Happy Birthday Nirahua: कौन हैं दिनेश लाल यादव की पत्नी, आम्रपाली दुबे संग उड़ते हैं इश्क के चर्चे, इनके भाई भी नहीं किसी से कम
Happy Birthday Nirahua: 2 फरवरी को भोजपुरी एक्टर और बीजेपी सांसद दिनेश लाल यादव का बर्थडे होता है. आइए इस मौके पर उनकी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ से रूबरू करवाते हैं. कैसे उनका नाम आम्रपाली संग जुड़ता है. क्या उनका राजनीतिक सफर रहा है.
दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ. जिन्हें किसी परिचय की जरूरत नहीं है. ऐसा नाम जिन्होंने भोजपुरी इंडस्ट्री में खूब नाम कमाया और अब राजनीति में करियर चमका रहे हैं. 2 फरवरी को निरहुआ का बर्थडे होता है. इस मौके पर चलिए आपको उनके करियर और कामकाज से जुड़ी बातें बताते हैं. आखिर निरहुआ की पत्नी कौन हैं. आपने उन्हें ऑनस्क्रीन तो खूब इश्क लड़ाते देखा होगा, लेकिन आज उनके जन्मदिन पर जानिए आखिर उनकी घर की राजकुमारी कौन हैं.
2 फरवरी 1979 में दिनेश लाल यादव का गाजीपुर में जन्म हुआ. निरहुआ की तरह उनके भाई परवेश यादव भी भोजपुरी इंडस्ट्री में एक्टिव हैं. जिनका नाम परवेश वर्मा यादव हैं जो एक्टिंग और सिंगिंग करते हैं. दोनों की एक लाडली बहन भी हैं ललिता यादव. एक्टर के पिता की बात करें तो उनका नाम चंद्रज्योति यादव है जो एक फैक्ट्री में काम किया करते थे.
दिनेश लाल यादव के भाई
Dinesh Lal Yadav Family: दिनेश एक ऐसे परिवार से आते हैं जहां बिरहा फोक सिंगर्स हुआ करते हैं. भोजपुरी सिनेमा में ढेरों गाने लिखने वाले प्यारे लाल यादव और बिरहा सम्राट विजय लाल यादव इनके कजिन हैं. अब ऐसे में निरहुआ को गायिकी तो फैमिली से ही मिली.
दिनेश लाल यादव की पत्नी
Dinesh Lal Yadav Wife: दिनेश लाल यादव अक्सर अपनी पर्सनल लाइफ की वजह से चर्चा में रहते हैं. वैसे तो साल 2000 में एक्टर ने मनसा यादव से शादी की. दोनों के तीन बच्चे हैं. निरहुआ की पत्नी मनसा देवी लाइमलाइट से दूर रहना पसंद करती हैं, लेकिन उनकी जोड़ी आपने अधिकतर आम्रपाली दुबे के साथ देखी होगी. दोनों की पहली बार जोड़ी 'निरहुआ हिंदुस्तानी' में देखने को मिली थी. ये फिल्म हिट साबित हुई थी और ये जोड़ी सुपरहिट.
निरहुआ की राजनीतिक करियर
Dinesh Lal Yadav Political Career: निरहुआ के राजनीतिक करियर की बात करें तो वह साल 2019 में बीजेपी में शामिल हुए. तब बीजेपी ने उन्हें आजमगढ़ से लोकसभा चुनाव में उतारने का फैसला लिया. तब दिनेश लाल यादव की सबसे बड़ी चुनौती थी कि आजमगढ़ में कैसे जीत मिलेगी, क्योंकि ये था सपा का गढ़. लेकिन वह जरा नहीं हिचके और उन्होंने बिगुल फूंक दिया. मगर निरहुआ को तब हार का सामना करना पड़ा था. मगर तीन साल बाद उन्हें दोबारा आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में मौका मिला और उन्होंने समाजवाद के गढ़ को धवस्त कर दिया.