मुंबई: महाराष्‍ट्र विधानसभा चुनाव (Maharashtra Assembly Elections 2019) के बीच शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने दशहरा रैली में देश में समान नागरिक संहिता कानून लागू करने और विशेष कानून बनाकर अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण की शुरुआत करने की मांग को नये सिरे से बुलंद कर दिया है. उद्धव ठाकरे दशहरा त्योहार के दिन यहां के शिवाजी पार्क में शिवसेना की दशहरा रैली में शिवसैनिकों को संबोधित करते हुए हिंदुत्‍व के मुद्दे पर पार्टी की अडिग नीति का बखान कर रहे थे. उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान की भी परवाह नहीं की जिसमें पीएम मोदी ने राम मंदिर मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी होने का हवाला देते हुये नेताओं को मंदिर-मस्जिद विवाद पर बयानबाजी से बचने की सलाह दी थी.


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उद्धव ठाकरे ने कहा, ''प्रधानमंत्री ने कहा कि राम मंदिर पर बयान ना दें. कोर्ट में केस है लेकिन हमारी मांग है कि विशेष कानून बनाया जाय और अयोध्या में भगवान श्री राम का मंदिर बनाया जाय और हमने मंदिर बनाने का वचन दे दिया है तो मंदिर बनाकर रहेंगे. राम मंदिर पर राजनीति नहीं होनी चाहिए. राम मंदिर बनाने का वादा पूरा होना चाहिए.''



इस तरह राम मंदिर मसले पर उद्धव ठाकरे, प्रधानमंत्री की सलाह को शिवसेना की दशहरा रैली मे नजरअंदाज कर गये और लंबा-चौड़ा भाषण कर शिवसैनिकों की तालियां बटोर गये. शिवसेना के इसी मंच से शिवसेना सांसद संजय राउत भी अयोध्या में राम मंदिर निर्माण में देरी और मंदिर निर्माण की शिवसेना की कोशिश और हर एक ईंट पर उद्धव ठाकरे और शिवसेना की छाप पड़ने का भाषण करते नजर आये.


उल्‍लेखनीय है कि अयोध्या में श्री राम मंदिर का मामला सुप्रीम कोर्ट में अब अंतिम पड़ाव पर है. राम मंदिर विवाद मामले पर सुप्रीम कोर्ट में इस महीने सुनवाई पूरी होने के बाद नवंबर तक फैसला आने की उम्‍मीद है. गौरतलब है कि पिछले महीने महाराष्ट्र के दौरे पर आये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर पर बयानबाजी करने वालों को बयानबहादुर की संज्ञा से नवाजा था. उन्‍होंने बयानबाजी करने वाले नेताओं को इस मामले में जुबान पर काबू रखने की सलाह दी थी. उन्‍होंने कहा था, ''बयान बहादुर राम मंदिर मसले पर भगवान के लिए बयानबाजी ना करें...''


शिवसेना का मुस्लिम कार्ड
उद्धव ठाकरे ने कहा कि शिवसेना मुसलमानों का भी स्वागत करती है. शिवसेना मुस्लिम आरक्षण और धनगर आरक्षण की पक्षधर है. शिवाजी महाराज की सेना में महाराष्ट्र के मुसलमान और दूसरे सभी धर्मों के लोगों ने दिल्ली के शासकों का तख्त हिला दिया था.


उन्‍होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि क्या शरद पवार पीएम के तौर पर चाहिए थे? मुलायम, महबूबा, मायावती जैसे लोग चाहिए थे. इसीलिए हमने खुलकर बीजेपी को लोकसभा में समर्थन दिया और गठबंधन किया. जिस तरह बीजेपी-शिवसेना का गठबंधन हुआ, उसी तरह दूसरी ओर सपा-बसपा का गठबंधन हुआ. लेकिन उनमें सत्ता की लालसा थी इसलिए जनता ने उन्हें गेट आउट कहा. शिवसेना किसी के सामने झुकी नहीं...शिवसेना सिर्फ मराठी और छत्रपति के सामने झुकेगी.


महाराष्ट्र में 21 अक्‍टूबर को वोट पड़ेंगे. शिवसेना और बीजेपी के बीच गठबंधन हो गया है और दोनों के बीच सीटों के बटवारे में शिवसेना की झोली में महज 124 सीटें आई हैं. माना जा रहा है कि प्रदेश में हमेशा बड़े भाई की भूमिका अदा करती आई शिवसेना, बीजेपी के सामने सूबे की सियासत में बौनी पड़ती जा रही है. यही वजह है कि हिंदुत्‍व का बिगुल फूंककर सहयोगी बीजेपी पर दबाव की राजनीति का दांव चल रही है.