभा चुनावों में, भाजपा ने असम में सात सीटें जीती थीं. 2016 विधानसभा चुनावों में वह 61 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी. इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पांच जनवरी को ओडिशा में 3,318 करोड़ रुपये की राजमार्ग परियोजनाओं की आधारशिला रखेंगे.


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20 राज्यों का दौरा
बीजेपी सूत्रों के मुताबिक इसके तहत अगले 100 दिनों में पीएम नरेंद्र मोदी भाजपा कार्यकर्ताओं को "सक्रिय" करने के लिए लगभग 20 राज्यों का दौरा करेंगे और मतदाताओं से समर्थन मांगेंगे. इनमें पश्चिम बंगाल, असम और ओडिशा जैसे राज्य शामिल हैं, जहां लोकसभा की 77 सीटें हैं. 2014 में मोदी लहर के बावजूद पार्टी इनमें से सिर्फ 10 सीटें ही जीत सकी थी.


मिशन 123
इसके साथ ही सूत्रों के मुताबिक बीजेपी अपने लोकसभा अभियान की शुरुआत के पहले चरण में उन जगहों पर फोकस कर रही है जहां पार्टी का अभी तक बहुत खास प्रभाव नहीं रहा है. यानी पार्टी ने अब लोकसभा चुनाव में नए क्षेत्रों को जीतने की रणनीति बनाई है. इसके लिए 'मिशन-123' शुरू किया गया है. इसके तहत पार्टी ने तटीय राज्यों की 117 में से 119 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है. इसके तहत सालभर से इन राज्यों में गतिविधियां दो सौ प्रतिशत तक बढ़ चुकी हैं.


बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने महाराष्ट्र और कर्नाटक को तटीय राज्यों की श्रेणी से अलग रखा है. तमिलनाडु-पुड्‌डुचेरी की 40, केरल की 20, पश्चिम बंगाल की 42 और ओडिशा की 21 सीटें ही उनके लक्ष्य में शामिल हैं. इन सीटों का जोड़ 123 है. इसमें से 117-119 सीट जीतने का लक्ष्य है.


विपक्ष की रणनीति
विपक्षी दल बीजेपी के खिलाफ फिलहाल अभी रणनीति बनाने में व्‍यस्‍त हैं. महागठबंधन और क्षेत्रीय दलों के नेतृत्‍व वाले फेडरल फ्रंट की चर्चाएं हो रही हैं. हालांकि अभी इनकी कोई ठोस शक्‍ल बनकर नहीं उभरी है. हालिया तीन विधानसभा चुनावों में जीतने के बाद कांग्रेस के हौसले जरूर बुलंद हैं लेकिन अभी वह विपक्ष के केंद्र में खुद को स्‍थापित नहीं कर सकी है. उसका एक बड़ा कारण यह है कि कई विपक्षी दल राहुल गांधी को विपक्षी धड़े का केंद्रीय नेता मानने को अभी तैयार नहीं है. ऐसे सियासी माहौल में बीजेपी ने चुनावी शंखनाद कर विपक्ष पर बढ़त बनाने का काम किया है.